Book Title: Aagam 17 CHANDRA PRAGYAPTI Moolam evam Vrutti Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 2
________________ आगम (१७) “चन्द्रप्रज्ञप्ति” – उपांगसूत्र-६ (मूलं+वृत्ति:) प्राभृत [-], -------------------- प्राभृतप्राभृत [-], --------- ------ मूलं [-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१७], उपांग सूत्र - [६] "चन्द्रप्रज्ञप्ति" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत सूत्राक RRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRS ॥अहम् ॥ श्रीमन्मलयगिर्याचार्यविहितविवरणयुतं श्री चन्द्रप्रज्ञप्ति-उपाङ्गम् 'चन्द्रप्रज्ञप्ति'सूत्रस्य हस्तप्रत-आधारेण एवं पू० आगमोद्धारक आचार्यदेवश्री आनंदसागरसूरीश्वरैः संपादित 'सूर्यप्रज्ञप्ति' सूत्रस्य साहायेन । (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह संकलिता - 'चन्द्रप्रज्ञप्ति' मूलं एवं वृत्तिः) संकलनकर्ता- मुनि दीपरत्नसागर ses-SSHRSasses दीप अनुक्रम | चन्द्रप्रज्ञप्ति (उपांग)सूत्रस्य “टाइटल पेज" ~1~Page Navigation
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