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राष्ट्रपति भवन,
नई दिल्ली। अनवरी १, १९६२ पौष ११, १८८३ शक:
मणक्त मान्दोलन के प्रवर्तक आचार्य श्री तुलसी केवल समारोह के अवसर पर मैं उन अभिनन्दन गन्य मैंट करने के निर्णय का स्वागत करता हूं और आचार्य जी के प्रति मानी अदांजति अर्पित करता हूं। अरावत आन्दोलन का उदेश्य नैतिक जागरण और जनसा थारण को सन्मान की भार प्रेरित करना है। यह प्रयास अपने आप में ही इतना महत्वपूर्ण है कि इसका समी को स्वागत करना चाहिये । आज के युग में अवाक मा नव अपनी मी तिक उन्नति से चकाचौंध होता दिखाई दे रहा है, और जीवन के प्रतिक तथा माध्या त्मिक तत्वों की अवहेलना की भाशंका है, स्स आन्दोलन के द्वारा ही मानव अपने सन्तुलन को बनाये रख सकता है और मौतिक वाद के विनाशकारी परिणामों से बचने की भाशा कर सकता ।
मैं श्री प्राचार्य तुलसी धवल समारोह समिति को बधाई देता है और इस आयोजन की सफलता की कामना करताई।