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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
दीपरत्नसागर की 555 साहित्य-कृतियाँ
વિતરાગ સ્તુતિ સંચય
મુનિ દીપરત્નસાગર
જિનભક્તિ સાહિત્ય-2
भाषा→गु४राती, हिन्दी, संस्कृत [1990] कुल किताबें →9, कुलपृष्ठ 1196 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5, A-6 साहित्य कृति क्रम 524 से 532
Printed
शत्रुंजय भक्ति
नीलसागर
[20-2] निलति साहित्य Printed
‘शत्रुंजय-भक्ति'में शत्रुंजय की यात्रा के वक्त तलेटी, शांतिनाथ, रायणपगला, पुंडरीकस्वामी, आदीश्वरदादा और घेटीपगला के सामने उन स्थानोंके संपूर्ण अनुरूप ऐसी स्तुतियाँ, चैत्यवंदन, स्तवन, थोय का ये सबसे पहला संग्रह था | साथमे ऊन स्थानो की फोटो भी है ।
'सिद्धायत नो साथी' किताबमें 'शत्रुंजयभक्ति' तो पूरी सामील कर ही दी है, साथमें 'सिद्धाचल की भावयात्रा' और 'सिद्धाचल' के उपरोक्त छह स्थानों के अनुरूप दुसरे स्तवन भी जोड़ दिए है |
‘चैत्यपरिपाटी' पुस्तिका में पालडी, अमदावाद के 42 चैत्यो की यात्रा है, जिस में आप को मीलेगी प्रत्येक जिनालय में बोलने के लिए अलग-अलग 3-3 स्तुतियाँ, ताँकि प्रत्येक जिनालयमें सब साथ मिलकर परमात्मभक्ति कर शके |
थोय के जोड़े, स्तवनो और सज्झायो के संग्रह तो प्राप्त हो चुके थे, मगर अबतक चैत्यवंदनो और परमात्मा के सन्मुख बोलने की स्तुतियो का संग्रह अप्राप्त था, इसीलिए हमने प्रगट कर दिए | [1,00,013 Pages]
Total Books 555
Muni Deepratnasagar's 555 [27] Publications on 03/07/2015