Book Title: Aagam 40 Aavashyak Choorni 02
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 20
________________ आगम (४०) "आवश्यक'- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) अध्ययनं [३], मूलं [१] / [गाथा-], नियुक्ति: [११११८-१२२९/११०३-१२३०], भाष्यं [२०४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक" नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि:- 2 बन्दचाध्ययन प्रत सूत्रांक ||१-७|| तीए भत्तीए समुकीत्तणा कता ।। सुत्तफासिया गया, नया तहेव जहा सामाइगे दोण्णि गाथा, इत्यादि चर्चः॥ उव्वीसत्य- द्र यचुण्णी समत्ता, अहवा लोओज्जोयगरचुपणी आदाणपदेणं ।। चूणों दीप अनुक्रम [३-९] अह वंदणगझयणं, चउव्वीसस्थयाणतरं बंदणगज्झयणं, एतस्स कोमिसंबंधः १, जेहिं सामाइकमुपदिष्टं तेसि | समुक्कित्तणा कातवति तदर्णतरं अरिहसमुक्कित्तणा कता, गणधरादीहिवि एतं पणीतं अतो गणधरआयरियादीणवि बंदर्णी लाकातब्बति भण्णति, अहवा सामाइए ठितस्स जथा तित्थगरा पूज्या मान्याष तथा गणधरादीवि, अतस्तदर्थे बंदणग मण्यति, एवमादिसंबंधेणायातस्स बंदणगज्झयणस्स चचारि अणुयोगद्दाराणि उवक्कमादीणि तहेव वष्णेतव्वाणि जाव नामनिष्फल्यो निक्खेवो बंदणगति, एत्थ यस्याधिगारो गुणवंतस्त गणधरादिस्स पडिबत्ती-चंदणगमिति, कोऽर्थः-'बदि अभिवादनस्तुत्यो शुषु वा अर्थषु वागादीनां दानं ।। बंदनं चतुबिह, दो गता, दण्यवंदणगं दब्बभृतस्स दब्बनिमित्तं वा. अण्णउस्थियाण बा. साभावबंदणगं निज्जरहियस्स साधुस्स बंदमाणस्स । तस्स एगडिताणि बंदणगन्ति वा चितिकमति वा कितिकमति वा पूजाकमेति | वा विणयकमंति बा। तत्थ बंदणए उदाहरण-. एगस्स रण्णो पुत्तो सीतलो नाम, सो य निविष्णकामभोगो पखइओ, पढतो आयरिओ जातो, तस्स य भगिनी पुग- II दिण्णा अण्णस्स रायाणगस्स, तीसे चचारि पुत्ता, सा तेसिं कइंतरेसु कहेति, जथा तुम्भंतु मातुलो पव्वदओ, एवं कालो बच्चति।ादा |सअवि अण्णदा तथारूवाण राण अंतिए पपाता, पारि पहुसुता जाता, माउलग वंदना जीत, एगमि नगरे सुतो, तत्व १४॥ आवश्यक सूत्रस्य द्वितियं अध्ययनं समाप्तं अथ तृतीय अध्ययनं आरभ्यते ... वंदनकं विषये शितलाचार्यस्य कथानक (20)

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