Book Title: Aagam Manjusha 32 Painnagsuttam Mool 09 Devindtthav
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः On Line - आगममंजूषा [३२] देविंदत्थओ * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मुनि दीपरत्नसागर M.Com. M.Ed. Ph.D.] Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत १९९८, ई. स. 1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागररिजी म.सा. ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स. 2012, विक्रम संवत २०६८, वीर संवत -२५३८ में वो ही आगम- मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा " नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। मूल आगम- मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * * है। [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४० ) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ निर्युक्ति भी सामिल की गई है| [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम - ३८ ) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है | [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया [४] “ओघनिर्युक्ति”-(आगम-४१ ) के वैकल्पिक आगम “पिंडनिर्युक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है| Online-आगममंजूषा : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp. DholeshwarMandir, POST :- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 jainmunideepratnasagar@gmail.com मुनि दीपरत्नसागर -मुनि दीपरत्नसागर Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निओ सुविहिएहिं । अणुओगनाणगेज्झो नायवो अप्पमत्तेहिं ॥८२॥ २०-९२८॥ गणिविज्ञापणं समत्तं ८॥ आगग-३२ श्री देवेन्द्रस्तवप्रकीर्णकम् अमरनरवंदिए वंदिऊण उसभाइए जिणवरिंदे । वीरवरअपच्छिमते तेलुकगुरु पणमिऊणं ॥ १ ॥ ९२९ ॥ कोई पढमपाउसमि सावओ समयनिच्छयविहिष्णु वन्नेइ थयमुयारं जियमाणे वदमाणम्मि ॥ २ ॥ तस्स ९२९ देवेन्द्रस्तवप्रकीर्णकं, आबा- १,२ मुनि दीपरत्नसागर Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ र पुर्णतस्स जिणं सोइयका पिया सुहनिसन्ना। पंजलिउहा अभिमुहा सुणा थर्य बदमाणस्स ॥३॥ईवक्लियाहिं तिलयरयणकिए लक्रवणकिए सिरसा। पाए अवगयमाणस्स वैदिमो ववमाणस्स ॥४॥ विणयपणएहि सिदिलमउडेहिं अपडिहया जस्स देवेहि। पाया पसंतरोसस्स वैदिमो पक्षमाणस्स ॥५॥ बत्तीस देविंदा जस्स गुणेहिं उवहम्मिया छायं। तो (प.नो) नस्स वियच्छेयं पायच्छार्य उवेहामो ॥६॥ बत्तीस देविंदत्ति भणियमितमि सा पियं भणइ। अंतरभास ताहे काहेमो कोउहतेणं ॥ ७॥ कयरे ते बत्तीसं देविंदा को व कत्थ परिवसइ। केवड्या कस्स ठिई को भवणपरिग्गहो तस्स ? ॥८॥ केवइया व विमाणा भवणा नगरा व इंति केवइया। पुढवीण व बाहाळ उबत्त विमाण बन्नो वा ? ॥९॥का रतिव का लेणा उकोसंमजिसमंजहण्णार्ण। उस्सासो निस्सासो ओही विसओवको केसिं ? ॥१०॥ विणओक्यार ओवहम्मियाइ हासवसमुबहतीए । पडिपुच्छिए पियाए भणइ सुअणु ! तं निसामेहि ॥१॥ सुअणाणसागराओ मुणिओ पडिपुच्छणाइजेला। पुणवागरणाबलिय नामावलियाइ इंदाणं ॥२॥ सुण वागरणावलियं स्वर्ण व पणामियं च वीरेहि। तारावलिश धवलं हियएण पसज्नचिनेणं ॥३॥ रयणप्पभाइकुडनिकुडवासी सुतण! सतेउलेसागा । बीसं विकसियनयणा भवणवई ते निसामेह (समविट्ठी सादेविंदा) ॥४॥ दो भवणवई इंदा चमरे बहरोअणे य असुराणं (धमरिंदवलिंद असुरनिकायं ५)। दो नागकुमारिंदा भूयाणंदे य धरणे य ॥५॥ दो सुयणु ! सुवर्णिणदा वेणूदेवे य वेणुदाली या दो दीवकुमारिदा पुण्णे य तहा वसिढे य॥६॥ दो उदहिकुमारिंदा जलकते जलपमे य नामेण । अमियगइअमियवाहण दिसाकुमाराण दो इंदा ॥७॥ दो बाउकुमारिंदा बेलंग पभंजणे य नामेण । दो थणियकुमारिंदा घोसे य तहा महाघोसे ॥८॥ दो विजुकुमारिंदा हरिकंत हरिस्सहे य नामेणं। अग्गिसिहअम्गिमाणव हुयासणवईवि दो ईदा ॥९॥ एए विकसियनयणे ! दस दिसि वियसियजसा मए कहिया। भवणवरसुहनिसझे सुण भवणपरिमाहमिमेसि ॥२०॥ चमरवइरोअणाणं असुरिंदाणं महाणुभागाणं । तेसिं भवणवराणं चउसट्ठिमहे सयसहस्सा ॥१॥ नागकुमारिंदाणं भूयाणंदधरणाण दुहंपि। नेसि भवणवराणं चुलसीइमहे सयसहस्से ॥२॥ दो सुयणु! सुवणिवा वेणूदेवे य वेणुदाली य। तेसिं भवणवराणं बावत्तरिमो सयसहस्सा ॥३॥ बाउकुमारिदाणं वेलंबपर्भजणाण दुण्डंपि। तेसिं भवणवराणं छमामहे सयसहस्सा ॥४॥ चउसट्ठी असुराणं चुलसीई वेव होइ नागार्ण मावत्तरि सुषण्णाण बाउकुमाराण छन्न उई ॥५॥ दीवदिसाउदहीणं विज्जु. कुमारिवथणियमग्गीर्ण । उहंपि जुयलयाणं छावत्तरिमो सयसहस्सा ॥६॥ इकिकम्मि य जुयले नियमा छावत्तरि सयसहस्सा। सुंदरि ! लीलाइ ठिए ठिईविसेसं निसामेहि ॥७॥ चमरस्स सागरोवम सुंदरि! उकोसिया ठिा भणिया।साहीया बोदवा बलिस्स पयरोयर्णिदस्स दा जे दाहिणाण इंदा चमरं मुर सिया तेसिं ॥९॥ जे उत्तरेण इंदा बलिं पमुत्तूण सेसया भणिया। पलिओवमाई दुषिण उ देसूणाई ठिई तेसिं ॥३०॥ एसोवि ठिइविसेसो सुंदररूवे ! बिसिद्गुरूवाण। भोमिजसुरवराणं सुण अणुभागो सुनयराण ॥१॥ जोयणसहस्समेगं ओगाहितूण भवणनगराई। स्यणप्पभाइ सके इकारस जोयणसहस्से ॥२॥ अंतो चउरंसा खलु अहियमणोहरसहावरमणिज्जा। बा. हिरोऽविय वटा निम्मलयारामया सबे ॥३॥ उकितरफलिहा अम्भितरओ उ भवणवासीणं । भवणनगरा विरायति कणगसुसिलिट्ठपागारा ॥४॥ वरपउमणियामंडियाहि हिट्ठा सहावलटेहिं । सोहिति पट्ठाणेहिं विविहमणिभत्तिचित्तेहिं ॥५॥ चंदणपइडिएहि य आसत्तोसत्तमदामेहिं । दारेहिं पुरवरा ते पडागमालाउरा रम्मा ॥ ६ ॥ अद्वैव जोयणाई उचिद्धा हुति ते दुपारवरा । घृक्पडियाउलाई कंचणदामोषणदाणि ॥७॥ जहिं देवा भवणवई वरतरुणीगीयवाइयवेणं । निश्चसुहिया पमुझ्या गर्यपि कालं न याति ॥ ८॥ चमरे धरणे तह वेणुदेव पुण्णे य होइ जलकते। अमियगई वेलंबे घोसे य हरी य अग्गिसिहे ॥९॥ कणगमणिरयणथूभियरम्माई सवेइयाई भवणाई। एएसिं दाहिणओ सेसाणं दाहिणे(उत्तरे)पासे ॥४०॥ थउतीसा चोयाला अद्रुतीस च सयसहस्साई। पत्ता पन्नासा खलु दाहिणओ टुति भवणाई ॥१॥ तीसा पत्तालीसा चउतीसं चेव सयसहस्साई। छत्नीसा छायाला उत्तरओ हुँति | भवणाई ॥२॥ भवणविमाणवईण तायत्तीसा य लोगपाला या सबेसिं तिमि परिसा समाणचउगुणायरक्सा उ ॥३॥ चउसट्ठी सट्ठी खलु छच सहस्सा तहेव चत्नारि। भवणवइवाणमंतरजोइसियाणं च सामाणा ॥४॥ पंचम्गमहिसीओ चमरवीणं हवंति नायबा। सेसयभवर्णिदाणं उच्चेव य अग्गमहिसीओ॥५॥दो चेव जंचुदीवे चत्तारि य माणुसुत्तरे सेले। उधारुणे समुद्र अट्ट य अरुणम्मि दीवम्मि ॥६॥ जनामए समुरे दीवे वा जंमि ९ति आवासा। तमामए समुद्दे दीवे वा तेसि उप्पाया ॥७॥ असुराणं नागाणं उदहिकुमाराण हुंति आवासा। वरुणवरे दीबम्मि य तत्व य तेसिं उप्पाया ॥८॥ दीवदिसाअम्गीणं पणियकुमाराण हुँति आवासा। अरुणवरे दीवम्मि य तत्वेव य तेसिं उप्पाया ॥९॥ पाउसुवण्णिदाणं एएसिं माणुसुत्तरे सेले । हरिणो हरिप्पहस्स य विजुप्पभमालवंतेसु ॥५०॥ एएसिं देवाणं बलवीरियपरकमो य जो जस्स । ते सुंदरि! पण्णेऽहं अहकर्म आणुपुत्रीए ॥१॥ जाव य जंबुद्दीवो जाप य चमरस्स चमरचंचा उ। असुरेहिं असुरकण्णाहिं तस्स विसओ भरेउँ जे ॥२॥ तं चेव समइरेगं बलिस्स बहरोयणस्स मोड । असुरेहिं असुरकण्णाहिं तस्स० ॥३॥ धरणोवि ९३० देवेन्द्रस्तवप्रकीर्णका - ३ मुनि दीपरत्नसागर Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नागराया जंबुद्दीवं फडाइ लाइजा।तं चेव समइरेग भूयाणंदे य मोबा४॥ गरुलोऽवि वेणुदेवो जंबुडीवं छइज पक्खेणं । तं चैव समाइरेग वेणुदालिम्मि बोदत्रं ॥५॥ पुण्णोवि जंबुदीचं पाणित. लेणं छइज इकेणं । तं चेव समइरेग हवइ वसिडेवि बोदवं॥६॥ इकाइ जलुम्मीए जंबुद्दीवं भरिज जलकतो।तं व समइरेगं जलप्पभे होइ बोदवं ॥७॥ अमियगइस्सवि विसओ जंबुद्दीवं तुपा. यपहीए। कंपिज निरवसेसं इयरो पुणत समइरेग ॥८॥ इकाइ वायुगुंजाइ जंबुडीवं भरिज वेलंबो। तं व समहरेगं पभंजणे होह मोदई ॥९॥ घोसोऽपि जंबुदीवं सुंदरि ! इकेण यणियसदेणं । बहिरीकरिज सर्च इयरो पुणतं समइरेगं ॥६०॥ इकाइ विजुयाए जंयुहीवं हरी पकासिजातिं व समहरेग हरिस्सहे होइ बोदवं ॥१॥ इकाह अग्गिजालाइ जंबुद्दीवं डहिज अग्गिसिहोतं चेत्र समइरेग माणवए होइबोध ॥२॥ तिरियं तु असंखिज्जा दीवसमुद्दा सएहिं रूवेहिं । अवगाढा उ करिना सुंदरि! एएसि एगयरो ॥३॥ पभूअन्नयरो इंदो जंबुद्दीवं तु वामहत्येण । छत्तं जहा धरिजा अन्नयओ मंदर चितुं ॥४॥ जंबुद्दीवं काऊण छत्तयं मंदरंव से दंडं। पभु अनयरो इंदो एसो तेर्सि बलविसेसो ॥५॥ एसा भवणबईणं भवणठिई बनिया समासेणं । सुण वाणमंतराणं भवणवईआणुपुत्रीए ॥६॥ पिसाय भूया जक्खा य रक्खसा किमरा य किंपुरिसा। महोरगा य गंधवा अट्ठविहा वाणमंतरिया ॥७॥ एए उ समासेणं कहिया भेवाणमंतरा देवा । पत्तेयंपिय वुच्छं सोलस इंदे महिइडीए ॥८काले य महाकाले सुरुव पडिरूव पुग्नभहे य । अमरवइ माणभद्दे भीमे य तहा महाभीमे ॥९॥ किन्नरकिंपुरिसे खल सप्पुरिसे खलु तहा महापुरिसे । अइकाय महाकाए गीयरर चेव गीयजसे ॥ ७० ॥ समिहिए सामाणे धाइ विधाए इसी य इसिपाले। इस्सर महिस्सरे या हबइ सुवच्छे विसाले य ॥१॥ हासे हासरईविय सेए य तहा भवे महासेए। पयए पययावईविय नेयवा आणुपुवीए॥२॥ उड्ढमहे तिरियमि य वसहिं ओविति वंतरा देवा । भवणा पुण बह रयणप्पभाइ उवरिइए कंडे ॥३॥ इक्के कम्मि य जुयले नियमा भवणा बसमा खल उकासेण भवति भवणवरा । खुद्दा खित्तसमाविय विदहसमया य मज्झिमया ॥५॥ताह दवा वत- 1 रिया वरतरुका निवसहिया॥६॥काले सुरुव पुण्णे भीमे तह किन्नरे य सप्परिसे। अइकाए गीयरई जट्टेव य हुंति दाहिणओ॥७॥ मणिकणगरयणथूभियजंबुणयवेड्याई भवणाई। एएसि दाहिणओ सेसाणं उत्तरे पासे ॥८॥ दस वाससहस्साई ठिई जहन्ना उतरसुराणं। पलिओचमं तु इकं ठिई उ उक्कोसिया तेसि ॥९॥ एसा बंतरियाणं भवणठिई वनिया समासेणं। सुण जोइसालयाणं आवासविहिं सुरवराणं ॥८०॥ चंदा सूरा तारागणा य नम्वत्त गहगण समत्ता। पंचविहा जोइसिया ठिई वियारी य ते गणिया ॥१॥ अबकविट्टगसंठाणसंठिया फालियामया रम्मा। जोइसियाण विमाणा तिरियलोए असंखिजा ॥२॥ धरणियलाउ समाओ सत्तहिं नउएहिं जोयणलएहि। हिट्टिाडो होइ तलो सूरो पुण अट्टहिं सएहि ॥३॥ अट्ट. सए आसीए चंदा तह चेय होइ उवरितले। एग दमुत्तरसर्य बाहई जोइसस्स भवे ॥४॥ एगट्ठिभाय काऊण जोयणं तस्स भाग छप्पण। चंदपरिमंडल खल अड्याला होइ सरस्स ॥५॥ जहिं देवा जोइसिया वरतरुणी। निचमुहिया ॥६॥ छप्पन खलु भागा विच्छिन्नं चंदमंडलं होइ । अडवीसं च कलाओ वाहाई तस्स बोदवं ॥ ७॥ अडयालीसं भागा विच्छिन्नं मुरमंडले होह। चउवीसं च कलाओ० ॥८॥ अजोयणिया उगहा तस्सद्धं चैव हाइनक्वत्ता। नक्खत्तद्ध तारा तस्सद व बाहट ॥९॥ जायणमद तत्ता गाऊय पचधणुसया हुति। गहनक्खत्तंगणाणं तारविमाणाण विखंभो ॥९०॥ जो जस्सा विक्खंभो तस्सद्ध चेव होइ बाहर्छ। तं तिउणं सविसेसं परीरओ होइ बोद्धवो ॥१॥ सोलस चेव सहस्सा अट्ट य चउरो य दुन्नि य सहस्सा। जोइसिआण चिमाणा वहति देवाभिओगाओ ॥२॥ पुरषो वहति सीहा दाहिणओ कुंजरा महाकाया । पञ्चस्थिमेण वसहा तुरगा पुण उत्तरे पासे ॥३॥ चंदेहि उ सिग्घयरा सूरा सूरेहि तह गहा सिग्घा । नक्खत्ता उ गहेहि य नक्षत्तेहिं तु ताराओ॥४॥ सबप्पगई चंदा तारा पुण हुंति सबसिग्घगई । एसो गईबिसेसो जोइसियाणं तु देवाणं ॥५॥ अप्पिढियाओ नारा नक्खत्ता खलु नओ महिड्ढियया । नक्खत्तेहिं तु गहा गहेहिं सूरा तओ चंदा ॥ ६॥ सवम्भितरऽभीई मूलो पुण सत्रबाहिरो भमइ । सबोवरिं च साई भरणी पुण # सबहिटिमया ॥७॥ साहा गहनखत्ता मजमेगा इंति चंदसूराणं । हिट्ठा समं च उप्पिं ताराओ चंदसूराणं ॥८॥ पंचेच धणुसयाई जहनयं अंतरं तु ताराणं । दो चेव गाउआई निवाघा. एण उक्कोसं ॥९॥ दोनि सए छाबडे जहन्नयं अंतरं तु ताराणं । पारस चेव सहस्सा दो वायाला य उक्कोसा ॥१०॥ एयस्स चंदजोगो सत्तहि खंडिओ अहोरत्ता। ते हंति नव मुहुत्ता सत्तावीस कलाओं अ॥१॥ सयभिसया भरणी अद्दा अस्सस साइजिट्टा या एए छमक्खत्ता पन्नरसमुहत्तसजागा क्खना पणयालमहत्तसंजोगा ॥३॥ अवसेसा नक्सत्ता पनरसया हुँति तीसइमुहुचा। चंदंमि एस जोगो नक्वत्ताणं मुणेयरो॥४॥ अभिई उप मुहले चत्तारि अ केवले अहोरते। सूरण समं बच्चद् इत्तो सेसाण बुच्छामि ॥५॥ सयभिसया भरणीओ अद्दा अस्सेस साइ जिट्टा य। वच्चंति छऽहोरते इकवीसं मुहुत्ते य॥६॥ तिन्नेव उत्तराई पुणवसू रोहिणी य वी साहा। वचंति मुहुने निन्नि चेव बीसं बहोरत्ते॥७॥ अवसेसा नक्खत्ता पण्णरसवि सूरसहगया जंति। बारस चेव मुहुत्ते तेरस य समे अहोरते ॥ ८॥ दो चंदा दो सूरा नक्खत्ता खलु 5 ९३१ देवेन्द्रस्तवपकीर्णकं आढा-४-१०६ मुनि दीपरत्नसागर Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हवंति छप्पन्ना। छावत्तरं गहसयं जंबुद्दीचे बियारीणं ॥ ९ ॥ इकं च सयसहस्सं तित्तीसं खलु भवे सहस्साइं नव य सया पण्णासा तारागणकोडिकोडीणं ॥ ११० ॥ चत्तारि चेत्र चंदा चत्तारि य सूरिया लवणजले (तोए) वारं नक्खत्तसयं गहाण तिन्नेव बावन्ना ॥ १ ॥ दो चैव सयसहस्सा सत्तडिं खलु भवे सहस्साई नव य सया लवणजले तारा० ॥ २ ॥ चडवीसं ससिरविणो नक्खत्तसया य तिण्णि छत्तीसा। इकं च गहसहस्सं छप्पन्नं धायईसंडे ॥ ३ ॥ अद्वेब सयसहस्सा तिणि सहस्सा य सत्त य सया उ धायइसंडे दीवे तारा ० ॥४॥ वायालीसं चंदा मायालीसं च दिणयरा दित्ता । कालोदहिंमि एए चरंति संबद्धलेसागा ॥ ५ ॥ णक्खत्तमिगसहस्सं एगमेव छावत्तरिं च सयमन्नं छच्च सया छन्नउआ महग्गहाण तिन्निय सहस्सा ॥६॥ अट्ठावीसं कालोदहिम्मि बारस य सयसहस्साई नव य सया पन्नासा ताराः ॥ ७ ॥ चोयालं चंदसयं चोयालं चैव सूरियाण सयं पुक्खरवरम्मि एए चरंति संबद्धलेसाया ॥ ८ ॥ चत्तारिं च सहस्सा बत्तीसं वहुति नक्खत्ता उच्च सया बावत्तर महम्गहा बारस सहस्सा ॥९॥ छन्नउइ सयसहस्सा चोयालीस भवे सहस्साई चत्तारी य सयाई तारा० ॥ १२० ॥ बावतरं च चंदा पावत्तरिमेव दिणयरा दित्ता । पुक्खरवरर्दीवड्ढे चरंति एए पगासिंता ॥ १ ॥ तिष्णि सया छत्तीसा उच्च सहस्सा महग्गहाणं तु । नक्त्यत्ताणं तु भवे सोलागि दुवे सहस्साणि ॥२॥ अडयालीस लक्खा बाबीसं खलु भत्रे सहस्ताई। दो य सय पुक्खरद्धे तारा० ॥ ३ ॥ बत्तीसं चंदसयं बत्तीसं चैव सूरियाण सयं सयलं मणुस्सलोयं चरंति एए पयासिंता ॥ ४ ॥ इकारस य सहस्सा छप्पिय सोला दहाहलया । छच्च सया छनउया नक्खत्ता तिष्णि य सहस्सा ॥ ५ ॥ अट्ठासीई चत्ताई सयसहस्साइं मणुयलोगम्मि सत्त य सयामणूणा तारागणकोडिकोडीणं ॥ ६ ॥ एसो तारापिंडो सङ्घसमासेण मणुयलोगम्मि। बहिया पुण ताराओ जिणेहिं भणिया असंखिजा ॥ ७॥ एवइयं तारग्गं जं मणियं मणुयलोगमज्झम्मि। चारं कळंबुयापुप्फसंठियं जोइस चरई ॥८॥ रविससिगहनक्खत्ता एवड्या आहिया मणुयलोए। जेसिं नामागोयं न पागया पन्नवेर्हिति ॥ ९ ॥ छावहिं पिडयाई चंदाइबाण मणुयलोगम्मि। दो चंदा दो सूराय हुंति इक्किकए पिडये ॥ १३० ॥ छावहिं पिडयाई नक्खत्ताणं तु मणुयलोगम्मि छप्पन्नं नक्खत्ता हुंति० ॥ १ ॥ छाबडी पिडयाई महम्गहाणं तु मणुयलोगम्मि छावत्तरं गहसयं च होइ० ॥ २ ॥ चत्तारि य पंतीओ चंदाइचाण मणुयलोगम्मि छावट्टि छावहिं होइ इक्किक्कया पंती ॥ ३ ॥ छप्पन्नं पंतीओ नक्खाणं तु मणुयलोगम्मि छावडिं० ॥ ४ ॥ छावतरं गाणं पंतिसयं होइ मणुय लोगम्मि छात्रहिं० ॥ ५ ॥ ते मेरुमाणुसुत्तर पयाहिणावत्तमंडला सबै अणवट्टिएहिं जोएहिं चंदा सूरा गहगणा य ॥ ६ ॥ नक्खत्ततारयाणं अवट्टिया मंडला मुणेयबा तेषि य पयाहिणावन्तमेत्र मेरुं अणुचरंति ॥ ७ ॥ रयणियरदिणयराणं उड्ढमहे एव संकमो नत्थि मंडलसंकमणं पुण अभितरवाहिरं तिरियं ॥ ८॥ स्यणियरदिणयराणं नक्खत्ताणं च महम्गहाणं च । चारविसेसेण भवे सुहदुक्खविही मणुस्साणं ॥ ९ ॥ तेसिं पविसंताणं तावक्खिते उ वड्ढए नियमा। तेणेव कमेण पुणो परिहायइ निक्वमिंताणं ॥ १४०॥ तेसिं कलंबुयापुप्फसंठिया हुति तावखित्तमुहा। अंतो य संकुला बाहिं च वित्थडा चंदसूराणं ॥ १ ॥ केणं वड्ढ चंदो ? परिहाणी केण होइ चंदस्स ? । कालो वा जुण्हा वा केणऽणुभावेण चंदस्स १ ॥ २ ॥ किन्हं राहुत्रिमाण नियं चंद्रेण होइ अविरहियं चउरंगुलमप्पत्तं हिद्वा चंदस्स तं चरइ ॥ ३ ॥ छावहिं २ दिवसे २ उ सुकपक्वस्स जं परिवइढइ चंदो खवेइ तं चेव कालेणं ॥ ४ ॥ पन्नरसइभागेण यं पन्नरसमेव चैकमइ पन्नरसहभागेण य पुणोवि तं चैव पक्कमइ ॥ ५ ॥ एवं बढइ चंदो परिहाणी एव होइ चंदस्स। कालो वा जुन्हा वा तेणय ( ऽणु) भावेण चंदस्स ॥ ६ ॥ अंतो मणुस्सखेत्ते हवंनि चारोवगा य उबवण्णा पंचविहा जोइसिया चंदा सूरा गहगणा य ॥ ७॥ तेण परं जे सेसा चंदाइचगहतारनक्खत्ता। नत्थि गई नवि चारो अवट्टिया ते मुणेया ॥ ८ ॥ दो चंदा इह दीवे चत्तारि य सागरे लवणनोए धाइयसंडे दीवे वारस चंदा य सूरा य॥ ९॥ एगे जंबुद्दीवे दुगुणा लवणे चउम्गुणा हुति कालोयए तिगुणिया ससिसूरा घायईसंडे ॥ १५० ॥ चायइडप्पभिई उहिट्टा निगुणिया भवे चंदा आइ चंदसहिया अनंतराणंतरे खित्ते ॥ १ ॥ रिक्खग्गहतारग्गा दीवसमुद्दाण इच्छले नाउं तस्स ससीहि उ गुणियं रिफ्खग्गहतारयग्गं तु ॥ २ ॥ बहिया उ माणुसनगम्स चंदसूराणऽवडिया जोगा चंदा अभीइजुत्ता सूरा पुर्ण हुंति पुस्सेहिं ॥ ३ ॥ चंदाओ सूरस्स य सूरा ससिणो य अंतरं होई । पण्णाससहस्साइं जोयणाणं अणूणाई ॥ ४ ॥ सूरम्स य सूरम्स य ससिणो समिणो य अंतरं होइ पहिया उ माणुसनगस्स जोअणाणं सयसहस्सं ॥ ५ ॥ सूरंतरिया चंदा चंदंतरिया उ दिणयरा दित्ता । चितरलेसागा सुलेसा मंदलेसा य ॥ ६ ॥ अड्डासीयं च गहा अद्वावीसं च हुति नक्खत्ता एगससीपरिवारो एतो ताराण वृच्छामि ॥ ७॥ छाबडि सहस्साई नव चैव सवाई पंचसयराई। एससी परिवारो नारागणकोडिकोडीणं ॥ ८ ॥ वाससहस्सं पलिओदमं च सूराण सा ठिई भणिया पलिओक्म चंद्रार्ण वाससयसहस्समन्महियं ॥ ९ ॥ पलिओयमं गहाणं नक्खताणं च जाण पलिय पलियउत्थो भाओ ताराणवि सा लिई भणिया ॥ १६० ॥ पलिओचमभागो ठिई जहण्णा उ जोइसगणस्स पलिओम मुकोसं वाससयसह स्समम्भहिये ॥ १ ॥ भववइयाणवंतर जोइसवासी ठिई मए कहिया कप्पवईवि य बुच्छं बारस इंदे महिइडीए ॥ २ ॥ पढमो सोहम्मबई ईसाणवई उ भन्नए बीओ तत्तो सर्णकुमारो हवा चउत्थो उ माहिदो ॥ ३ ॥ पंचमए पुष बंभो छट्टो पुण लंतओऽत्य देविंदो । सत्तमओ महसुको अट्टमओ भवे सहस्सारो ॥ ४ ॥ नवमो य आणहंदो दसमो उण पाणउऽस्थ देविंदो आरण (२३३) ९३२ देवेन्द्रस्तवप्रकीर्णक, जादा- १०६ - १७४ 1 मुनि दीपरत्नसागर Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इकारसमो बारसमो अचुए इंदो॥५॥ एए पारस इंदा कप्पवई कप्पसामिया भणिया। आणाईसरियं वा तेण परं नस्थि देवाणं ॥३॥ तेण परं देवगणा सयइच्छियभावणाइ उववन्ना। गेविजेहि न सको उववाओ अन्नलिंगेणं ॥७॥ जे देसणवावन्ना लिंगरगहणं करंति सामण्णे। तेसिपिय उववाओ उक्कोसो जाव गेविजा ॥ ८॥ इत्थ किर विमाणाणं बत्तीसं वणिया सयसहस्सा । सोहम्मकप्पवइणो सक्कस्स महाणुभागस्स ॥९॥ ईसाणकप्पवइणो अट्ठावीसं भवे सयसहस्सा । बारस्स सयसहस्सा कप्पम्मि सर्णकुमारम्मि ॥१७० ॥ अद्वैव सयसहस्सा माहिदंमि उ भवंति कप्पम्मि । चत्तारि सयसहस्सा कप्पम्मि उ बमलोगम्मि ॥१॥ इत्थ किर विमाणार्ण पन्नासं लंतए सहस्साई । चत्तारि महासुके छच सहस्सा सहस्सारे ॥२॥ आणयपाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरणचुए तिन्नि। सत्त विमाणसयाई चउसुचि एएसु कप्पेसु ॥३॥ एयाई विमाणाई कहियाई जाई जत्य कप्पम्मि । कप्पवईणवि सुंदरि! ठिईविसेसे निसामेहि ॥४॥ दो सागरोवमाई सकस्स ठिई महाणुभागस्स । साहीया ईसाणे सत्तेव सणकुमारम्मि ॥५॥ माहिंदै साहियाई सत्त दस चेव बंभलोगम्मि। चउदस लंतइ कप्पे सत्तरस भवे महासुके ॥ ६॥ कप्पम्मि सहस्सारे अट्ठारस सागरोवमाई ठिई। एगुणा(गुणवीसा)ऽऽणयकप्पे वीसा पुण पाणए कप्पे ॥७॥ पुण्णा य इकवीसा उदहिसनामाण आरणे कप्पे। अहम अच्चुयम्मि कप्पे बाबीसं सागराण ठिई ॥८॥ एसा कप्पवईणं कप्पठिई वण्णिया समासेणं। गेविजऽणुत्तराणं सुणऽणुभागं विमाणाणं ॥९॥ तिण्णेव य गेविजा हिडिहा मज्झिमा य उवरिडा । इकिकपि य तिविहं नव एवं हुंति गेविजा ॥१८० ॥ सुदसणा अमोहा य, सुप्पबुद्धा जसोधरा। वच्छा सुवच्छा सुमणा, सोमणसा पियदसणा ॥१॥ एकारसुत्तरं हेडिमए सनुत्तरं च मज्झिमए। सयमेगं उवरिमए पंचव अणुत्तरविमाणा॥२॥ हेडिमगेविजाणं तेवीसं सागरोवमाई ठिई। इकिकमारुहिजा अट्टहिं सेसेहिं नमिवंगी !॥३॥ विजयं च बेजयंती जयंतमपराजियं च बोद्धवं। सबट्टसिद्धनाम होइ चउहं तु मज्झिमयं ॥४॥ पुवेण होइ विजयं दाहिणओ होइ वेजयंतं तु। अवरेणं तु जयंत अवराइयमुत्तरे पासे ॥५॥ एएसु विमाणेसु उ तित्तीसं सागरोवमाई ठिई। सबढसिद्धनामे अजहन्नुक्कोस तित्तीसा ॥६॥ हिडिल्ला उवरिष्डा दो दो जुयलऽदचंदसंठाणा। पडिपुण्णचंदसंठाणसंठिया मज्झिमा चउरो॥७॥ गेषिजाऽऽवलिसरिसा गेविना तिषिण २ आसन्ना। हुड्यसंठाणाई अणुत्तराई विमाणाई ॥८॥ घणउदहिपइट्ठाणा सुरभवणा दोसु हुँति कप्पेसुं। तिसु वाउपइटाणा तदुभयसुपइट्ठिया तिन्नि ॥९॥ तेण परं उवरिमया आगासंतरपइडिया सके। एस पइट्ठाणविही उड्डे लोए विमाणाणं ॥ १९०॥ किण्हा नीला काऊ तेऊलेसा य भवणवंतरिया। जोइससोहम्मीसाण तेउलेसा मणेयवा ॥१॥ कप्पे सणंकमारे माहिंदे चेव बंभलोए य। एएसु पम्हलेसा तेण परं सुक्कलेसा उ॥२॥ कणगत्तयरत्ताभा सुरवसभा दोसु हुँति कप्पेसु। तिमु हुँति पम्हगोरा तेण परं सुकिला देवा ॥३॥ भवणवइबाणमंतरजोइसिया हुँति सत्तरयणीया। कप्पबईणऽइ ! सुंदरि! सुण उच्चत्तं सुरवराण ॥४॥ सोहम्मीसाणसुरा उचते हुति सत्तरयणीया। दो दो कप्पा तुड़ा दोसुवि परिहायए रयणी ॥५॥ गेविजेसु य देवा रयणीओ दुन्नि हुंति उचाओ। रयणी पुण उच्चत्तं अणुत्तरविमाणवासीणं ॥ ६॥ कप्पाओ कप्पम्मि उ जस्स ठिई सागरोदमभहिया। उस्सहा तस्स भव इकारसभागपरिहाणा ॥७॥ जा अविमाणुस्सहा पुढवाणं जं च होइ बाह्र्छ। दुण्डंपितं पमार्ण बत्तीसं जोयणसयाई॥८॥भवणवदवाणमंतरजोडसिया हंति काय पबियारा। कप्पवईणवि सुंदरि ! वुच्छं पवियारणविही उ ॥९॥ सोहम्मीसाणेसुं सुरवरा इंति कायपवियारा । सर्णकुमारमाहिंद फासपवियारया देवा ॥२०॥ बंभे लंतयकप्पे सुरवरा 5 हुंति रूवपवियारा । महसुक्कसहस्सारे सहपवियारया देवा ॥१॥ आणयपाणयक आरण तह अचुए सुकप्पम्मि। देवा मणपवियारा तेण परं चूअपवियारा ॥२॥ गोसीसागुरुकेयइपतपुनागबउलगंधा य। चंपयकुवलयगंधा तगरेलसुगंधगंधा य॥३॥ एसा णं गंधविही उवमाए वणिया समासेणं । विट्ठीएविय तिविहा थिरसुकुमारा य फासेणं ॥४॥ तेवीसं च बिमाणा चउरासीइंच सयसहस्साई। सत्ताणउइ सहस्सा उदलोए विमाणाणं ॥५॥ अउणाणउइ सहस्सा चउरासीई च सयसहस्साई। एगूणयं दिवढं सयं च पुष्फाचकिण्णाणं ॥६॥ सत्तेव सहस्साई सयाई बाबत्तराई अट्ठ भवे । आवलियाइ विमाणा सेसा पुष्पावकिण्णाणं ॥७॥ आवलिआइ विमाणाण अंतरं नियमसो असंखिज । संखिज्जमसंखिजं भणियं पुष्पावकिन्नाणं ॥८॥ आवलियाइ विमाणा वट्टा तंसा तहेव चउरंसा। पुष्पावकिण्णया पुण अणेगविहरूवसंठाणा ॥९॥ वद सु वलयगंपिव तंसा सिंघाडयंपिव विमाणा। चउरंसविमाणा पुण अक्खाड. पढमं वट्टविमाणं बीयं तसं तहेव चउरसं। एतरचउरंसं पुणोवि बटुं पुणो वंसं ॥१॥ वर्ल्ड वहस्सुवरि तंसं तंसस्स उप्परि होइ। चउरंसे चउरंस उड़द तु विमाणसेडीओ ॥२॥ उवलंबयरजूओ सवबिमाणाण हुंति समियाओ। उवरिमचरिमंताओ हिडिलो जाव चरिमंतो ॥३॥ पागारपरिक्खित्ता वट्टबिमाणा हवंति सवि। चउरंसवि. माणाणं चउदिसिं बेइया भणिया ॥४॥ जत्तो वट्टविमाणं तत्तो संसस्स बेइया होइ। पागारो बोदको अवसेसाणं तु पासाणं ॥५॥ जे पुण वट्टविमाणा एगदुबारा हवंति सधेवि। तिन्नि य तंसविमाणे चत्तारि य हुँति चउरंसे ॥६॥ सत्तेव य कोडीओ हवंति बावत्तरि सयसहस्सा। एसो भवणसमासो भोमिजाणं सुरवराण ॥७॥ तिरिओववाइयाणं रम्मा भोम्मनगरा ९३३ देवेन्द्रस्तवप्रकीर्णक महा-७५-२१८ मुनि दीपरत्नसागर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असंखिजा। तनो संखिजगुणा जोइसियाणं विमाणा उ॥८॥ थोवा विमाणवासी भोमिज्जा वाणमंतरमसंखा। ननो संखिजगुणा जोइसवासी भवे देवा ॥९॥पनेयविमाणाणं देवीणं छम्भवे सयसहस्सा। सोहम्मे कप्पम्मि उ इंसाणे हुंति चत्तारि ॥२२०॥ पंचेवऽणुत्तराई अणुत्तरगईहिं जाई दिहाई। जत्थ अणुनरदेवा भोगसुहमणूवमं पत्ना ॥१॥ जन्य अणुनर गंधा तहेव रूवा अणुनरा सहा । अचित्तपुग्गलाणं रसो अ फासो अगंधो अ॥२॥पप्फोडियकलिकलुसा पप्फोडियकमलरेणुसंकासा । वरकुमममहुकरा इव मुहुमयरं नंदि (दंति) घोईति ॥ ३॥ यरपउमगम्भगोरा सबे ते एगगम्भवसहीआ। गम्भवसहीविमुका सुंदरि ! सुक्खं अणुहवंति ॥४॥ तेत्तीसाए सुंदरि! वाससहम्सेहिं होइ पुष्णेण । आहाराऽवहि देवाणऽणुत्तरविमाणवासीण ॥५॥ सालसहि सहस्साह पहिसएहि हाइ पुण्णाह। आहारो देवार्ण मज्झिममाउ धरिताण ॥६॥ दस वाससहस्साईजहन्नमाउं घरनि जे देवा । तसिपि य आहारो चउत्यभत्तेण बोडबो॥७॥ संवच्छरस्स सुंदरि ! मासाणं अद्वपंचमाणं च। उस्सासो देवाणं अणुनरविमाणवासीणं ॥८॥ अद्रुमेहिं राईदिएहिं अडहि य सुतणु ! मासेहिं । उस्सासो देवार्ण मज्झिममाउं धरिताणं ॥ ९॥ सत्तण्हं थोवाणं पुण्णाणं पुष्णइंदुसरिसमुहे !। ऊसासो देवाणं जहन्नमाउं धरिताणं ॥२३०॥ जइ सागरोक्माई जस्स ठिई तस्स तनिएहिं पक्खेहिं। ऊसासो देवाणं वाससहस्सेहिं आहारो॥१॥ आहारो ऊसासो एसो में वन्निओ समासेणं। सुमनरायनाहि ! (घणाहि) मुंदरि अचिरेण कालेण ॥२॥ एएसि देवाणं ओही उ विसेसओ उ जो जस्स । तं सुंदरि ! वाणेऽहं अहम आणुपुत्रीए ॥३॥ सोहम्मीसाण पढमं दुचं च सणंकमारमाहिंदा । तचं च बंभलंतग सुक्कसहस्सारय चरन्थि ॥४॥ आणयपाणयकप्पे देवा पासंति पंचमि पुडविं। नं चेव आरणमय ओहियनाणेण पासंति ॥५॥छट्टि हिडिममज्झिमगेविजा सत्तमि च उवरिडा । संभिजलोगनालिं पासंनि अणुत्तरा देवा ॥६॥ संखिजजोयणा खलु देवाणं अइसागरे ऊणे। तेण परमसंखिजा जहन्नयं पन्नवीसं तु ॥ ७॥ तेण परमसंखिजा तिरियं दीचा य सागरा चेव। बहुययरं उवरिमया उइढं तु सकप्पथूभाई ॥८॥ नेरइयदेवतित्थंकरा य ओहिस्सऽवाहिरा १नि। पासंनि सबओ स्खलु सेसा देसेण पासंति ॥९॥ ओहिन्नाणे विसओ एसो मे वणिओ समासेणं। वाहाई उच्चनं विमाणपन्नं पुणो बुच्छं ॥२४०॥ सत्तावीसं जोयणसयाई पुढवीण ताण (होड) बाहल। सोहम्मीसाणेसुं रयणविचित्ता य सा पुढबी ॥१॥ तत्थ विमाणा बहुविहा पासायपगइवेइयारम्मा। वेखलियभियागा रयणामयदामलंकारा ॥२॥ केइत्यऽसियविमाणा अंजणधाउसरिसा सभावेण । अहयरिट्ठसवण्णा जत्थावासा सुरगणाणं ॥३॥ केइ य हरियविमाणा मेयगधाऊसरिसा समावे मारगीवसवण्णा जत्थावासा सुरगणाणं ॥४॥ दीवसिहसरिसवर्षिणस्थ केड जासुमणसूरसरिवन्ना । हिंगुलयधाउवण्णा जत्थावासा सुरगणाणं ॥५॥ कोरिटधाउवण्णित्व के फुलकणियारसरिसवण्णा या हालिदभेयवण्णा जत्थाबासा मुरगणार्ण ॥६॥ अविउत्तमल्छदामा निम्मलगाया सुगंधनीसासा। सो अवडियक्या सयंपभा अणिमिसच्छा य॥७॥ बावत्तरिकलापंडिया उ देवा हवंति सवेवि । भवसंकमणे तेसिं पहिवाओ होइ नायवो ॥८॥ कडाणफलविवागा सच्छंदविउवियाभरणबारी। आभरणवसणरहिया हवंति साभावियसरीरा ॥९॥ ग्गहीणमहिमा ओगाहणवण्णपरिमाणा ॥२५०॥ किण्हा नीला लोहिय हालिदा सकिला बिरायंति। पंचसए उविद्धा पासाया तेस कप्पेसु ॥ १॥ तत्थासणा बहुविहा सयणिजा मणिभनिसयविचित्ता। विरदयवित्थडभूसा रयणामयदामलंकारा ॥२॥ छथीस जोयणसयाई पुढवीणं ताण होइ बाहाडं । सणंकुमारमहिंद स्थणविचिना य सा पुढवी ॥३॥ तत्थ य नीला लोहिय हालिदा सुकिला विरायंति। छन्द सए उविद्धा पासाया तेसु कप्पेसु ॥४॥ तत्थ विमाणा बहुविहा० ॥५॥ पण्णावीसं जोयण - सयाई पुढवीण होइ बाहाई । भयलंनयकप्पे स्वणविचिना य सा पुढवी ॥६॥ तत्थ विमाणा बहुविहा०॥७॥ लोहिय हालिदा पुण सुर्किलवण्णा य ने विरायंनि। सत्तसए उबिद्धा पासाया नेसु कप्पेसु ॥८॥ चवीस जोयणयसयाई पुढवीण होइ बाहलं । सुके थ सहस्सारे रयणविचित्ताय सा पुढवी ॥ ९॥नस्थ विमाणा बहुविहाः ॥२६० ॥ हालिदभेयवण्णा सुफिलवण्णा य ने विरायंनि । अट्ठ य ते उविदा पासाया तेसु कप्पेसु ॥१॥ तत्वासणा बहुविहा॥२॥ तेवीसं जोयणयसयाइ पुढवीण नासिं होई वाहलं। आणयपाणयारणबुए विचिना उसा पुढवी ॥३॥नन्य विमाणा बहुविहा॥४॥ संखंकसनिकासा सच्चे दगरयतुसारसरिवषणा। नव य सए उबिदा पासाया नेमु कप्पेमु॥५॥ बावीसं जोयणयसयाइ पुढवीण तासि होह वाहुडं। गेविजविमाणेसु रयणविचित्ता उसा पुढवी ॥६॥ नन्थ विमाणा बहुविहा॥७॥ संखंकसन्निकासा सदगरयनुसारसरिवण्णादिस य सए उविदा पासाया नेसु रायंति ॥ ८॥ एगवीसं जोयणसयाई पृढवीणं नासि होड बाहाई। पंचसु अणुत्तरेसु रयणविचित्ता य सा पुढवी ॥ ९ ॥ तन्य विमाणा बहुविहा॥२७० ।। संखंकसन्निकासा सवे दगस्यतुसारसरिचण्णा ।इकारस उभिदा पासाया ने विरायंनि॥१॥नन्थासणा बहुविहा सयणिना मणिभत्तिसयविचित्ता। विरइयविन्थड(भू)सा य रयणामयदामलंकारा ॥सबट्टविमाणस्स उसववरिछाउ थुभियंताओ। वारसहिं जोयणेहिं इसिपब्भारा तओ पुढवी ॥३॥ निम्मलदगरयवण्णा तुसारगोखीरफेणसरिवण्णां। भणिया उजिणवरेहिं उत्नाणयछनसंठाणा ॥४॥ ९३४ देवेन्द्रस्तवप्रकीर्णकं, आळा-२८-२93 मुनि दीपरत्नसागर Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणयालीस आयामवित्थडा होइ सयसहस्साई / तं तिउणं सविसेस परीरओ होइ बोद्धयो॥५॥एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साई। तीसं चेव सहस्सा दो य सया अउणपन्नासा॥६॥ खित्तद्धि(ढि)यविच्छिन्ना अट्टेव य जोयणाणि वाइल्डं। परिहायमाणि चरिमंते मच्छियपत्ताउ तणुययरी॥७॥ संखंकमन्निकासा नामेण सुदंसणा अमोहा य / अज्जुणसुवण्णयमई उत्ताणयछत्तसंठाणा // 8 // ईसीपब्भाराए सीयाए जोयणमि लोगतो। तस्सुवरिमम्मि भाए सोलसमे सिद्धमोगाडे // 9 // कहिं पडिहया सिद्धा?, कहिं सिद्धा पइ. ट्ठिया ? / कहिं बौदिं चइत्ताणं, कत्थ गंतूण सिज्झई ? // 280 // अलोए पडिहया सिद्धा, लोयगो य पहडिया। इह बोंदि चइत्ताणं, तत्थ गंतूण सिज्झई // 1 // ज संठाणं तु इहं भवं चयंतस्स चरमसमयम्मि। आसी य पएसघणं तं संठार्ण तहिं तस्स // 2 // दीहं वा हस्सं वा जं संठाणं हविज चरमभवे। तत्तो तिभागहीणा सिदाणोगाहणा भणिया // 3 छासट्ठा घणुत्तिभागो य होइ बोदडो। एसा खलु सिद्धाणं उकोसोगाहणा भणिया // 4 // चत्तारि यस्यणीओ स्यणि तिभागूणिया य बोदवा। एसा खलु सिद्धार्ण मज्झिमओगाहणा भणिया // 5 // इक्का य होइ स्यणी अट्टेव य अंगुलाई साहीया। एसा खलु सिद्धाणं जहष्णोगाहणा भणिया // 6 // ओगाहणाइ सिद्धा भवत्तिभागेण हुंति परिहीणा। संठाणमणित्थंत्थं जरामरणविष्पमुक्काणं // 7 // जत्थ य एगो सिद्धो तत्थ अर्णता भवक्खयचिमुका। अचुन्नसमोगाढा पुट्ठा सके अलोगते // 8 // असरीरा जीवघणा उबउत्ता दसणे य नाणे या सागा. रमणागारं लक्खणमेयं तु सिद्धाणं // 9 // फुसइ अणंते सिद्धे सवपएसेहिं णियमसो सिद्धो। तेवि असंखिजगुणा देसपएसेहिं जे पुट्ठा // 29 // केवलनाणुवउत्ता जाणती सवभावगुणभावे। पासंति सबओ खलु केवल दिहीहऽणताहिं // 1 // नाणमि दसणम्मि य इत्तो एगयस्यम्मि उवउत्ता। सबस्स केवलिस्सा जुगवं दो नस्थि उवओगा || सुरगणसुहं समत्तं सबदापिडियं अणंतगुणं / नवि पाबइ मुत्तिसुहं णंताहिं वग्गवरगृहि // 3 // नवि अस्थि माणुसाणं तं सुक्खं नविय सब्बदेवाणं। जं सिद्धाणं मुक्खं अव्वाबाह उवगयाणं // 4 // सिद्धस्स हो | रासी सव्वापिंडिओ जइ हविजा। गतगुणवम्गभइओ सव्वागासे न माइजा // 5 // जहू नाम कोइ मिच्छो नयरगुणे बहुबिहे बियाणंतो। न चएइ परिकहेउं उवमाए तहिं असंतीए अ सिहाणं मुक्खं अणोवमं नस्थि तस्स ओवम्मं / किंचिबिसेसेणित्तो सारिक्खमिर्ण सुणह बुच्छं॥७॥ जह सबकामगुणियं पुरिसो भोतृण भोयणं कोई / तण्हाछुहाविमुक्को / अन्छिन जहा अमियतित्तो // 8 // इय सबकालतित्ता अउलं निव्वाणमुवगया सिद्धा। सासयमव्वाबाहं चिट्ठति मुही मुहं पत्ता // 9 // सिद्धत्ति य बुदत्ति व पास्मयत्ति य परंपरगयत्ति / उम्मुककम्मकवया अजरा अमरा असंगा य॥३०॥ नि(प.)च्छिन्नसबदुक्खा जाइजरामरणबंधणविमुक्का / सासयमब्वाचाहं अणुहवंति सुहं सया कालं // 1 // सुरगणइ. ढिसमग्गा सवदापिडिया अणंतगुणा। नवि पावइ जिणइइिंढ णतेहिवि वग्गवग्गृहि // 2 // भवणवइवाणमंतरजोइसवासी विमाणबासी य। सविड्ढीपरियरिया अरहते वंदया हुंति // 3 // भवणवइवाणमंतरजोइसवासी विमाणवासी य। इसिवालियमयमहिया करिति महिमं जिणवराण // 4 // इसिवालियरस भई सुरवस्थयकारयस्स वीरस्स / जेहिं सया धुवंता सके इंदा पवरकित्ती // 5 // इसिवान। तेसिं मुरासुरगुरू सिद्धा सिद्धिं उवणमंतु // 6 // भोमेजवणयराणं जोइसियाणं विमाणवासीर्ण / दइए देवनिकायाण थवो सहस्सं (म० समत्तो) अपरिसेसो॥३०७॥२०-१२३५॥ देविदत्ययपइण्णं समत्तं९॥ 011-33- अथ श्रीमरणसमाधिमकीर्णकम्-तिहुयणसरी रिवंदं सप्प (म०संघ) वयणरयणमंगल नमिउं / समणस्स उत्तमढे