Book Title: Aagam 17 CHANDRA PRAGYAPTI Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 533
________________ आगम (१७) "चन्द्रप्रज्ञप्ति" - उपांगसूत्र-६ (मूलं+वृत्ति:) प्राभृत [१८], ------------ प्राभृतप्राभृत-1, -------------------- मूलं [९४-९५] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१७], उपांग सूत्र - [६] "चन्द्रप्रज्ञप्ति" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत सूत्रांक [८९-९३] गाथा लिहति ?, ता अट्ठ देवसाहस्सीओ परिवहति, तं०-पुरच्छिमेण सिंहरूषधारीणं देवाणं दो देवसाहस्सीओ परि वहंति, एवं जाव उत्तरेणं तुरगरूवधारीणं, ता नक्खत्तविमाणे णं कति देवसाहस्सीओ परिवहति?, ता चत्तारि मादेवसाहस्सीओ परिवहति, तं०-पुरच्छिमेणं सीहरूवधारीणं देवाणं एका देवसाहस्सी परिवहति एवं जाब उत्तरेणं तुरगरूबधारीणं देवाणं, ता ताराविमाणे णं कति देवसाहस्सीओ परिवहति ?,ता दो देवसाहस्सीओ परिवहति तं०-पुरच्छिमेणं सीहरूबधारीणं देवाणं पंच देवसता परिवहंति, एवं जावुत्तरेणं तुरगरूवधारीणं (सूत्रं ९४ ) एतेसि णं चंदिमसरियगहणक्वत्तताराख्वाणं कयरेरहितो सिग्धगती वा मंदगती वा ?, ता चंदेहितो सूरा सिग्घगती सूरेहितो गहा सिग्धगती गहहितोणक्खत्ता सिग्घगतीणक्खत्तेहितोतारा सिग्धगती, सबप्पगती चंदा सबसिग्धगती तारा । ता एएसिणं चंदिममूरियगहगणणक्णत्ततारारूवाणं कपरेशहितो।। अप्पिहिया वा महिहिया वा?, ताराहिंतो महिहिया णक्खत्ता णक्खत्तेहितो गहा महिडिया गहेहितो सूरा महिहिया सूरेहिंतो चंदा महिहिया सबप्पविया तारा सबमहिहिया चंदा (सूत्रं ९५) 'ता चंदविमाणे णमित्यादि संस्थानविषयं प्रश्नसूत्रं सुगर्म, भगवानाह-'ता अद्धकविद्वगे'त्यादि, उत्तानीकृत-1 मर्द्धमात्रं कपित्थं तस्येव यत् संस्थानं तेन संस्थितमर्द्धकपित्थसंस्थानसंस्थितं, आह-यदि चन्द्रविमानमुत्तानीकृतार्द्धमाकपित्थफलसंस्थानसंस्थितं तत उदयकाले अस्तमयकाले वा यदिवा तिर्यक् परिश्रमत् पौर्णमास्यां कस्मात्तदर्धकपित्थफलोकारं नोपलभ्यन्ते, काम शिरस उपरि वर्तमानं वर्तुलमुपलभ्यते, अर्द्धकपित्थस्य उपरि दूरमवस्थापितस्य परभागाद दीप अनुक्रम *35*554 [१२१ -१२६] ~532~

Loading...

Page Navigation
1 ... 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602