Book Title: Aagam 17 CHANDRA PRAGYAPTI Moolam evam Vrutti Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 1
________________ ' [१७] श्री चन्द्रप्रज्ञप्ति (उपांग)सूत्रम् नमो नमो निम्मलदसणस्स। पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः । "चन्द्रप्रज्ञप्ति” मूलं एवं वृत्ति: [मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः] चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्रस्य मलयगिरि रचित वृत्ते: हस्तप्रतस्य आधारेण । एवं पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरैः संपादित 'सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्रस्य साहहायेन ] ' (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह संकलिता)। संकलनकर्ता→ मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.) | 15/01/2015, गुरुवार, २०७१ पौष कृष्ण १० jain_e_library's Net Publications मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[१७], उपांग सूज-[६] "चन्द्रप्रज्ञप्ति" मूल एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिःPage Navigation
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