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नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य
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વિતાગસ્તુતિ સંચય
'निलत साहित्य-1 Printed भाषाशुराती, हिन्दी,संस्कृत [1990] | कुल किताबें 79, कुलपृष्ठ 71196 नेट पब्लिकेशन्स, साईझ A-5, A-6
साहित्य कृति क्रम 524 से 532
शचंजय भक्ति
મુનિ દીપરત્નસાગર
मनिwalRAM
20-21नलत साहित्य Printed |
इस फोल्डरमें 9 प्रिंटेड किताबे है, 5 गुजरातीमें, 4 हिन्दी में|
[1] गुजराती में, [1] येत्यवान [2] वित स्तुति, [3] शत्रु४य मात, [4] सिद्धायला नी साथी, [5] येत्य परिपाटी और
[2] हिन्दी में [1-3] चैत्यवंदन संबंधी 3, [4] शत्रुजय भक्ति
**यहाँ चैत्यवंदन की किताबो में 779 चैत्यवंदनो का संग्रह है, जिस में पर्वदिन तथा पर्वतिथि के चैत्यवंदन है, चोवीस जिन की चौविसी है, जिसमे दो संस्कृत चौविसी भी है, विविध तीर्थोमें बोल शके ऐसे तथा तीर्थंकरसंबंधी विविध बोलयुक्त चैत्यवंदन भी है | गुजराती में एक ही किताब में ये संग्रह है, हिन्दी में इनके लिए 3 किताबे है चैत्यवंदन-पर्वमाला. चै०चौविसी, चै तीर्थ-जिन विशेष |
वीतरागस्तुति में (900 गुजराती+251संस्कृत) 1151 भाववाही स्तुतियाँ है | जिसमे 24 तीर्थकर के सामने बोल शके ऐसी 10-10 स्तुतियाँ एवं विविधतीर्थोमें बोलने लायक स्तुतियाँ भी है, दुष्कृतगर्दा
और शुभभावना की स्तुतियाँ भी है, ऐसी अनेक विविधता इसमें है | ' Total Books 555 [1,00,013 Pages] | Muni Deepratnasagar's 555 [26] Publications on 03/07/2015