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हवंति छप्पन्ना। छावत्तरं गहसयं जंबुद्दीचे बियारीणं ॥ ९ ॥ इकं च सयसहस्सं तित्तीसं खलु भवे सहस्साइं नव य सया पण्णासा तारागणकोडिकोडीणं ॥ ११० ॥ चत्तारि चेत्र चंदा चत्तारि य सूरिया लवणजले (तोए) वारं नक्खत्तसयं गहाण तिन्नेव बावन्ना ॥ १ ॥ दो चैव सयसहस्सा सत्तडिं खलु भवे सहस्साई नव य सया लवणजले तारा० ॥ २ ॥ चडवीसं ससिरविणो नक्खत्तसया य तिण्णि छत्तीसा। इकं च गहसहस्सं छप्पन्नं धायईसंडे ॥ ३ ॥ अद्वेब सयसहस्सा तिणि सहस्सा य सत्त य सया उ धायइसंडे दीवे तारा ० ॥४॥ वायालीसं चंदा मायालीसं च दिणयरा दित्ता । कालोदहिंमि एए चरंति संबद्धलेसागा ॥ ५ ॥ णक्खत्तमिगसहस्सं एगमेव छावत्तरिं च सयमन्नं छच्च सया छन्नउआ महग्गहाण तिन्निय सहस्सा ॥६॥ अट्ठावीसं कालोदहिम्मि बारस य सयसहस्साई नव य सया पन्नासा ताराः ॥ ७ ॥ चोयालं चंदसयं चोयालं चैव सूरियाण सयं पुक्खरवरम्मि एए चरंति संबद्धलेसाया ॥ ८ ॥ चत्तारिं च सहस्सा बत्तीसं वहुति नक्खत्ता उच्च सया बावत्तर महम्गहा बारस सहस्सा ॥९॥ छन्नउइ सयसहस्सा चोयालीस भवे सहस्साई चत्तारी य सयाई तारा० ॥ १२० ॥ बावतरं च चंदा पावत्तरिमेव दिणयरा दित्ता । पुक्खरवरर्दीवड्ढे चरंति एए पगासिंता ॥ १ ॥ तिष्णि सया छत्तीसा उच्च सहस्सा महग्गहाणं तु । नक्त्यत्ताणं तु भवे सोलागि दुवे सहस्साणि ॥२॥ अडयालीस लक्खा बाबीसं खलु भत्रे सहस्ताई। दो य सय पुक्खरद्धे तारा० ॥ ३ ॥ बत्तीसं चंदसयं बत्तीसं चैव सूरियाण सयं सयलं मणुस्सलोयं चरंति एए पयासिंता ॥ ४ ॥ इकारस य सहस्सा छप्पिय सोला दहाहलया । छच्च सया छनउया नक्खत्ता तिष्णि य सहस्सा ॥ ५ ॥ अट्ठासीई चत्ताई सयसहस्साइं मणुयलोगम्मि सत्त य सयामणूणा तारागणकोडिकोडीणं ॥ ६ ॥ एसो तारापिंडो सङ्घसमासेण मणुयलोगम्मि। बहिया पुण ताराओ जिणेहिं भणिया असंखिजा ॥ ७॥ एवइयं तारग्गं जं मणियं मणुयलोगमज्झम्मि। चारं कळंबुयापुप्फसंठियं जोइस चरई ॥८॥ रविससिगहनक्खत्ता एवड्या आहिया मणुयलोए। जेसिं नामागोयं न पागया पन्नवेर्हिति ॥ ९ ॥ छावहिं पिडयाई चंदाइबाण मणुयलोगम्मि। दो चंदा दो सूराय हुंति इक्किकए पिडये ॥ १३० ॥ छावहिं पिडयाई नक्खत्ताणं तु मणुयलोगम्मि छप्पन्नं नक्खत्ता हुंति० ॥ १ ॥ छाबडी पिडयाई महम्गहाणं तु मणुयलोगम्मि छावत्तरं गहसयं च होइ० ॥ २ ॥ चत्तारि य पंतीओ चंदाइचाण मणुयलोगम्मि छावट्टि छावहिं होइ इक्किक्कया पंती ॥ ३ ॥ छप्पन्नं पंतीओ नक्खाणं तु मणुयलोगम्मि छावडिं० ॥ ४ ॥ छावतरं गाणं पंतिसयं होइ मणुय लोगम्मि छात्रहिं० ॥ ५ ॥ ते मेरुमाणुसुत्तर पयाहिणावत्तमंडला सबै अणवट्टिएहिं जोएहिं चंदा सूरा गहगणा य ॥ ६ ॥ नक्खत्ततारयाणं अवट्टिया मंडला मुणेयबा तेषि य पयाहिणावन्तमेत्र मेरुं अणुचरंति ॥ ७ ॥ रयणियरदिणयराणं उड्ढमहे एव संकमो नत्थि मंडलसंकमणं पुण अभितरवाहिरं तिरियं ॥ ८॥ स्यणियरदिणयराणं नक्खत्ताणं च महम्गहाणं च । चारविसेसेण भवे सुहदुक्खविही मणुस्साणं ॥ ९ ॥ तेसिं पविसंताणं तावक्खिते उ वड्ढए नियमा। तेणेव कमेण पुणो परिहायइ निक्वमिंताणं ॥ १४०॥ तेसिं कलंबुयापुप्फसंठिया हुति तावखित्तमुहा। अंतो य संकुला बाहिं च वित्थडा चंदसूराणं ॥ १ ॥ केणं वड्ढ चंदो ? परिहाणी केण होइ चंदस्स ? । कालो वा जुण्हा वा केणऽणुभावेण चंदस्स १ ॥ २ ॥ किन्हं राहुत्रिमाण नियं चंद्रेण होइ अविरहियं चउरंगुलमप्पत्तं हिद्वा चंदस्स तं चरइ ॥ ३ ॥ छावहिं २ दिवसे २ उ सुकपक्वस्स जं परिवइढइ चंदो खवेइ तं चेव कालेणं ॥ ४ ॥ पन्नरसइभागेण यं पन्नरसमेव चैकमइ पन्नरसहभागेण य पुणोवि तं चैव पक्कमइ ॥ ५ ॥ एवं बढइ चंदो परिहाणी एव होइ चंदस्स। कालो वा जुन्हा वा तेणय ( ऽणु) भावेण चंदस्स ॥ ६ ॥ अंतो मणुस्सखेत्ते हवंनि चारोवगा य उबवण्णा पंचविहा जोइसिया चंदा सूरा गहगणा य ॥ ७॥ तेण परं जे सेसा चंदाइचगहतारनक्खत्ता। नत्थि गई नवि चारो अवट्टिया ते मुणेया ॥ ८ ॥ दो चंदा इह दीवे चत्तारि य सागरे लवणनोए धाइयसंडे दीवे वारस चंदा य सूरा य॥ ९॥ एगे जंबुद्दीवे दुगुणा लवणे चउम्गुणा हुति कालोयए तिगुणिया ससिसूरा घायईसंडे ॥ १५० ॥ चायइडप्पभिई उहिट्टा निगुणिया भवे चंदा आइ चंदसहिया अनंतराणंतरे खित्ते ॥ १ ॥ रिक्खग्गहतारग्गा दीवसमुद्दाण इच्छले नाउं तस्स ससीहि उ गुणियं रिफ्खग्गहतारयग्गं तु ॥ २ ॥ बहिया उ माणुसनगम्स चंदसूराणऽवडिया जोगा चंदा अभीइजुत्ता सूरा पुर्ण हुंति पुस्सेहिं ॥ ३ ॥ चंदाओ सूरस्स य सूरा ससिणो य अंतरं होई । पण्णाससहस्साइं जोयणाणं अणूणाई ॥ ४ ॥ सूरम्स य सूरम्स य ससिणो समिणो य अंतरं होइ पहिया उ माणुसनगस्स जोअणाणं सयसहस्सं ॥ ५ ॥ सूरंतरिया चंदा चंदंतरिया उ दिणयरा दित्ता । चितरलेसागा सुलेसा मंदलेसा य ॥ ६ ॥ अड्डासीयं च गहा अद्वावीसं च हुति नक्खत्ता एगससीपरिवारो एतो ताराण वृच्छामि ॥ ७॥ छाबडि सहस्साई नव चैव सवाई पंचसयराई। एससी परिवारो नारागणकोडिकोडीणं ॥ ८ ॥ वाससहस्सं पलिओदमं च सूराण सा ठिई भणिया पलिओक्म चंद्रार्ण वाससयसहस्समन्महियं ॥ ९ ॥ पलिओयमं गहाणं नक्खताणं च जाण पलिय पलियउत्थो भाओ ताराणवि सा लिई भणिया ॥ १६० ॥ पलिओचमभागो ठिई जहण्णा उ जोइसगणस्स पलिओम मुकोसं वाससयसह स्समम्भहिये ॥ १ ॥ भववइयाणवंतर जोइसवासी ठिई मए कहिया कप्पवईवि य बुच्छं बारस इंदे महिइडीए ॥ २ ॥ पढमो सोहम्मबई ईसाणवई उ भन्नए बीओ तत्तो सर्णकुमारो हवा चउत्थो उ माहिदो ॥ ३ ॥ पंचमए पुष बंभो छट्टो पुण लंतओऽत्य देविंदो । सत्तमओ महसुको अट्टमओ भवे सहस्सारो ॥ ४ ॥ नवमो य आणहंदो दसमो उण पाणउऽस्थ देविंदो आरण (२३३) ९३२ देवेन्द्रस्तवप्रकीर्णक, जादा- १०६ - १७४
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मुनि दीपरत्नसागर