Book Title: Aadhyatmik Aalok Part 03 and 04
Author(s): Hastimal Maharaj, Shashikant Jha
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 433
________________ - - [४२१ की प्रतियों सुलभ हों, युगानुकूल भाषाशैली में उनका अनुवाद हो, उनके महत्त्व .... को प्रदर्शित करनेवाली सामग्री प्रस्तुत हो, समालोचनात्मक एवं तुलनात्मक : _ पद्धति से उनका अध्ययन, मनन करके उन पर सुन्दर. प्रकाश डाला जाय,.. इत्यादि। छोटे से छोटे ग्रामों में भी आगम उपलब्ध किये जाने चाहिए। वहां अगर स्वाध्याय चलता रहे तो. साधु-सन्तों के न पहुँचने पर भी धार्मिक - वातावरण बना रह सकता है। आज देश में युद्ध का वातावरण होने से संकट का काल है, उसी प्रकार धार्मिक दृष्टि से भी यह संकट काल है। आज का मानव भौतिक वस्तुओं और अावश्यकताओं में इतना लिप्त हो गया है कि वह धर्म की सुध भूल रहा है। ऐसे समय में धर्मप्रिय लोगों को विशेष रूप से सजग होना चाहिए । साक्षरता के इस युग में अन्यान्य विषयों को पढ़ने की रूचि यदि धर्मशास्त्र पठन. रूचि में बदल . जाय तो कुछ कमियां दूर हो जाय । अाज तो स्थिति ऐसी है कि अध्यात्म - साधना के लिए समय निकालना लोगों को कठिन प्रतीत हो रहा है यदि लगन वाले । लोग इस ओर ध्यान दें तो बड़ा लाभ होगा। धर्म के प्रति रूचि जगाने के लिए ऐसे व्यक्तियों की सेवा अपेक्षित है । आध्यात्मिक संगठन के निर्माण के लिए तल्गों को तैयार किया जाना चाहिए। ... . .. अजमेर में एक मियाँ साहव प्रवचन सुनने पाया करते थे । उन्होंने बतलाया कि नवजवानों में इबादत करने की रूचि घट रही है । इबादत करने ... नहीं आने वाले नवयुवकों की तालिका बनानी पड़ रही है। इससे कुछ लाभ हुआ है। इबादत करने वालों की संख्या में कुछ वृद्धि हुई है। किन्तु प्राप ....: लोग ऐसा प्रयास कहाँ करते हैं ? महाजनों को तो जन्म से ही अर्थ की धूटी पिलाई जाती है । पच चहत्तर वर्ष के 'वृद्ध भी अर्थ संचय में संलग्न रहते ... हैं। जिन लोगों ने अर्थ को ही जीवन का सर्वस्व या परमाराध्य मान लिया है.. और जिनका यह संस्कार पक्का हो गया है, उनके विषय में क्या कहा जाय ? मगर नयी पीढ़ी को अर्थ की घुटी से कुछ हटा कर धर्म की घुटी दी जायं तो उनका और शासन का भला होगा।

Loading...

Page Navigation
1 ... 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443