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नागराया जंबुद्दीवं फडाइ लाइजा।तं चेव समइरेग भूयाणंदे य मोबा४॥ गरुलोऽवि वेणुदेवो जंबुडीवं छइज पक्खेणं । तं चैव समाइरेग वेणुदालिम्मि बोदत्रं ॥५॥ पुण्णोवि जंबुदीचं पाणित. लेणं छइज इकेणं । तं चेव समइरेग हवइ वसिडेवि बोदवं॥६॥ इकाइ जलुम्मीए जंबुद्दीवं भरिज जलकतो।तं व समइरेगं जलप्पभे होइ बोदवं ॥७॥ अमियगइस्सवि विसओ जंबुद्दीवं तुपा. यपहीए। कंपिज निरवसेसं इयरो पुणत समइरेग ॥८॥ इकाइ वायुगुंजाइ जंबुडीवं भरिज वेलंबो। तं व समहरेगं पभंजणे होह मोदई ॥९॥ घोसोऽपि जंबुदीवं सुंदरि ! इकेण यणियसदेणं । बहिरीकरिज सर्च इयरो पुणतं समइरेगं ॥६०॥ इकाइ विजुयाए जंयुहीवं हरी पकासिजातिं व समहरेग हरिस्सहे होइ बोदवं ॥१॥ इकाह अग्गिजालाइ जंबुद्दीवं डहिज अग्गिसिहोतं चेत्र समइरेग माणवए होइबोध ॥२॥ तिरियं तु असंखिज्जा दीवसमुद्दा सएहिं रूवेहिं । अवगाढा उ करिना सुंदरि! एएसि एगयरो ॥३॥ पभूअन्नयरो इंदो जंबुद्दीवं तु वामहत्येण । छत्तं जहा धरिजा अन्नयओ मंदर चितुं ॥४॥ जंबुद्दीवं काऊण छत्तयं मंदरंव से दंडं। पभु अनयरो इंदो एसो तेर्सि बलविसेसो ॥५॥ एसा भवणबईणं भवणठिई बनिया समासेणं । सुण वाणमंतराणं भवणवईआणुपुत्रीए ॥६॥ पिसाय भूया जक्खा य रक्खसा किमरा य किंपुरिसा। महोरगा य गंधवा अट्ठविहा वाणमंतरिया ॥७॥ एए उ समासेणं कहिया भेवाणमंतरा देवा । पत्तेयंपिय वुच्छं सोलस इंदे महिइडीए ॥८काले य महाकाले सुरुव पडिरूव पुग्नभहे य । अमरवइ माणभद्दे भीमे य तहा महाभीमे ॥९॥ किन्नरकिंपुरिसे खल सप्पुरिसे खलु तहा महापुरिसे । अइकाय महाकाए गीयरर चेव गीयजसे ॥ ७० ॥ समिहिए सामाणे धाइ विधाए इसी य इसिपाले। इस्सर महिस्सरे या हबइ सुवच्छे विसाले य ॥१॥ हासे हासरईविय सेए य तहा भवे महासेए। पयए पययावईविय नेयवा आणुपुवीए॥२॥ उड्ढमहे तिरियमि य वसहिं ओविति वंतरा देवा । भवणा पुण बह रयणप्पभाइ उवरिइए कंडे ॥३॥ इक्के कम्मि य जुयले नियमा भवणा
बसमा खल उकासेण भवति भवणवरा । खुद्दा खित्तसमाविय विदहसमया य मज्झिमया ॥५॥ताह दवा वत- 1 रिया वरतरुका निवसहिया॥६॥काले सुरुव पुण्णे भीमे तह किन्नरे य सप्परिसे। अइकाए गीयरई जट्टेव य हुंति दाहिणओ॥७॥ मणिकणगरयणथूभियजंबुणयवेड्याई भवणाई। एएसि दाहिणओ सेसाणं उत्तरे पासे ॥८॥ दस वाससहस्साई ठिई जहन्ना उतरसुराणं। पलिओचमं तु इकं ठिई उ उक्कोसिया तेसि ॥९॥ एसा बंतरियाणं भवणठिई वनिया समासेणं। सुण जोइसालयाणं आवासविहिं सुरवराणं ॥८०॥ चंदा सूरा तारागणा य नम्वत्त गहगण समत्ता। पंचविहा जोइसिया ठिई वियारी य ते गणिया ॥१॥ अबकविट्टगसंठाणसंठिया फालियामया रम्मा। जोइसियाण विमाणा तिरियलोए असंखिजा ॥२॥ धरणियलाउ समाओ सत्तहिं नउएहिं जोयणलएहि। हिट्टिाडो होइ तलो सूरो पुण अट्टहिं सएहि ॥३॥ अट्ट. सए आसीए चंदा तह चेय होइ उवरितले। एग दमुत्तरसर्य बाहई जोइसस्स भवे ॥४॥ एगट्ठिभाय काऊण जोयणं तस्स भाग छप्पण। चंदपरिमंडल खल अड्याला होइ सरस्स ॥५॥ जहिं देवा जोइसिया वरतरुणी। निचमुहिया ॥६॥ छप्पन खलु भागा विच्छिन्नं चंदमंडलं होइ । अडवीसं च कलाओ वाहाई तस्स बोदवं ॥ ७॥ अडयालीसं भागा विच्छिन्नं मुरमंडले होह। चउवीसं च कलाओ० ॥८॥ अजोयणिया उगहा तस्सद्धं चैव हाइनक्वत्ता। नक्खत्तद्ध तारा तस्सद व बाहट ॥९॥ जायणमद तत्ता गाऊय पचधणुसया हुति। गहनक्खत्तंगणाणं तारविमाणाण विखंभो ॥९०॥ जो जस्सा विक्खंभो तस्सद्ध चेव होइ बाहर्छ। तं तिउणं सविसेसं परीरओ होइ बोद्धवो ॥१॥ सोलस चेव सहस्सा अट्ट य चउरो य दुन्नि य सहस्सा। जोइसिआण चिमाणा वहति देवाभिओगाओ ॥२॥ पुरषो वहति सीहा दाहिणओ कुंजरा महाकाया । पञ्चस्थिमेण वसहा तुरगा पुण उत्तरे पासे ॥३॥ चंदेहि उ सिग्घयरा सूरा सूरेहि तह गहा सिग्घा । नक्खत्ता उ गहेहि य नक्षत्तेहिं तु ताराओ॥४॥ सबप्पगई चंदा तारा पुण हुंति सबसिग्घगई । एसो गईबिसेसो जोइसियाणं तु देवाणं ॥५॥
अप्पिढियाओ नारा नक्खत्ता खलु नओ महिड्ढियया । नक्खत्तेहिं तु गहा गहेहिं सूरा तओ चंदा ॥ ६॥ सवम्भितरऽभीई मूलो पुण सत्रबाहिरो भमइ । सबोवरिं च साई भरणी पुण # सबहिटिमया ॥७॥ साहा गहनखत्ता मजमेगा इंति चंदसूराणं । हिट्ठा समं च उप्पिं ताराओ चंदसूराणं ॥८॥ पंचेच धणुसयाई जहनयं अंतरं तु ताराणं । दो चेव गाउआई निवाघा.
एण उक्कोसं ॥९॥ दोनि सए छाबडे जहन्नयं अंतरं तु ताराणं । पारस चेव सहस्सा दो वायाला य उक्कोसा ॥१०॥ एयस्स चंदजोगो सत्तहि खंडिओ अहोरत्ता। ते हंति नव मुहुत्ता सत्तावीस कलाओं अ॥१॥ सयभिसया भरणी अद्दा अस्सस साइजिट्टा या एए छमक्खत्ता पन्नरसमुहत्तसजागा क्खना पणयालमहत्तसंजोगा ॥३॥ अवसेसा नक्सत्ता पनरसया हुँति तीसइमुहुचा। चंदंमि एस जोगो नक्वत्ताणं मुणेयरो॥४॥ अभिई उप मुहले चत्तारि अ केवले अहोरते। सूरण समं बच्चद् इत्तो सेसाण बुच्छामि ॥५॥ सयभिसया भरणीओ अद्दा अस्सेस साइ जिट्टा य। वच्चंति छऽहोरते इकवीसं मुहुत्ते य॥६॥ तिन्नेव उत्तराई पुणवसू रोहिणी य वी
साहा। वचंति मुहुने निन्नि चेव बीसं बहोरत्ते॥७॥ अवसेसा नक्खत्ता पण्णरसवि सूरसहगया जंति। बारस चेव मुहुत्ते तेरस य समे अहोरते ॥ ८॥ दो चंदा दो सूरा नक्खत्ता खलु 5 ९३१ देवेन्द्रस्तवपकीर्णकं आढा-४-१०६
मुनि दीपरत्नसागर