Book Title: Aagam 02 SUTRAKRIT Choorni
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

Previous | Next

Page 17
________________ आगम (०२) “सूत्रकृत” - अंगसूत्र-२ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [१], उद्देशक [१], नियुक्ति: [१-३५], मूलं [-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-०२], अंग सूत्र-[०२] "सूत्रकृत" जिनदासगणि विहिता चूर्णि: क तानचूणि: बन्धनादि परिणामाः ॥१२॥ तं अचक्खुफासियं जहा दुपदेसियाणं परमाणुपोग्गलाणं एवमादीणं जं संघातेणं भेदेन वा करण उप्पजति तं ण दीसति छ उमत्थेणंति | तेण अचक्खुफासियं, वादरपरिणतस्स अणंतपदेसियस्स चक्षुफासियं भवति, तेसिं दसविधो परिणामी, तंजहा-बंधणगतिसंठाणे भेदे गंधरसवण्णफासे य । अगुरुअलहुपरिणामे दममेऽविय सद्दपरीणामे ॥१॥ बंधणपरिणामे दुविधे पत्ते-णिबंधण परिणामे य लुक्खधंधणपरिणाम य, 'निद्धस्स निद्वेण दुआहिएणं, लुक्खस्स लुक्खेण दुआहिएणं । णिद्धस्स लुक्खेण उबेति बंधो, जहण्णवञ्जो विसमो समो वा ॥१॥ समणिद्धताएँ बंधो ण होति समलुक्खिताएवि ण होइ । वेमायणिद्धलुक्खत्तणेण बंधो तु खंधाणं ॥ २॥ गतिपरिणामो तिविदो उकोसजहण्णमज्झिमो चे। लोगंता लोगत गमणं एगेण समयेणं ॥३॥ तहय पदेसि पदेमा जहण्णसमएण होति संकंती । अजहष्णमणुक्कोसो तेण पर खेतकाले य ।। ४॥ एमेव य गंधाणं गतिपरिणामो जहण्णमुक्कोसो । कालो जहण्णतुल्लो उक्कोसेणं असंखेको ।। ५ ।। समयादी संखेजो कालो उक्कोसएण उ असंखो। परमाणूखंधाण य ठितीय एवं परीणामो ॥६॥ परिमंडले य वट्टे तसे चउरंस आयते चेत्र । संठाणे परिणामो सहऽणित्थत्थेण छम्मेया ॥७॥ पयरघणा सोसि सेढी नदी य आयत विसेसो। सव्वे ते दुविहा (जुम्मओज) पदेसुक्कमगजहण्णा ॥८॥ | माणु परिमंडलस्स उ सव्वेसि जहण्णमोयजुम्मगमा । उक्कोस जहणं पुण पदेस उग्गाहणकमेणं ।। ९॥ पंतपदेसुक्कोसं तह यमसंखप्पदेसमोगाढं । चीमा चत्तालीमा परिमंडलि दो जहण्णगपा ॥१०॥ पंचग चारसगं खलु सत्त य बत्तीसगं च | बट्टमि । तिय छक्कग पणतीसा चत्तारि य होइ नसंमि ॥ ११॥ जव चेव तहा चउरो सत्तावीसा य अटु चउरंसे । तिगदुगपण| रस छक्कं पणयाला वा चरिमयस्स ॥१२॥ एसो संठाणगमो पएसओगहणापडिट्ठिो। दुगमादीसंयोगो हयति अणित्थत्थसंठाणं | बंधन-परिणामस्य भेदाः [16]

Loading...

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 ... 472