Book Title: Aagam 40 Aavashyak Choorni 02 Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: DeepratnasagarPage 16
________________ आगम (४०) "आवश्यक'- मूलसू अध्ययनं [२], मूलं [१...] / [गाथा १-७], नियुक्ति: [१०६७-१११३/१०५६-११०२], भाष्यं [१९०-२०३] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि:- 2 प्रत चतुर्विंश- सूत्रांक ||१-७|| चूणा ॥ १०॥ दीप ग्गेहिं सामण्णं, विसेसो पतं रमति पुण्यं राया जिणियाइओ गम्भ आभूते माता जिणति सदावित्ति तेण अक्खेसु अजितचि || लोक&ा अजितो जातो २ संभवे सामण्णं चोत्तीसबुद्धातिसेसा सव्वेसुवि संभवति अतिसया गुणा य, विसेसो अब्भधिया सासाणं सहज शब्दार्थः तीकुमाजातचि ३ अभिणंदणे अभिमुहा अभिमुख्ये 'टुनदि समृद्धौ'अहवा सब्वेवि देवेहिं आणदिया,विसेसेणं भगवतो माया गम्भगए४ दि मान्वर्थः ४ सर्वेषामेव शोभना मतिरस्य सुमतिः, विसेसो गभगते भट्टारए माताए दोण्हं सवत्तीणं छम्मासितो ववहारो छिण्णो एत्थं असो गवरपादवे एस मम पुत्तो महामती छिदिहिति, ताए जायत्ति भणिताओ, इतरी भणिति एवं होतु, पुत्तमाता णेच्छतिचि णातूर्ण छिष्णो एतस्स गभगतस्स गुणणंति सुमती जातो ५ सच्चे पउमगम्भसुकुमाला, विसेसओ पउमगब्भगोगे, पउमसयणीयदोहलोत्ति ६ सव्वेसिं सोभणा पासा तित्थकरमातूण च, विसेसो माताए गुब्बिणीए सोमणा पासा जातचि, पढम विकुक्षिया आसी७४ सामण्णं सम्बे चंद इव सोमलेसा, विसेसी चदपियणमि दोहलो चंदाभो यत्ति ८ सामण सम्बे सम्यविधीसु जाणाइयासु कुसला,& विसेसो माताए अतीव कोसल्लं जातं गम्भगते ९सामणं सीतला अरिस्स मित्तस्स चा, बिसेसोवि पुणो दाहो जातो ओसहेहिं न पउणति, देवीए परामढे पउणो १० सामण्णं सब्बे सेया लोके, अहवा तेण निवर्तितसरीरा, बिसेसो तस्स रण्णो परंपरागता सेज्जा देवताए परिग्गहिता अच्चिज्जति अच्छति, न कस्सति ढोकं देति, देवीए गभगते दोहलो, तं सेज्ज विलग्गा, देवता रडितूण पलाता, तेण सज्जंसो ११ वसू-देवा बासबो इंदो तेण सब्वेवि अभिगच्छितपुब्बा, विसेसेण इमोत्ति, अहवा वमणि-रयणाणि वासबो-13 | समणो सो वा अभिगच्छति १२ सामन्यां सच्चे विमलमती, विसेसो माताए सरीरं अतीवविमल जात बुद्धी तत्ति १३ सामण्ण सम्बहिला ॥१० कम्म जित, विसेसो माताए सुविणए अणतं महंत रतणचितं दामं दिट्ट अंतो से नस्थि तेण अणंतई, वितिय से नार्म १४ सर्वेऽपि अनुक्रम [३-९] (16)Page Navigation
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