Book Title: Aacharya Shri Tulsi Abhinandan Granth
Author(s): Tulsi Acharya, Dhaval Samaroh Samiti
Publisher: Acharya Tulsi Dhaval Samaroh Samiti

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Page 11
________________ [ १५ 9 MF १ १ १ ११७ . १२५ निन्द्रो द्वन्दमाश्रितः तुलसीं वन्दे चिरं जयतु श्रीतुलसीमुनीन्द्रः न मनुजोऽमनुजोहंति तत्तुलम् निर्मलात्मा यशस्वी कोऽपि विलक्षणात्मा निरन्तरायं पदमाप्तकाम: वन्द्यो न केषां भवेत् ? निष्ठाशील शिक्षक आञ्जनेय तुलसी तरुण तपस्वी प्राचार्यश्री तुलसी चरैवेति चरैवेति को साकार प्रतिमा नवोत्थान के मन्देश-वाहक कुशल विद्यार्थी महान् धर्माचार्यों की परम्परा में अभिनन्दन गीत तुलसी माया ले 'चरैवेति' का नव सन्देश भगवान महावीर और बुद्ध की परम्परा में जैमा मैने देखा शत-शत अभिवन्दन अणन, प्राचार्यश्री तुलसी पौर विश्व-शान्ति सन्तुलित व्यक्तित्व प्रागा की झलक महावीर व बुद्ध के सन्देश प्रतिध्वनित विकास के साथ धार्मिक भावना प्राध्यात्मिकता के धनी प्राप्त जीवन में अमृत सीकर नैतिकता का वातावरण प्राचीन सभ्यता का पुनरुज्जीवन सर्वोत्कृष्ट उपचार आध्यात्मिक जागृति उत्कट साधक महान् प्रात्मा प्रभावशाली चारित्रिक पुननिर्माण तपोधन महर्षि अनेक विशेषताओं के धनी वास्तविक उन्नति सफल बनें मुनिश्री चन्दनमलजी श्री यतीन्द्र विमल चौधरी मुनिश्री नवरत्नमलजी मुनिश्री पुष्पराजजी मुनिश्री वत्सराजजी मुनिश्री डूंगरमलजी मुनिथी शुभकरणजी श्री विद्याधर शास्त्री मुनिश्री दुलीचन्दजी प्राचार्य जुगलकिशोर श्रीमती दिनेशनन्दिनी डालमिया श्री प्रानन्द विद्यालंकार श्री अमरनाथ विद्यालंकार मुनिश्री मीठालालजी श्री पी० एस० कुमारस्वामी श्री मतवाला मंगल श्री कीर्तिनारायण मिश्र मुनिश्री सुखलालजी श्री कैलाशप्रकाश मुनिश्री मोहनलालजी 'शादल' श्री अनन्त मिश्र माहू गान्तिप्रमाद जैन श्री त्रिलोकोमिह महाराजा श्री करणसिहजी श्री दीपनारायण सिंह श्री प्रफुल्लचन्द्र सेन श्री उदयशकर भट्ट श्री मोहनलाल गौतम महाशय बनारमीदास गुप्ता श्री वृन्दावनलाल वर्मा सवाई मानसिहजी श्री मिश्रीलाल गंगवाल डा० कामताप्रसाद जैन डा० जवाहरलाल रोहतगी श्री लालचन्द सेठी डा० पंजाबराव देशमुख श्री गुरुमुग्य निहासिह सरसंघचालक मा० स० गोलवलकर १४२ . . A Mar m Uorm 10.00 ०.०. v m.... mor १ . US 0 ora.ooo.ca oraa.or.or 0 0 0 0 .xxxxxxx 0 mm or १८७ १४६ १५१ १५३

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