Book Title: Muni Deepratnasagarji ki 555 Sahitya Krutiya
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नम: दीपरत्नसागरजी की 555 साहित्य-कृतियाँ [पाँच भाषाएँ एवं एक लाख (1,00,013) पृष्ठोमें] | જૈનBવિટી) રચનાનાગાર साहित्य-सर्जन-काल 1984 से 2015 | Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 [1] Publications on 03/07/2015 Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य 02 34 . ईस सूची में कहाँ क्या देखे। ०१ | कृतियों के नाम, किताब-संख्या और कुल-पृष्ठ ०२ । दीपरत्नसागर का परिचय और उनकी साहित्ययात्रा | 04 | हमारी साहित्य कृतियों के 25 मुकाम 06 ०४ | हमारी साहित्य-कृतियाँ [भाषा एवं वर्ष के माध्यम से] Folder Folder's Name Total | Total Index No. 1-आगमसाहित्य. 2-अन्यसाहित्य Books | Pages Page विभाग (1) आगम साहित्य, 01 | आगमसत्ताणि-मूलं Printed | 49 03509 | 06 02 | आगमसत्ताणि-मूलं Net 45 02810 | 07 03 मागमसूत्र गुराती अनुवाE Net 47 03397 | 08 04 | आगमसूत्र हिंदी अनुवाद Net 47 03648 | 09 05 | आगमसूत्र सटीकं Net 46 13806 | 10 | આગમ સટીક ગુજરાતી અનુવાદ N . 10340 | 11 |01521 | आगममञ्जूषा Net 12 08 | आगमसूत्राणि-सटीकम् (प्रताकार) N | 17992 | 13 मागमसूत्र गु४राती अनुवा: print 07 | 02962 | 14 | आगमसूत्र हिंदी अनुवाद print 12 | 03109 | 15 11 आगमसूत्र सटीकं print 30 | 13216 | 16 આગમ સટીક ગુજરાતી અનુવાદ P. 09700 | 17 13 | Aagamsootra English Translations 11 00410 | 18 14 | माराम थानुयोग Printed 06 | 02172 19 15 | ४५मागम विषयशन/अनुमN+P 02 00726 | 20 16 | आगम-कोसो (१) सह (२) नाम P. | 05 | 02392 | 21 कुल आगम साहित्य, 91710 06 48 । 07 53 09 10 12 Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 [2] Publications on 03/07/2015 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ No. नमो नमो निम्मलदसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ Folder Folder's Name Total Total Index 1-आगमसाहित्य, 2-अन्यसाहित्य | Books Pages Page विभाग (2) अन्य साहित्य, 17 | व्याकरण साहित्य Printed | 0501048 22 18 | व्याण्यान साहित्य Printed 04 01218| 23 19 तत्वाल्यास साहित्य Printed 13 02086| 24 20 निलति साहित्य Printed 09 01196| 26 21 | सूत्र-मल्यास साहित्य Printed 05 01428 28 22 | माराधना साहित्य Printed 03 00434 29 23 | साहित्य Printed 03 00296 30 24 | पून साहित्य Printed Printed | 02 00104| 31 25 | ही साहित्य Printed 1000490 32 • कुल अन्य साहित्य में 54 8300 आगम-साहित्य, कुल किताबें 501, कुल पृष्ठ 91970 अन्य-साहित्य- कुल किताबें 054, कुल पृष्ठ 08303 कुल साहित्य कृतियाँ 555, कुल पृष्ठ 1,00,013 *** *** Address: मुनि दीपरत्नसागर, 'प्रतिमा' फ्लेट नं13, चौथीमंझिल, जगमाल चौक, ऊपरकोट रोड, जैन मंदिर के सामने, पोस्ट: जुनागढ़, Pin: 362001 (गुजरात, India) E mail: jainmunideepratnasagar@gmail.com Connect: Mobile 09825967397 हमारे सभी प्रकाशनोके नाम जानने के लिए jainelibrary.org Total Books 555 [1,00,013 Pages] Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ • परिचय और साहित्ययात्रा → Date : 3/7/15 जिनकी साहित्ययात्रा 555 किताबें तक पहुंची है ऊस पथिक का नाम दीपरत्नसागर है, 1981 में जैन साधुत्व स्वीकार करने के बाद मुनिजी 4 साल तक अभ्यासमें निमग्न रहे 1984 के अंतमें मुनिजी भगवद्भक्ति हेतु अपनी साहित्ययात्रा का आरंभ किया | 1995 के बाद तो ये यात्रा 'जिनेश्वर भगवंत की मूल - वाणी-रूप आगम- यात्रा' ही बन गई, बीच-बीचमें छोटे-छोटे मुकाम पर रुकती हुई इस यात्रा में अन्य साहित्यों का भी सर्जन हुआ लेकिन मुनिजी का पूरा लक्ष्य आगमशास्त्र ही बना रहा | आगम संबंधी कई प्रकाशन हुए जैसे की- ४५ - आगम मूल ४५-आगम गुजराती- अनुवाद, ४५ आगम हिंदी - अनुवाद, ४५ - आगम सटीक ४५-आगम सटीक गुजराती अनुवाद, ४५ - आगम कथानुयोग, ४५- आगम सद्दकोसो, ४५- आगम नामकोसो, ४५- आगम विषय दर्शन, ११ आगम का इंग्लिश-अनुवाद, आगम- मंजूषा, ४५ आगम प्रताकार इत्यादि । इस दौरान आया “Net-युग” दीपरत्नसागरजी के सभी प्रकाशन jainelibrary.org की मदद से सन 2009 से नेट / वेबसाइट पर उपलब्ध होने लगे | 31 साल बाद ये यात्रा 555 प्रकाशनों के मुकाम तक पहुंची है । संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, गुजराती, इंग्लिश 5 भाषाओं के माध्यम से विश्व को 1,00,013 पृष्ठो की भेंट करनेवाले मुनिजीने तत्त्वार्थसूत्र पर प्राप्त 84 कृतियोंके 27930 पृष्ठो को एक DVD में संकलित किया है, मुनिजी के खुदके पूरे साहित्य की भी DVD पब्लिश हुई है | दो DVD के माध्यम से दीपरत्नसागर ने विश्व को अब तक 1,27,943 पृष्ठो की भेंट समर्पित की है । मुनिश्री ने 11 यंत्रो का भी संकलन किया है Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 [4] Publications on 03/07/2015 Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ दीपरत्नसागरजी का प्रिन्टेड या नेट-पब्लिश्ड साहित्य इंटरनेट की परिभाषा में 78,00,000 KB से भी ज्यादा हो चूका है | क्या राझ है मुनिजी की इस विराट साहित्ययात्रा का ? अपने पूर्वाश्रममें मुनिजी भावनगर 'बी.एड. कोलेज' में प्रोफ़ेसर थे, 'जामनगर' के निवासी थे, 'दीपकभाई ठक्कर' नाम था | 21 साल की उम्र में 'हायर - सेकंडरी' में अध्यापक हो गए, 24 वे साल में तो कोलेज के प्रोफ़ेसर, यूनिवर्सिटीमें पेपर-सेटर, परीक्षक, अभ्यासक्रमसमिति के सभ्य हो गए, M.Com.,M.Ed.,Ph. D. की डिग्री को प्राप्त इस मुनिजी को धर्म भी विरासत में मिला था | मुनिजी के परदादी, बड़ेबुआ, चाचाजी, पितराई बहने, भैया आदि सभी पहले से ही जैन- दीक्षा अंगीकार कर चुके थे | ऐसी धर्म-विरासत, कालॅज की उच्चतम डीग्रीयाँ, तीर्थंकरप्रभू की असीम-कृपा, माँ पद्मावती का सांनिध्य और प्रतिदिन आठ-नव घंटे के अपने पुरुषार्थ से आज दीपरत्नसागरजी इस मुकाम पर पहुंचे है | " दीपरत्नसागरकी सफलताका दूसरा राझ है 'जप' मुनिजी नित्य त्रिकाल 108- नवकार और अन्य जाप करते है । मुनिजी ने अबतक पद्मावतीजीके 27-लाख, उवसग्गहरंके 18 लाख लोगस्ससूत्रके 3 लाख, वर्धमानविद्याके 4-लाख, 21 दिन सरस्वतीका अनुष्ठान तपके साथ दो बार, 21 साल तक हर दिवालीके तीन दिनोमें 18000 विद्यामंत्र की आराधना, चिंतामणिमंत्र 1 लाख आदि अनेक जप किये है | मुनिजी ने विशुद्ध भगवद्भक्ति के लिए जिनवचनरूप आगमशास्त्र को अपना जीवनमंत्र बनाकर 20 साल एकांतवास जैसे गुझारे है। ज्ञान के साथ क्रिया और तप-त्यागकी महत्ता का स्वीकार और पालन करते वे अपना संयम जीवन व्यतीत कर रहे है | .......... वन्दना सह... Total Books 555 [1,00,013 Pages] हुए Muni Deepratnasagar's 555 [5] Publications on 03/07/2015 Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ आगमाणि (४५| अनि दीपरत्नसागर आगमसुत्ताणि मूलं print भाषा → प्राकृत कुल किताबें → 49, नेट पब्लिकेशन्स, प्रकाशन वर्ष 1996 कुल पृष्ठ 3509 साईझ A-5 साहित्य कृति क्रम 001 से 049 [01] आगम-सुत्ताणि मूलं इस सम्पुट में मूल आगम है | इसमें 45 आगम 45 अलगअलग किताबो में प्रिन्ट करवाए है, 4 वैकल्पिक आगम भी उसमे समाविष्ट किये है | इस तरह (45 + 4 ) 49 आगमो का सम्पादन इस सम्पुटमें किया है, प्रत्येक सूत्र के अंतमे पूज्य सागरानंदसूरीजी संपादित 'आगममञ्जूषा' तथा वृत्ति के सूत्रांक भी लिख दिए है। Print हमारे इस प्रकाशनमे श्रुतस्कंध, शतक/अध्ययन/वक्षस्कार/पद/ प्रतिपत्ति, उद्देशक, सूत्र/गाथा आदि स्पष्टरूप से अलग दिखाई पड़े ऐसी विशिष्ट मुद्रणकला का यहाँ उपयोग हुआ है| प्रत्येक किताबे भी अलग-अलग एवं छोटे कद की होने से आगमो के पठन-पाठन में या उसे कंठस्थ करने में बहोत सरलता रहती है । 45 आगमो की अलग अलग किताब होने से 45 आगम पूजा, पूजन, रथयात्रा या गौतमस्वामी आदि पूजनके लिए सुविधाजनक है आगमसद्दकोसो, आगमनामकोसो, आगमविषयदर्शन, आगम कथानुयोग के मूल संदर्भ देखने के लिए ये प्रकाशन अति जरुरी है Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 [6] Publications on 03/07/2015 Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कतियाँ तमोगमा निमत देश आगमसुत्तााण __आगमसुत्ताणि मूलं Net | भाषा → प्राकृत प्रकाशन वर्ष 2012 कुल किताबें → 45, कुल पृष्ठ → 2810 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-4 'साहित्य कति क्रम 050 से 094 आयारी-१० मखमयसंगापण मुनि दीपरत्नसागर | [02] आगम-सुत्ताणि मूलं Net | इस सम्पुट में मूल 45 आगम ही है, परतु ये onLine आगम सीरीझ है, हमने 'वर्ड' के प्रोग्राम में यूनिकोड में 'मंगल' फॉन्ट में ये सभी आगम कम्पोझ करवाए है, A-4 की साईझ, बड़े अक्षर, मल्टी कलरमें कम्पोझ इत्यादि बाह्य परिवर्तन तो है ही, साथ में 'वर्ड' के प्रोग्राम के कारण कोई भी व्यक्ति इन आगमो को कोम्प्यूटर आदि माध्यम से स्वयं ही इसे कट-पेस्ट या एडिटिंग कर शकता है, कोई दूसरा पाठ मिले तो जोड़ शकता है, अपने मन-चाहे विषय अलग निकाल शकता है, ऐसी बहोत सुविधा यहाँ उपलब्ध करवाई है | इस सम्पादन में 'printed Edition' वाली सब विशेषता तो है ही, तदुपरांत सभी सूत्रों के अंक लाल कलर में तथा गाथाओं के अंक हरे कलरमें दिए है, सूत्र एवं गाथा स्पष्टरूप से विभाजित है, जिससे अभ्यासक एवं खोज करनेवाले को बहोत सुविधा रहेगी | इस सम्पुट में हमने वैकल्पिक आगमो को स्थान नहीं दिया है ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है Total Books 555 [1,00,013 Pages] | Muni Deepratnasagar's 555 zil Publications on 03/07/2015 Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ આગમ-સૂત્ર ગુજરાતી અનુવાદ Net भाषा , गुराती प्रकाशन वर्ष 2012 कुल किताबें - 47, कुल पृष्ठ → 3397 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5 साहित्य कृति क्रम 095 से 141 આગામદીપ-૩ ayari મુનિ દીપરત્નસાગર | [03] माराम-सूत्र गुराता मनुवाENet | हमारे मूल 45 आगम अर्धमागधी भाषामें है, जो साधु-साध्वी भाषा-ज्ञानसे वंचित है, शास्त्रीय कारण से आगम का पठन नहीं कर शकते है, आगमो की वांचना प्राप्त नही कर शकते है, इत्यादि कारणो से वे आगमिक पदार्थो के बोध को प्राप्त न हुए हो, ऐसे भव्यात्माए 'कल्पसूत्र' की तरह सरलतासे आगमो का अभ्यास कर शके या बोध प्राप्त कर शके, तथा भवभीरु आत्माए अपना जीवन मार्गानुसार बना शके ऐसा ये प्रकाशन है | इस संपुटमें 45 आगम मूल एवं 2 वैकल्पिक आगमो के साथ ४७ आगमो का अक्षरश: गुजराती-अनुवाद है। हमने पहले ये अनुवाद 7 भागोमें print करवाया था, अभी ये अलग-अलग 47 किताबो के रूप में आप हमारे OnLine publications में देख शकते है । अंदाजित 90000 श्लोकप्रमाण मल अर्धमागधी 45 आगमो का ये समग्र विश्व में सर्वप्रथम और एकमात्र गुजराती अनुवाद है | ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 [[8] || Publications on 03/07/2015 Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य आगमसूत्र-११ हिन्दी अनुवाद विपाक सूत्र आगम-सूत्र हिन्दी अनुवाद Net| भाषा - हिन्दी प्रकाशन वर्ष 2012 कुल किताबें → 47, कुल पृष्ठ 7 3684 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5 'साहित्य कृति क्रम 142 से 188 अनुवादकाः मुनि दीपरत्नसागर | [04] आगम-सूत्र हिन्दी अनुवाद Net अर्धमागधी-भाषामें प्राप्त 90000 श्लोकप्रमाण मूल 45 आगमो का ये हिन्दी अनुवाद है | 45+2 आगमो के गुजराती अनुवाद के बाद हमने उसी 47 आगमो का हिन्दी-अनुवाद भी किया था, जो 12 भागो में print करवाया था, उसी प्रकाशन को अब अलग-अलग 47 किताबो के रूपमें आप हमारे Net publications में देख शकते है| गुजराती-अनुवाद के अनुभव को नजर के सामने रखकर हमने हिन्दी अनुवाद करते समय अर्थ का विस्तार और पेरेग्राफो में आवश्यक वृद्धि कर दी, परिणाम स्वरुप यहाँ 287 पेज बढ़ गए | हिन्दीभाषी महात्मा भी आगम के पदार्थज्ञान से वंचित न रहे, ऐसे आशय से तैयार किया गया ये सम्पुट साहित्यिक मूल्यवाला तो है ही, साथमें गुजराती-भाषी आगमरसिको के लिए भी ये महत्वपूर्ण सन्दर्भशास्त्र बन चुका है| क्योंकि मूल-आगम, गुजराती-अनुवाद और हिन्दी अनुवाद तीनो में सूत्र-क्रमांकन एक समान ही है | ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 | [9] | Publications on 03/07/2015 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ OM नमो नमो निम्मलदसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य आगमसुत्ताणि सटीकं Net भाषा → प्राकृत, संस्कृत प्रकाशन वर्ष 2012 कुल किताबें → 46, कुल पृष्ठ → 13806 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5 । साहित्य कृति क्रम 189 से 234 जागामालपण (सटीकं) आचारा सूत्र-सटीक संभार:सम्ममा मुनि दीपरत्नसागर [05] आगम-सुत्ताणि सटीक Net आगम-सुत्ताणि सटीकं' नामसे ये एक संपुट है, जिसमें 45+1 वैकल्पिक आगम मिलाकर 46 आगम सामिल किए है | इन आगमो में 38 आगमो की वृत्ति/चूर्णि के साथ साथ उपलब्ध नियुक्ति एवं भाष्यों को भी स्थान दिया है, 2 आगमो की अवचूरी प्राप्त हुई है, शेष 5 पयन्ना की संस्कृत छाया प्रकाशित करवाई है, महानिशीथ पर कोई भी वृत्ति आदि उपलब्ध न होनेसे उसे मूल-रूपसे रखा है | हमने 30 भागोंमे इसे print करवाया था, वे अब 46 किताबो के रुपमें हमने Net publications में उपलब्ध करवाए है | समग्र विश्वमें 'पुस्तकों' के रुपमे 45 आगम टीका सहित प्राप्त हो ऐसा यह पहेला और एकमात्र प्रकाशन है | मूल-आगम, गुजराती-अनुवाद, हिन्दी-अनुवाद, आगम-सटीकं, इन सभी संपुटो में एक समान सूत्रांक होने से अभ्यासको को अपने पठन-पाठन, खोज-संशोधन आदिमें सूत्रपाठ मिलाने तथा अर्थ या वृत्ति देखने की बहोत सुविधा रहती है ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है Total Books 555 [1,00,013 Pages] | Muni Deepratnasagar's 555 [10]] Publications on 03/07/2015 Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ આગમસૂત્ર 521 सुहासागर આગમસૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ Net भाषा → गुठराती प्रकाशन वर्ष 2012 किताबें → 48, कुल नेट पब्लिकेशन्स, कुल पृष्ठ 10340 साईझ A-5 साहित्य कृति क्रम 235 से 282 [06] आगमसूत्र सटीक गुभराती अनुवाE Net इस सम्पुट में 45 आगम + 2 वैकल्पिक आगम एवं कल्पसूत्र मिलाकर 48 किताबे सम्मिलित है, हमने 42 भागोंमे इस सम्पुट को Print करवाया था, अब Net publications में 48 किताबो के रुपमे ये देख शकते है । इस सम्पुट में 30 आगमो का वृत्ति सहित अनुवाद, 2 आगमो की अवचुरी का अनुवाद, 2 आगमो का सानुवाद विवेचन, 12 आगम मूल रूप से, 1 आगम सार-रूपसे तथा कल्पसूत्र ये 48 आगमो का 10340 पृष्ठो में विस्तरीत गुजराती अनुवाद है | समग्र विश्वमें 45 आगमो के सटीक अनुवाद की ये सर्वप्रथम और एकमात्र घटना है । हमने हमारे मूल आगम, 2 आगम अनुवाद, आगमसुत्ताणि सटीक और ये सटीक अनुवाद, सभी में एक सामान सूत्रांकन किया है | जो अभ्यासक एवं संशोधकको अति-सहयोगकारी | प्रतीत हुआ है और ऐसी समान सूत्र - श्रृंखला कई भी प्राप्त नहीं है | . | इस संपुट का विमोचन बहोत बड़े समारोह के साथ हुआ था | . ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है। Total Books 555 [1,00,013 Pages] Publications on 03/07/2015 Muni Deepratnasagar's 555 [11] Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ नमोसमी मनाश पूमा बीमार बाग अमित शुभीम गुमलावर गुरदो लाश On Line आगममंजूषा [१] आयारो [07] आगम मञ्जूषा Net | भाषा → प्राकृत प्रकाशन वर्ष 2013 कुल किताबें → 53, कुल पृष्ठ → 1521 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-4 Landskep साहित्य कृति क्रम 283 से 335 पुनः संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता मुनि दीपरत्नसागर Ham Hanuman [07] आगममञ्जूषा Net | पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने करीब 70 साल पहले मार्बल एवं तामपत्र पर इस आगममंजूषा को अंकित और 20x30 के पेपर पर भी print करवाया था, वही आगममंजुषा को हमने किंचित् परिमार्जित करके, प्रत स्वरूपमें तबदील करके लेंडस्केप A-4 साईझ में NetPublication रूपसे प्रकाशित किया है 'आगममजूषा' मूल-रूपसे तो ये 1370 सलंग पृष्ठोमे print हुइ थी, मगर उसमें ४५ मूल-आगम, 2 वैकल्पिक-आगम, कल्पसूत्र, 5 आगम कि नियुक्तियाँ शामिल थी, हमारे Net Publications में हमने इन 53 शास्त्रो को अलग-अलग करके 53 स्वतंत्र किताबो के रुपमे रख कर, प्रत्येक किताब के साथ प्रस्तावनारूप पृष्ठ और स्वतंत्र Title हमने जोड़ दिया है, पूज्यश्री संपादित साहित्य जो अब तक आरसपत्थर, तामपत्र या 20x30 के बड़े कागझ पे था, उसे आप A-4 की छोटी साईझ पर छोटीछोटी किताब-रुपमे पा शकते है ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 [12]] Publications on 03/07/2015 Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ आगमसूत्राणि सटीकं (प्रताकार) Net| भाषा प्राकृत,संस्कृत प्रकाशन वर्ष 2015 आयारो मूलं एवं वृत्ति: कुल किताबें 751, कुल पृष्ठ 717992 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-4 Landskep साहित्य कृति क्रम 336 से 3861 नमा नमो निम्मलदसगस्त मुरपये मान-समानाधिन-मधामसागर गुरुज्यो तमा [मूल शाहस्वामी कृत नियुक्ति. शिलाकामा रचित वृत्ति पुनः संकलन-कर्ता मुनि दीपरत्नसागर MCAn. MLE. IT.LA [08] आगमसूत्राणि सटीक (प्रताकार) Net | पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने आगमो की वृत्ति, चूर्णि, भाष्य, निर्यक्ति आदि भी संपादित किए है | हमने सोचा की वो प्रत/पोथी-युग था, अब पुस्तक-युग और इंटरनेट प्रसिद्ध है, चलो इस प्रतो को A-4 साईझ के पुस्तक-रूपमें तबदील करके और इन की उपयोगिता बढ़ाकर Net publication के रूप में रख दे | हमने एक विशेष फोर्मेट बनाया, ऊस के बिच में मूल प्रतके एक एक पृष्ठ अलग-अलग रख दिए. फिर जो आगम संपादित हो रहा हो, उसके प्रत्येक पेज पर ऊस आगम का क्रम, नाम, प्रकार, प्रकारका क्रम हमने लिख दिए, ऊस लाइन के नीचे ऊस आगम का जो श्रुतस्कंध, अध्ययन, उद्देश, सूत्र/गाथा, नियुक्ति आदि उस पेज पे चल रहे हो, वे सभी अंको को प्रत्येक पेज पर लिख दिए, बायीं तरफ प्रत सूत्रांक और 'दीपरत्न' सूत्रांक लिख दिए, ऊस प्रतमें कोई विशेष विषयवस्तु हो या अध्ययनादि की सूचना हो या मुद्रणदोष हो तो उसे नीचे फूटनोट में लिख दिए | बाद में मल्टीकलर में वो सब मेटर net पे रख दिया | ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है Total Books 555 [1,00,013 Pages] | Muni Deepratnasagar's 555 [13]| Publications on 03/07/2015 Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ આગમદીપ छ મુનિ દીપરત્નસાગર आगमसूत्र गुष्ठराती अनुवाह Print प्रकाशन वर्ष 1997 कुल पृष्ठ 2962 साईझ A-5 भाषा → गुठराती कुल किताबें →7, नेट पब्लिकेशन्स, साहित्य कृति क्रम 387 से 393 [09] आगमसूत्र शुभराती अनुवाE Print ये हमारा Print Publication है, इसमें हमने 'आगमहीय' नामसे सात पुस्तकों के संपुट में मूल 45 + 2 वैकल्पिक आगमो को मिलाकर 47 आगमसूत्रों का गुजराती अनुवाद किया था | अब तो ये प्रकाशन Net publication बनकर 47 किताबके रुपमे मौजूद है अर्द्धमागधी में अंदाजित 90000 श्लोक - प्रमाण आगम-साहित्य का ये संपूर्ण गुजराती - अनुवाद है, 45 आगमोमें पिंडनिर्युक्ति के साथ विकल्पमें ओघनिर्युक्ति है और पयन्ना सूत्र में भी गच्छाचार के विकल्पमें चंदावेज्झय है, ये दोनों को जोड़कर हमने 47 आगमो का गुजराती-अनुवाद करके Print-publication किया था | 'मूल - आगम' और 'गुजराती - अनुवाद' दोनोंमें सभी सूत्रों के क्रम हमने एक समान दिए है, इस से किसी भी सूत्र का अनुवाद या मूल देखने या पढ़ने में बहोत सुविधा रहती है और जिनको मूल सूत्र के पठन की इजाजत नहीं है वे सिर्फ अनुवाद की किताब पढ़ शकते है| Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 [14] Publications on 03/07/2015 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य जारी सो नियनहसार आगमस आगम-सूत्र हिन्दी अनुवाद Print| भाषा - हिन्दी प्रकाशन वर्ष 2001 कुल किताबें → 12, कुल पृष्ठ 7 3109 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5 साहित्य कति क्रम 394 से 4051 मुनि दीपरतासागर [10] आगम सुत्ताणि सटीकं Print ये हमारा Print Publication है, हमने आगमसूत्र हिन्दीअनुवाद नामसे 12 पुस्तकोंका संपुट बनाया था, जिसमें मूल 45+2 वैकल्पिक आगमो को मिलाकर 47 आगमसूत्रों का हिन्दी-अनुवाद किया था | अब ये प्रकाशन Net publication बनकर 47 किताब के रुपमे मौजूद है | अर्द्धमागधी में अंदाजित 90000 श्लोक-प्रमाण आगम-साहित्य का ये संपूर्ण हिन्दी-अनुवाद है, 45 आगमोमें पिंडनियुक्ति के साथ विकल्पमें ओघनियुक्ति है और पयन्ना सूत्र में भी गच्छाचार के विकल्पमें चंदावेज्झय है, ये दोनों को जोड़कर हमने 47 आगमोका हिन्दी-अनुवाद करके Print-publication किया था | 'मूल-आगम' और 'हिन्दी-अनुवाद' दोनों में सभी सूत्रों के क्रम हमने एक-समान दिए है, इस से किसी भी सूत्र का अनुवाद या मूल देखने या पढ़ने में बहोत सुविधा रहती है और जिनको मूल-सूत्र के पठन की इजाजत नहीं है वे सिर्फ अनुवाद की किताब पढ़ शकते है। Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 [15]] Publications on 03/07/2015 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ आगमसुनाणि (सटीक) आगमसुत्ताणि सटीकं Print | | भाषा → प्राकृत, संस्कृत प्रकाशन वर्ष 2002 कुल किताबें - 30, कुल पृष्ठ 7 13216 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5 । साहित्य कृति क्रम 406 से 435 भाग: मानवापरता [11] आगम सुत्ताणि सटीकं Print ये हमारा Print Publication है, इसमें हमने 'आगमसुत्ताणिसटीकं' नामसे 30 पुस्तकों का संपुट बनाया था, जिसमें मूल 45+1 वैकल्पिक आगम को मिलाकर 46 आगमसूत्रों की संस्कृत/प्राकृत वृत्ति/चूर्णि को संपादित किया है | अब तो ये Net publication बनकर 46 अलग-अलग किताबो के रुपमें मौजूद है। ___ये 3,25,000 श्लोक-प्रमाण टीका-साहित्यका सम्पादन है,टीका साहित्यमें वृत्तियाँ संस्कृतमें है और चूर्णियाँ, भाष्य तथा निर्यक्तियाँ प्राकृत-भाषा में है, 45 आगमोमें पिंडनियुक्ति के साथ विकल्पमें ओघनियुक्ति भी होती है, इसिलिए हमने 46 सटीक आगमो को यहाँ सम्पादित करके Print-publication करवाया था | सटीक 45 आगमो का संपुट समग्र विश्वमें ये एक ही उपलब्ध है | तदुपरांत इस सम्पादनमें अनुक्रमणिका है, गद्य-पद्य का स्पष्ट विभाजन है, प्रत्येक पृष्ठ पर अध्ययन, उद्देशक सूत्र/गाथा, नियुक्ति इत्यादि का स्पष्ट उल्लेख प्राप्त है, ऐसी अनेक विशेषताए है | Total Books 555 [1,00,013 Pages] | Muni Deepratnasagar's 555 [16] Publications on 03/07/2015 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ આગમસત્ર els teu વિપાક સૂત્ર 'सामसूत्र सटी गुशता मनुवाद Print | भाषा + १४राती प्रकाशन वर्ष 2009 कुल किताबें - 42, कुल पृष्ठ 7 9700 नेट पब्लिकेशन्स, ईझ A-5 साहित्य कृति क्रम 436 से 477 BHUtsansqr20RCसार [12] आगम सत्ताणि सटीक Print ये एक Print Publication है, 'मागमसूत्र सटी अनुवाह' नामसे हमने यहाँ 42 पुस्तकों में 45+2 वैकल्पिक-आगम तथा कल्पसूत्र मिलाकर 48 आगमसूत्रों का टीका (वृत्ति) सहित गुजराती अनुवाद किया था | अब तो ये प्रकाशन Net publication बनकर 48 अलग-अलग किताबो के रुपमे मौजूद है। मेरे सामने जब पिंडनियुक्ति, दशवैकालिक, आचारांग, भगवती उत्तराध्ययन, आदि कुछ आगमो का टीका सहित अनुवाद सामने आये तब मैंने सोचा की 45 आगमो का सटीक-अनुवाद मै खुद करके प्रिंटिंग कराल, स्व-पर समुदाय के आचार्य-भगवंतो की अनुज्ञा प्राप्त करके अनुवादकार्य शुरू कर दिया, 5 साल में पूरा भी हो गया और 2002-2003 में विश्व के 14 देशो में ये सम्पुट पहुँच गया | राजकोट से स्थानकवासी संप्रदायने जब आगमो के विवेचनसह गुजराती अनुवादकी किताबे प्रकाशित की तब इस संपुट का सादयंत उपयोग किया, पू. जम्बविजयजी ने भी तीन बार ये सेट ख़रीदे थे | Total Books 555 [1,00,013 Pages] | Muni Deepratnasagar's 555 |[17]| Publications on 03/07/2015 Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य Veerstava (Aagams notress, Pratimes Meaning with Details Aagam Sootra English Translations Net भाषा - English प्रकाशन वर्ष 2013 कुल किताबें → 11, कुल पृष्ठ → 410 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-4 साहित्य कृति क्रम 478 से 4881 JAIN MUNI DEEPRATNASAGAR | [13] Aagamsootra English Translations Net/ ये Net publication है, हमने 'Aagam-Sootra English Translations' नाम से ये सीरीझका आरंभ किया था, 45 आगमके इंग्लिश-अनुवाद कार्यमें मै 11 आगम का अनुवाद कार्य कर शका हूं, ईसीलिए अभी 11 Publications हमने Net पर रक्खे है, शरीर का साथ मिला तो बाकी आगमका Translation भी करने की भावना है हमने Translation करते वक्त एक मर्यादा का अनुभव किया की- जैन-पारिभाषिक-शब्दों का मूल भाव न बिगड़े इस तरह अनुवाद करना कभी कभी मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन होता है, उस वक्त मूल शब्द को ही अवतरण चिह्न या इटालिक टाइप में रखना पड़ता है, कहीं कहीं तो ऐसा भी महेसुस हुआ है की सांस्कृतिक तफावत के कारण हम दूसरी भाषावालो को यथायोग्य सूत्र-भाव पहुंचा ही नहीं शकते है | इन सभी कारणोंसे आगे का कार्य रुक गया है, English में सुव्यवस्थित परिभाषाए प्रस्तुत करने के बाद ही अब कार्य होगा | ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है Total Books 555 [1,00,013 Pages] | Muni Deepratnasagar's 555 [18] Publications on 03/07/2015 Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ नमो नमो निम्मानसमास मागम यानुयोग-3 माम 5थानुयो Print भाषा , ४राती प्रकाशन वर्ष 2004 कुल किताबें 76, कुल पृष्ठ 7 2172 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-4 साहित्य कृति क्रम 489 से 494 mund મુનિ દીપ૨rofસાગર [14] माराम थानुयाLPrint ये Print-Publication है, मामसूत्र थानुयो। नामसे हमने 6 किताबोका संपुट बनाया है, इसमें कथानुयोग नामक अनुयोग की मुख्यता है, मूल-आगम, नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि और वृत्ति में प्राप्त सभी कथानको को इकट्ठा करके, उन सब कथाओ को अलग अलग विभागो में मैंने रख दी, फिर उनका योग्य संकलन करके गुजराती अनुवाद कर दिया और 6 किताबो में print करवा दिया | इस कथानुयोगमें तीर्थंकर, चक्रवर्ती, वासुदेव, बलदेवादि उत्तम पुरुषो के कथानक; . गणधर, प्रत्येकबुद्ध, निहलव, श्रमण, श्रमणी, और गोशालक के कथानक; . श्रावक, श्राविका, अन्यतिर्थिक, देव, देवी, प्राणी वगेरैह के कथानक तथा प्रकीर्ण कथानको एवं छोटे छोटे दृष्टांतों का समावेश हुआ है | प्रत्येक कथा के अंतमें ऊस कथाके सभी आगम-संदर्भ लिखे है, जिससे मूल स्रोत देख शकते है | छडे भाग के अंतमे मैंने प्रत्येक कथा का अ-कारादि क्रम भी लिख दिया है, जिससे कोई भी कथा आसानीसे मिल शके | Total Books 555 [1,00,013 Pages] | Muni Deepratnasagar's 555 [19]| Publications on 03/07/2015 Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मैनेनमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य ममा नमो निम्मानमसाला આમવિષય-દર્શત गुराता माम विषय शन/मनुम Print+Net भाषा राती प्रकाशन वर्ष 2000 कुल किताबें → 2, कुल पृष्ठ → 726 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-4 + A-5 साहित्य कृति क्रम 495 से 496 विवय लZIES भूNिNER [15] माराम विषय हशन Print + Net इस फोल्डर में 2 किताबे है, [1] मारामविषयहर्शन Printed है, [2] समविषयमनुम Net Publicate है | दोनों किताबो में विषयवस्तु एकसमान है, फर्क ये है की एक A-5 साईझ में मुद्रित करवाई है और दूसरी A-4 साईझ में, मल्टीकलरमें कम्पोझ की है | इस कृति में मैंने 45 आगमो की विषद् रूप से अनुक्रमणिका बनाई है, इसमें प्रत्येक आगम के प्रत्येक सूत्र/गाथा के विषयो को उसी आगमो के सूत्र-क्रमांकन अनुसार सुस्पष्ट और पृथक्-पृथक् रूप से दिया है, जिससे कोई भी अपने मनपसंद/आवश्यक या अपने संशोधन/लेखन अनुरूप विषय सरलता से पसंद कर शकता है। यहाँ प्रस्तुत विषयअनुक्रम की भाषा भले ही गुजराती है, मगर आप इस पुस्तककी मदद से हमारे गुजराती, हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत या इंग्लिश किसी भी प्रकाशन में जाकर अपना मनपसंद विषय ढुंढ शकते है, क्योंकि सभी प्रकाशनोंमें एकसामान सूत्र-क्रमांकन किया है Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 ||2011 Publications on 03/07/2015 Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मासमास नमीमा निम्नास नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ आगम-कोसो Print भाषा प्राकृत,संस्कृत,गु४राती [2001] कुल किताबें 75, कुल पृष्ठ 72392 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5 साहित्य कृति क्रम 497 से 501 | आगमसइकोसो-१ (कृष्णा अ. ओ पन्नाः आगम-कहा-कोसो आगम-नाम-कोसो मुनि दीपरलमागर मुनि दीपरत्नसागर ' [16] आगम-कोसो Print यहाँ 5 मुद्रित प्रकाशन है→ [1-4] आगम सकोसो, जिसे हम 'A Referential Word Dictionary of 45 Aagam' कह शकते है, [5] आगमनामकोसो, जिसे हम 'A Noun Dictionary of 45 Aagam' कह शकते है | 'आगमसद्दकोसो' में 46000 आगम-शब्द, उनके संस्कृत और गुजराती अर्थ तथा उनके 3,75,000 आगमसंदर्भ आप को मिलेंगे, ये चार भागोंमे और 2200 से ज्यादा पृष्ठो में 'अ' से 'ह' पर्यंत शब्दों को डिक्शनरी रूप से मुद्रित करवाए है | __आप को कोई भी अर्धमागधी आगम-शब्द मूल 45 आगमो में खोजना हो तो मूल आगमो में जहां-जहां वह शब्द का उपयोग हुआ हो वे स्थान इस डिक्शनरी में सरलता से देख शकते है, क्योंकी मैंने प्रत्येक शब्दों के सभी आगम-संदर्भ यहाँ लिख दिए है। आगम-कोस संबंधी हमारा पांचवा प्रकाशन है-- 'आगम नाम कोसो' जो मूल-आगम, नियुक्ति, भाष्य, चूर्णी, व्रत्ति में आनेवाले सभी कथानक और मुख्य नामो की एक डिक्शनरी है | Total Books 555 [1,00,013 Pages] | Muni Deepratnasagar's 555 [21] Publications on 03/07/2015 Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य य-काताया व्याकरण साहित्य print | भाषा → संस्कृत, १४राती प्रकाशन वर्ष 1987 कुल किताबें → 5, कुल पृष्ठ 7 1048 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-4 साहित्य कृति क्रम 502 से 506 | अभिनय हेम' सधुप्रजिया-२ મુનિ દીપરત્નસાગર [17] व्याकरण साहित्य print यहाँ 5 मुद्रित प्रकाशन है→ [1-4] अभिनव'हेम'लघुप्रक्रिया और [5] कृदंतमाला | महोपाध्याय विनयविजयजी कृत् 'लघुप्रक्रिया' पर सिद्धहेमशब्दानुशासन तथा उससे संबंधित अनेक संदर्भग्रंथो से तैयार किया हुआ ये 1000 से ज्यादा पेज का ये ग्रन्थ है, गुजराती भाषाके माध्यमसे 'हेम'-संस्कृत व्याकरणका सघन अभ्यास हो शके इस तरह मैंने ग्रन्थ-सर्जन किया है । प्रत्येक सूत्रोंको सात विभागोमें विभाजित करके रखे है, जैसे की सूत्र, अर्थ, वृत्ति, वृत्यर्थ, अनुवृत्ति, विवेचन आदि और प्रचुर प्रमाण में परिशिष्ठ भी दिए है | संस्कृत व्याकरण का स्वयं अभ्यास करने के लिए ये उत्तम प्रकाशन है | व्याकरण संबंधी हमारा पांचवा प्रकाशन है 'कृदंतमाला', जिसमें हमने 125 धातु (क्रियापदो)के 23 प्रकारों से होनेवाले कृदंतो का एक कोष्टक बनाके दिया है | दो 'संस्कृत-बुक' तक के अभ्यासमें आते हुए सभी धातुओं के कृदंतो के तैयार रूप यहाँ प्राप्त होते है | Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 [22]] Publications on 03/07/2015 Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित नलो नमो निम्ममा सनम ममी नमो निम्मालसमता અવિનવ દશ પ્રાસાહ-ર आपलायो ११ की १४) નવપદ-શ્રીપાલ fed સાધુ SMSAT રાહત - અરમાર્ચ mer's: ध्यान्याता મુનિ દીપરત્નસાગર મુનિ દીપરત્નસાગર | __व्यायान साहित्य Print | भाषा पुराती प्रकाशन वर्ष 1990 कुल किताबें +5, कुल पृष्ठ 7 1218 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5 साहित्य कृति क्रम 507 से 510 [18] व्याण्न्यान साहित्य यहाँ 4 मुद्रित प्रकाशन है।[1-3] AMAGuशासा और [4] नव-श्रीपाल, 'अभिनवउपदेशप्रासाद' स्वतंत्र व्याख्यानमाला है, 'मन्नह जिणाणं' नामक सज्झायमें निर्दिष्ट श्रावक के 36 कर्तव्य पर 108 व्याख्यान यहाँ समाविष्ट है, प्रत्येक व्याख्यानके लिए दशदश पृष्ठ, प्रत्येक का आरम्भ श्लोकसे, प्रत्येक व्याख्यान में जैनेत्तर प्रसंग, संबंधित कर्तव्य की तात्त्विक व्याख्या एवं समज, जैनकथा तथा कर्तव्य के अनुरूप स्तवनादि पंक्ति की सुन्दर श्रृंखला है | जिन साधु-साध्वी का क्षयोपशम मंद हो या किसी कारण से वे शास्त्रीय व्याख्यान देने में असमर्थ हो, तो उनके लिए ये व्याखानसंग्रह पूरा चातुर्मास बिताने के लिए एक बड़ा तोहफा है | 'नवपद-श्रीपाल' किताब का सर्जन शाश्वती ओळी के व्याख्यान के लिए हुआ था, जिस में नव पद का अलग-अलग विवेचन है, और साथ में नव दिनों में श्रीपालचरित्र भी पूरा हो जाए, ऊस तरह नव व्याख्यानों का संकलन किया है | Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 [[23]| Publications on 03/07/2015 Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ नोनmein सोनलो निमसलन तपार्थ सूत्रणा माधान भ तत्त्वाल्यास साहित्य-1 Printed | भाषा, .,सं.,प्रा.,हि.,Eng. [1994] कुल किताबें 713, कुलपृष्ठ72086 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5 साहित्य कृति क्रम 511 से 523 वाथ અભિનવ ટીકા -४ findiaમુનિ દીપરત્ન સાગર મુનિ દીપરત્નસાગર [19-1] तत्त्वाल्यास साहित्य Printed | यहाँ 13 कृतियाँ है, जिसमें 12 मुद्रित है, और 1 इंटरनेट पे है [1] तत्वार्थसूत्र प्रमोघटी। अध्याय-१, [2-11] तत्वार्थाधिगमसूत्र लिनवटी' अध्याय 1--10, [12] 'तत्त्वार्थसूत्रना माराम-साधारस्थानी, [13] तत्त्वार्थसूत्र के 84 प्रकाशनों का संपुट | [1] तत्त्वार्थसूत्र प्रबोधटीका:- इस किताब में सिर्फ अध्याय-1 का दशांगी विवरण है | जो सन 1990 में print हुई थी | [2] तत्त्वार्थाधिगमसूत्र अभिनवटीका:- इसमें प्रत्येक अध्यायकी अलग-अलग किताब बनाकर 10 पुस्तकों में 10 अध्याय print किए है | इन दश भागोंमें तत्त्वार्थसूत्र का विस्तृत विवेचन है, जिसमें सूत्र-हेतु, मूलसूत्र, सूत्र-पृथक्, सूत्रार्थ, शब्दज्ञान, अनुवृत्ति, अनेक संदर्भग्रंथो के आधार से तैयार की गई अभिनवटीका, सूत्र-संदर्भ, सूत्र-पद्य, सूत्र-निष्कर्ष; ये दश विभाग है | प्रत्येक अध्याय के अंतमें सूत्र-क्रम, अ-कारादि-क्रम, श्वेतांबर-दिगंबर पाठभेदादि परिशिष्ठ है और दशवें अध्याय के अंतमें शब्दसूची और विषयसूची दिए है | Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 [24]| Publications on 03/07/2015 Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ नोनmein सोनलो निमसलन तपार्थ सूत्रणा साधा तत्त्वाभ्यास साहित्य-2 Printed | भाषा, गु.,सं.,प्रा.,हि.,Eng. [1994] कुल किताबें 713, कुलपृष्ठ » 2086 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5 साहित्य कृति क्रम 511 से 523 रवार म અભિનવ ટીકા -४ findiaમુનિદીપરત્ન સાગર મુનિ દીપરત્નસાગર [19-2] तत्त्वाभ्यास साहित्यprinted तत्त्वार्थसूत्रना आगमआधारस्थानो' ये संशोधन कक्षाकी किताब है, जिसमें तत्त्वार्थके सभी सूत्रका मूल-आगम संदर्भपाठ और संदर्भ स्थल निर्देश है, श्वेतांबर-दिगंबर पाठभेद तालिका है | इस की मदद से आप तत्त्वार्थसूत्र के किसी भी सूत्रका आगमपाठ खोज शकते है | ___'तत्त्वार्थसूत्र के 84 प्रकाशनों का संपुट' ये 13 पेज की एक पुस्तिका है | जिसमें हमारी बनाई हुई 'तत्त्वार्थसूत्र' संबंधी DVD का परिचय है, फिर भी अगर कोई इस पुस्तिका को संदर्भ समझ कर उपयोग करे तो की मदद से 72 बुक्स और 12 Articles को पढ़ शकते है | इस DVD में गुजराती, हिन्दी इंग्लिश, संस्कृत और अन्यभाषामें श्वेतांबर, दिगंबर और अन्यकर्तृक कृतियाँ है, जिसमें मूल-तत्त्वार्थसूत्र, सूत्रका अर्थ, सूत्र पर किया गया विवेचन, सूत्र के संबंधमें हए अन्य सर्जन प्राप्त होते है| इस डीवीडी में हमने तत्त्वार्थ सूत्र के 84 प्रकाशनोके 27930 पेजका संकलन किया है | समग्र विश्व में ऐसा और कोई संकलन नहीं मिलेगा | Total Books 555 [1,00,013 Pages] | Muni Deepratnasagar's 555 |[25]] Publications on 03/07/2015 Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य 0 વિતાગસ્તુતિ સંચય 'निलत साहित्य-1 Printed भाषाशुराती, हिन्दी,संस्कृत [1990] | कुल किताबें 79, कुलपृष्ठ 71196 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5, A-6 साहित्य कृति क्रम 524 से 532 शचंजय भक्ति મુનિ દીપરત્નસાગર मनिwalRAM 20-21नलत साहित्य Printed | इस फोल्डरमें 9 प्रिंटेड किताबे है, 5 गुजरातीमें, 4 हिन्दी में| [1] गुजराती में, [1] येत्यवान [2] वित स्तुति, [3] शत्रु४य मात, [4] सिद्धायला नी साथी, [5] येत्य परिपाटी और [2] हिन्दी में [1-3] चैत्यवंदन संबंधी 3, [4] शत्रुजय भक्ति **यहाँ चैत्यवंदन की किताबो में 779 चैत्यवंदनो का संग्रह है, जिस में पर्वदिन तथा पर्वतिथि के चैत्यवंदन है, चोवीस जिन की चौविसी है, जिसमे दो संस्कृत चौविसी भी है, विविध तीर्थोमें बोल शके ऐसे तथा तीर्थंकरसंबंधी विविध बोलयुक्त चैत्यवंदन भी है | गुजराती में एक ही किताब में ये संग्रह है, हिन्दी में इनके लिए 3 किताबे है चैत्यवंदन-पर्वमाला. चै०चौविसी, चै तीर्थ-जिन विशेष | वीतरागस्तुति में (900 गुजराती+251संस्कृत) 1151 भाववाही स्तुतियाँ है | जिसमे 24 तीर्थकर के सामने बोल शके ऐसी 10-10 स्तुतियाँ एवं विविधतीर्थोमें बोलने लायक स्तुतियाँ भी है, दुष्कृतगर्दा और शुभभावना की स्तुतियाँ भी है, ऐसी अनेक विविधता इसमें है | ' Total Books 555 [1,00,013 Pages] | Muni Deepratnasagar's 555 [26] Publications on 03/07/2015 Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ વિતરાગ સ્તુતિ સંચય મુનિ દીપરત્નસાગર જિનભક્તિ સાહિત્ય-2 भाषा→गु४राती, हिन्दी, संस्कृत [1990] कुल किताबें →9, कुलपृष्ठ 1196 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5, A-6 साहित्य कृति क्रम 524 से 532 Printed शत्रुंजय भक्ति नीलसागर [20-2] निलति साहित्य Printed ‘शत्रुंजय-भक्ति'में शत्रुंजय की यात्रा के वक्त तलेटी, शांतिनाथ, रायणपगला, पुंडरीकस्वामी, आदीश्वरदादा और घेटीपगला के सामने उन स्थानोंके संपूर्ण अनुरूप ऐसी स्तुतियाँ, चैत्यवंदन, स्तवन, थोय का ये सबसे पहला संग्रह था | साथमे ऊन स्थानो की फोटो भी है । 'सिद्धायत नो साथी' किताबमें 'शत्रुंजयभक्ति' तो पूरी सामील कर ही दी है, साथमें 'सिद्धाचल की भावयात्रा' और 'सिद्धाचल' के उपरोक्त छह स्थानों के अनुरूप दुसरे स्तवन भी जोड़ दिए है | ‘चैत्यपरिपाटी' पुस्तिका में पालडी, अमदावाद के 42 चैत्यो की यात्रा है, जिस में आप को मीलेगी प्रत्येक जिनालय में बोलने के लिए अलग-अलग 3-3 स्तुतियाँ, ताँकि प्रत्येक जिनालयमें सब साथ मिलकर परमात्मभक्ति कर शके | थोय के जोड़े, स्तवनो और सज्झायो के संग्रह तो प्राप्त हो चुके थे, मगर अबतक चैत्यवंदनो और परमात्मा के सन्मुख बोलने की स्तुतियो का संग्रह अप्राप्त था, इसीलिए हमने प्रगट कर दिए | [1,00,013 Pages] Total Books 555 Muni Deepratnasagar's 555 [27] Publications on 03/07/2015 Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ જન એડ્યુકેશનલા સર્ટીફિકેટ કોર્સ પ્રતિક્રમણસૂત્ર અભિનવ વિવેચન सूत्र-मल्यास साहित्य Printed भाषा-गुती ,प्राकृत,संस्कृत [2004] कुल किताबें +5, कुल पृष्ठ 71428 | नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5, A-6 साहित्य कृति क्रम 533 से 537 Ans: Liaomi મુનિ દીપરતનસાગર | [21] सूत्र-सल्यास साहित्य printed | इस में 5 किताबे है, [1-4] 'प्रतिभए।सूत्र लिनव विवेयन', [5] हैन मेऽयुशनल साइ82-डीसं. प्रतिक्रमणसूत्र अभिनव विवेचन चार भागोंमे 1253 पृष्ठो में print करवाई हुई किताब है, इसमे मैंने दो प्रतिक्रमण सूत्र पर सात अंगो में विस्तृत विवेचन किया है | ये सात अंग इस प्रकार है , सूत्र-विषय, सूत्र-मूल, सूत्र-अर्थ, शब्दज्ञान, विवेचन, विशेष-कथन, सूत्र-नोंध| अभिनवविवेचन में मैंने आगम और पूर्वाचार्य रचित ग्रंथो का सहारा लेकर, मूलसूत्र के महत्त्वपूर्ण शब्द, प्रत्येक वाक्य अथवा गाथाओं के प्रत्येक चरण का अति विस्तृत विवेचन किया है, इसमे अनेक संदर्भ साहित्य और आगमो के साक्षी-पाठ दे दिए है | 'जैन एड्युकेशनल सर्टिफिकेटकोर्स' पंच प्रतिक्रमणके साथ-साथ उपयोगी स्तुति आदि काव्य विभाग, जैन भूगोल, सूत्र एवं सामान्य ज्ञान के प्रश्नोत्तर, छोटी कहानिया, आवश्यक क्रियाकी विधिया, 24 तीर्थंकर परिचय आदि का 6 साल के सर्टिफिकेट कोर्स की किताब है Total Books 555 (1,00,013 Pages) Muni Deepratnasagar's 555 [28] Publications on 03/07/2015 Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य नमो नमा निम्मान समारत સમાધિ साराधना साहित्य Printed | भाषा → ४२राती, प्रकाशन वर्ष 1991 कुल किताबें +3, कुल पृष्ठ 7434 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5, A-6 साहित्य कति क्रम 538 से 540 Maitaminal: મુનિ દીપરત્નસાગર [22] माराधना साहित्य Printedi आराधना साहित्य में हमारी तिन किताबे गुजराती में है → [1] समाधिभ२५:- अंत समय और भाविगति सुधारने के लिए मरण के वक्त चित्त समाधि बनी रहे ऐसी आराधनाविधि, आराधना सूत्रो, आराधना पद्यो वगेरैह सात अलग-अलग विभागों में विभाजित ऐसा 350 पृष्ठो का दळदार पुस्तक, जो बारबार पठनीय है | [2] साधु-साध्वी अंतिम माराधना:- साधु-साध्वी को अंतिम समय सुधारने के लिए नित्य करने योग्य ऐसी ये आराधना है, मल प्राकृत और संस्कृतमें ग्रंथस्थ विधि को मैंने सरल गुजरातीमें प्रस्तुत किया है, पंचाग जैसा कद होनेसे साथ रखना आसान है | [3] श्रावतिम याराधना:- श्रावक-श्राविका को अंतिम समय सुधारने के लिए नित्य करने योग्य ऐसी ये आराधना है, मूल प्राकृत और संस्कृतमें ग्रंथस्थ विधि को मैंने सरल गुजरातीमें प्रस्तुत किया है, पंचाग जैसा कद होनेसे साथ रखना आसान है | Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 [29]] Publications on 03/07/2015 Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ नमो नये निम्मनदेशमा સાધ-સાદની ચાંતિ!! આટાપુની या SHADula દીક્ષા-યોગાદિ વિધિ ala ularul Printed भाषा गुराती, सं०, प्रा० [1999] कुल किताबें +3, कुल पृष्ठ-296 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5, A-6 ___ साहित्य कृति क्रम 541 से 543 | મુનિ દીપરત્નસાગર [23] विधि साहित्य Printedi विधि साहित्य में हमारी तिन किताबे गुजराती+ [सं०,प्रा०]में है, [1] El-योul al:- इस किताबमें दीक्षाविधि, आवश्यकादि योगविधि, वडी-दीक्षाविधि, पद-प्रदानविधि दी गई है, आगे-पीछे पत्ते पलटे बिना ही विधि करवा शके ऐसा ये विशिष्ट प्रकाशन है। [2] साधु-साध्वी धर्म विधि:-ये किताब पंचांग जैसे छोटे कद में print करवाई है, साथ रखनी सरल है, साध-साध्वी के काळधर्मके वक्त साधु तथा श्रावकोको करनेकी विधि का स्पष्ट विभाजन है और अगर कोई पालखी बनाना चाहे तो पालखीकी फोटो भी अंतमें दी है। [3] ale संग्रह- १:- दीक्षा-विधि, योग-विधि, अनुष्ठान-विधि, वडीदीक्षा-विधि, कालिकयोग-विधि, काळग्रहण-विधि, पदप्रदान-विधि, पाटली-विधि, सज्झाय-विधि आदि अनेक विधिओ को सरलता से कर शके और करवा शके ऐसी स्पष्ट प्रस्तुती के साथ बनी हुई किताब | Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 |[30]] Publications on 03/07/2015 Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ नमो नमो निस्स શ્રી પાર્શ્વ પદ્માવતી મહાપૂજન વિધિ Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ શ્રાવકના બાર વ્રત नियोजी મુનિ દીપરત્નસાગર प्रडीए साहित्य-1 Printed भाषा गुराती, हिन्दी कुल किताबें→10, कुलपृष्ठ 490 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5, A-6 साहित्य कृति क्रम 546 से 555 [25-1] प्रडीए साहित्य printed જિનમંદિર-ઉપાશ્રથ બાદિ B-2-52-8 इस फोल्डर में हमने 10 किताब रक्खी है । वे इस प्रकार → 1 - योधडिया तथा होरा नी अयभी समय र्शिst : - इस पुस्तिका में पुरे साल के 365 दिनों में प्रत्येक दिनों के 16 चोघडिए तथा 24 होरा के समय की गिनती करके रेडी रेकोर्ड टेबल बनया है | 2- अमहावाहना निमंहिर उपाश्रयाहि डिरेक्टरी:- इसमें अमदावाद के जिनालय, उपाश्रय, आयंबिलभवन, ज्ञानभण्डारादि की माहिती है | 3- नवकार मंत्र भय-नोंधपोथी :- जपसंख्या की नोंध के लिए छोटी डायरी बनाई है, जिसमें प्रत्येक माला का एक ऐसे 9000 खाने है | 4- यारित्र १ रोपनी नोंघपोथी- जपसंख्याकी नोंके लिए० 5- हीपरत्नसागर द्वारा प्राशित साहित्य:- 2010 तक प्रकाशित 301 किताबों की यह सूची है, इसमें दीपरत्नसागर द्वारा लिखित/ सर्जित/अनुवादित/संपादित / संकलित /प्रस्तुत साहित्य के 18 विभागों में और 301 किताबो के नामो के साथ बनाई गई सूची है । Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 [32] Publications on 03/07/2015 Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य જિનમંદિર-ઉપાશ્વથ આદિ डि-2-52 શ્રાવકના બાર વતી Hanumaai.ala uslyi ularu-2 Printed भाषा → ४२ती, हिन्दी कुल किताबें, 10, कुलपृष्ठ-490 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5, A-6 'साहित्य कति क्रम 546 से 555 5 મુનિ દીપરત્ન-નાગઢ [25-2] ही साहित्यprinted | 6- श्रावना पारवत तथा अन्य नियमा:- सरलता से बारहव्रत ले शके ऐसा स्पष्ट विभाजन, जयणा के लिए अलग खाने इत्यादि से युक्त ऐसी व्रतग्रहण करने के लिए सुन्दर पुस्तिका | 7- सलिनवनपयां:- तिथि, तारीख आदि के साथ नवकारसी से परिमड्ढ, कम्बली का काल, पोरिसी समय, शाम को दो घडी आदि की गिनती के साथ 1984 में निकाला गया सर्व प्रथम प्रकाशन | 8- यमी संप स्थ:- सागर समुदाय के साधुओ के एड्रेस है | 9- श्री ज्ञान५६ ५%81:- व्याखानग्रन्थके आरंभमें, बारसासूत्र, कल्पसूत्र श्रवणके पहले बोलनेके लिए ज्ञानकी स्तुति आदि की छोटीकिताब | 10- मुनि दीपरत्नसागर की साहित्ययात्रा:- इसमें 'दीपरत्नसागर की साहित्ययात्रा' में 2013 तक हुए 491 पकाशनो का वर्णन है, वर्ष अनुसार और भाषा अनुसार दीपरत्नसागरजीकी साहित्ययात्राके बढ़ते कदम और 24 फोल्डरमें समाविष्ट 491 किताबो की पूरी सूची है | Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 [33]| Publications on 03/07/2015 Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्रम A नमो नमो निम्मलदसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ . हमारी साहित्य-कृतियाँ भाषा अनुसार] -1विवरण बुक्स प्राकृत भाषा में प्रकाशन आगमसुत्ताणि-मूलं आगम Online सीरिज़ Online आगममंजूषा संस्कृत भाषा में प्रकाशन कृदन्तमाला 49 45 53 01 54 02 02 03 04 गुजराती भाषा में प्रकाशन 01 माराम(भूल) १४० अनुवा[47+7] माराम(सटी) ४० अनु० [42+48] 90 આગમ કથાનુયોગ 06 આગમ વિષય દર્શન | 01 આગમ વિષય અનુક્રમ 01 પૂજન સાહિત્ય 02 વ્યાખ્યાન સાહિત્ય આરાધના સાહિત્ય 03 જિનભક્તિ સાહિત્ય 05 | 10 व साहित्य 03 11 પ્રકીર્ણ સાહિત્ય | 09 D हिन्दी +[ग+सं+अं+प्रा+म]भाषामें प्रकाशन 01 | तत्त्वार्थसूत्र के ८४ प्रकाशनों का संप्ट Total Books 555 [1,00,013 Pages] 00 D 01 Muni Deepratnasagar's 555 [34] Publications on 03/07/2015 Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बक्स 59 04 01 76 51 नमो नमो निम्मलदसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य . हमारी साहित्य-कृतियाँ [भाषा अनुसार] -2क्रम विवरण E | हिन्दी भाषा में प्रकाशन 01 आगमसूत्र हिन्दी अनुवाद [47+12] 02 चैत्यवंदन-3 + शबंजय भक्ति -1 03 | दीपरत्नसागर की साहित्ययात्रा | प्राकत+संस्कृत भाषा में प्रकाशन 01 आगमसुत्ताणि-सटीकं [46+30] 02 आगमसूत्राणि-सटीकं [प्रताकार] G | प्राकृत संस्कृत गुजराती भाषा-प्रकाशन 01 आगम सद्दकोसो 02 | आगम नामकोसो H गूजराती प्राकृत संस्कृत भाषा-प्रकाशन 01 प्रातक्रमणसूत्र अभिनव विवेचन प्रतिव्र 02 | जैन एड्युकेशनल सर्टीफिकेट कोर्स | । गुजराती [ संस्कृत भाषा में प्रकाशन 01 अभिनव हैम लघुप्रक्रिया 02 तत्त्वार्थाधिगमसूत्र अंग्रेजी भाषा में प्रकाशन 01 Aagam sootra English Translation 04 01 04 01 04 12 11 Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 | [35] | Publications on 03/07/2015 Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स ટીપરત્નસાનર વી 555 સાહિત્ય-તૃતિયા * મારી સાહિત્ય-તૃતિયા [વર્ષ અનુસાર] -1 वर्ष साहित्य-कृतियाँ 1984 નવકારમંત્ર નવ લાખજાપ નોંધપોથી 1984 ચારિત્રપદ એક કરોડ જાપ નોંધપોથી 1985 અભિનવ જૈન પંચાંગ 1985 બારવ્રત પુસ્તિકા તથા અન્ય નિયમો 1987 अभिनव हैम लघुप्रक्रिया - व्याकरण 1987 1988 1989 1989 1990 शत्रुंजय क् 1990 અભિનવ ઉપદેશ પ્રાસાદ 1990 1990 1990 1990 1990 1990 1991 1991 1992 સાધુ અંતિમ આરાધના कृदन्तमाला શત્રુંજય ભક્તિ શ્રી જ્ઞાનપદ પ્ર પૂજા चैत्यवंदन पर्वमाला, चोविसी, तीर्थविशेष નવપદ-શ્રીપાલ ચૈત્યવંદન માળા તત્ત્વાર્થસૂત્ર પ્રબોધટીકા અધ્યાયતત્ત્વાર્થસૂત્રના આગમ સિદ્ધાચલનો સાથી ચૈત્ય પરિપાટી આધાર-સ્થાનો સમાધિમરણ અમદાવાદ જિનમંદિર ઉપાશ્રયાદિ ડિરેક્ટરી बुक्स 01 01 01 01 04 01 01 01 03 01 Muni Deepratnasagar's 555 [36] 03 01 01 01 01 01 01 01 01 01 Total Books 555 [1,00,013 Pages Publications on 03/07/2015 Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 01. 10 07 नमो नमो निम्मलदंसणस्स SAR दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ हमारी साहित्य-कृतियाँ [वर्ष अनुसार] -2वर्ष | साहित्य-कृतियाँ | बुक्स 1992 | શ્રાવક અંતિમ આરાધના 01 1992 | સાધુ-સાધ્વી કાળધર્મ વિધિ 01 1992 | વીતરાગ સ્તુતિ સંચય હતી ( 01 1993 | કાયમી સંપર્ક સ્થળ 1994 | તત્વાર્થાધિગમસૂત્ર અભિનવટીકા 1996 45-ગ્રામ સુલ્તાળ-મૂત્મ 49. 1997 | 45-આગમ(મૂલ)ગુજરાતી અનુવાદ 1998 | ૪૫-આગમ મહાપૂજન વિધિ 1999 | દીક્ષા-યોગાદિ વિધિ | 01 2000 | 45-આગમ વિષય દર્શન 01 2001 | 45-ઝારામસૂત્ર(મુ)હિન્દી અનુવાવ 12 2001 | 45-મામ સ૬ોસો 04 2002 | 45-ગામ સુલ્તા -સતી 30. 2002 | 45-માગમ નામ વ # 01 2002 | વિધિ સંગ્રહ ભાગ-૧ 01 2002 | જૈન એડ્યુકેશનલ સર્ટિફીકેટ કોર્સ 01. 2003 | પાઠ્ય પદ્માવતી પૂજન વિધિ 01 2004, 45-આગમકથાનુયોગ છે 06 2004 | પ્રતિક્રમણ સૂત્ર અભિનવ વિવેચન 04 2005 | ચોઘડિયા તથા હોરા કાયમી સમયદર્શિકા 01પ 01 'Total Books 555 [1,00,013 Pages] | Muni Deepratnasagar's 555 [37] | Publications on 03/01/2015 Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 42 01 46 47 3048 45 53 01 HOT नमो नमो निम्मलदंसणस्सSANCHAR दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ हमारी साहित्य-कृतियाँ [वर्ष अनुसार]-3| वर्ष र साहित्य-कृतियाँ - बक्स 2009 | 45-2मागमसूत्र सटी ४२शती मनुवाद | 2010 परत्नसागरना प्रशित साहित्यनी सूाय 2012 | 45-आगम सत्ताणि-सटीकं (Net) 2012 | 45-मागम(भूल) ४२।तीमनुवा (Net) 2012 | 45-आगमसूत्र(मूल)हिन्दी अनुवाद (Net) 47 2012 | 45-2माम सटी १४२।ती मनुवा (Net) 2012 | 45-आगम (मूल) Online-सीरिज़ (Net) 2013 Online-आगममंजूषा, 45 आगम(मूलं) Net | 2013 | दीपरत्नसागरजी की साहित्ययात्रा 2013 45-2माम विषय अनुम (Net) 2013 | Aagam English Translation (Net) 2014 तत्त्वार्थसूत्र के ८४ प्रकाशनों का संप्ट (Net) 01 2015 | आगमसूत्राणि सटीकं (प्रताकार) (Net) 512 2015 | 555 Net Publications' list [B.1-P.28] | इस तरह ओक्टो० 1984 से जुन 2015 तक मुनि दीपरत्नसागरकी 555 कृतियाँ प्रकाशित हुई, ये सभी किताबे इंटरनेट पर और DVD में भी उपलब्ध है | आगम कार्य की 501 और अन्य कार्यों की 54 कृतियाँ मिलाकर 1,00,013 पृष्ठो और तत्त्वार्थसूत्र के 84 प्रकाशनों की DVD के 27930 पृष्ठो को जोड़कर 1,27,943 पृष्ठो का कार्य मुनि दीपरत्नसागर द्वारा इंटरनेट के माध्यमसे प्रकाशित हुआ है | | Total Books 555 [1,00,013 Pages] | Muni Deepratnasagar's 555 [38] | Publications on 03/07/2015 01 411 Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ मुनि दीपरत्नसागर की सर्जन-यात्रा संक्षिप्त में [1] 31-सालोमें→ 5 भाषाओ में, 1,00,013 पृष्ठो में दीपरत्नसागर की 555 किताबो का Print या Net प्रकाशन हुआ | [2] ये 555 कृतियोंके नाम jainelibrary.orgपे देख शकते है [3] 2 DVD→ मुनि दीपरत्नसागरजीने 2 डीवीडी प्रकाशित की है। (A) दीपरत्नसागरजी की साहित्य-कृतियो की DVD -- इस DVD में मेरी 555 कृतियाँ है, जिनके 1,00,013 पृष्ठ है, वे सब एक साथ 25 फोल्डर्स में इस डीवीडी में प्राप्त है। (B) तत्त्वार्थाधिगमसूत्र के 84 प्रकाशनों की DVD -- इस डीवीडी में 'तत्त्वार्थाधिगमसूत्र' की 72 किताबें और 12 लेखो को संकलित किया है, जो श्वेतांबर, दिगंबर और अन्यकर्तृक कृतियाँ है, गुजराती, हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी तथा अन्य-भाषामें ये रचनाए हुई है, जिन के 27930 पृष्ठ इस DVD में प्राप्त है | [4] 11 यंत्रो का संकलन- 45-आगम, विंशतिस्थानक, उवसग्गहरं, __संतिकरं, भक्तामर, पद्मावती, विद्याप्राप्ति, शनि,राहू,सूर्य,गुरु [5] Net Publications हमारा पूरा साहित्य इंटरनेट पर प्राप्त है [6] दीपरत्नसागरजी की साहित्ययात्रा की प्रशंसा चित्रलेखा, सागरन ज़वेरात, प्रबुद्धजीवन, आगमोद्धारकादि सामायिको, दिव्यभास्कर, गुजरात समाचार, फुलछाबादि अखबार. टीवी-9, ETV, दूरदर्शन आदि चेनल्स तथा रेडियो पर भी हुई है | Total Books 555 [1,00,013 Pages] Muni Deepratnasagar's 555 | [39]| | Publications on 03/07/2015 Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ Printed matter Book Post कृपया एक बार ये पुस्तिका जरुर पढ़े. From:- जैन मुनि दीपरत्नसागर M.Com., M.Ed., Ph.D. ''प्रतिमा' एपार्टमेन्ट, फ्लेट नं० 13, चौथी मंझिल, जगमाल चौक, उपरकोट रोड, जैनमंदिर के सामने, Post: जूनागढ़, Gujarat, India Mo. 09825967397 Total Books 555 [1,00,013 Pages] Total Books $55 (2,0,013 Pages Muni Deepratnasagar's 555 [40] Publications on 03/07/2015