Book Title: Aacharya Shri Tulsi Abhinandan Granth
Author(s): Tulsi Acharya, Dhaval Samaroh Samiti
Publisher: Acharya Tulsi Dhaval Samaroh Samiti

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Page 10
________________ प्राचार्यश्री तुलसी अभिनन्दन प्रस्थ ० ० ० m 1 m m ० ० .० .0 .0 ० ० नैतिक जागरण का उन्मुक्त द्वार डा० लुई रेनु ढाई हजार वर्ष पूर्व के जैन-संघ में डा० डबल्यू० नोर्मन ब्राउन महान कार्य और महान् सेवा श्री वी वी गिरि संत भी, नेता भी श्री गोपीनाथ 'अमन आधुनिक भारत के सुकरान महर्षि विनोद सर्व सम्मत समाधान भारत रत्न महर्षि डो० के० कर्वे चारित्र और चातुर्य श्री नरहरि विष्णु गाडगिल सत्य का पवित्र बन्धन महामहिम श्री रघुवल्लभ तीर्थस्वामी समाज-कल्याण के लिए श्री विद्यारत्न तीर्थ श्रीपादाः भारत का प्रमुख अंग श्री गुलजारीलाल नन्दा पुरातन संस्कृति की रक्षा श्री श्रीप्रकाश राष्ट्रोत्थान में सक्रिय सहयोग श्री जगजीवनराम विश्व-मंत्री का राज-मार्ग श्री यशवन्तराव चह्वाण प्राचार्यश्री का व्यक्तित्व श्री हरिविनायक पाटस्कर मणि-कांचन-योग __ डा० कैलाशनाथ काटजू प्राध्यात्मिक स्वतन्त्रता का आन्दोलन श्री सुज्ञानेन्द्र तीर्थ श्रीपादा: पंच महाव्रत मौर अणुव्रत स्वामी नारदानन्दजी सरस्वती भारत को महतर गट बनाने वाला आन्दोलन डा० बलभद्रप्रसाद महान् व्यक्तित्व डा० बाल्थर बिग अपने आप में एक सस्था एच०एच० श्री विश्वेश्वरतीर्थ स्वामी प्रेरणादायक प्राचार्यत्व श्री एन० लक्ष्मीनारायण शास्त्री श्रीकृष्ण के पाश्वासन की पूर्ति श्री टी० एन० वैकट रमण बीमवों मदी के महापुरुष प्रार्चबिशप जे. एम. विलियम्म प्राचार्यश्री तुलसी का एक गूत्र प्राचार्य धर्मेन्द्र नाथ दो दिन में दो सप्ताह डा. हर्बट टिमी देश के महान् प्राचार्य श्री जयमुबलाल हाथी नैतिक पुनरुत्थान के नये मन्देशवाहक श्री गोपालचन्द्र नियोगी स्वीकृत कर वर! चिर अभिनन्दन श्री सोमप्रकाश द्रोण मुधारक तुलसी डा० विश्वेश्वरप्रसाद मेरा सम्पर्क कामरेड यशपाल तुम ऐमे एक निरंजन श्री कन्हैयालाल मेटिया प्राचार्यश्री तुलसी मेरी दृष्टि में सेवाभावी मुनिश्री चम्पालाल जी मानवता के पोषक, प्रचारक व उन्नायक श्री विष्णु प्रभाकर वर्तमान शताब्दी के महापुरुष प्रो० एन० वी० वैद्य धर्म-संस्थापन का देवी प्रयास थीएल० ग्रो० जोशी प्रथम दर्शन और उसके बाद श्री सत्यदेव विद्यालंकार तुभ्यं नमः श्रीतुलमीमुनीश ! पाशुकविरत्न पण्डित रघुनन्दन शर्मा सम्प्रति वासवः मुनिश्री कानमलजी ६ x 0 .0 .0 4 1 . 0 .0

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