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________________ इकारसमो बारसमो अचुए इंदो॥५॥ एए पारस इंदा कप्पवई कप्पसामिया भणिया। आणाईसरियं वा तेण परं नस्थि देवाणं ॥३॥ तेण परं देवगणा सयइच्छियभावणाइ उववन्ना। गेविजेहि न सको उववाओ अन्नलिंगेणं ॥७॥ जे देसणवावन्ना लिंगरगहणं करंति सामण्णे। तेसिपिय उववाओ उक्कोसो जाव गेविजा ॥ ८॥ इत्थ किर विमाणाणं बत्तीसं वणिया सयसहस्सा । सोहम्मकप्पवइणो सक्कस्स महाणुभागस्स ॥९॥ ईसाणकप्पवइणो अट्ठावीसं भवे सयसहस्सा । बारस्स सयसहस्सा कप्पम्मि सर्णकुमारम्मि ॥१७० ॥ अद्वैव सयसहस्सा माहिदंमि उ भवंति कप्पम्मि । चत्तारि सयसहस्सा कप्पम्मि उ बमलोगम्मि ॥१॥ इत्थ किर विमाणार्ण पन्नासं लंतए सहस्साई । चत्तारि महासुके छच सहस्सा सहस्सारे ॥२॥ आणयपाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरणचुए तिन्नि। सत्त विमाणसयाई चउसुचि एएसु कप्पेसु ॥३॥ एयाई विमाणाई कहियाई जाई जत्य कप्पम्मि । कप्पवईणवि सुंदरि! ठिईविसेसे निसामेहि ॥४॥ दो सागरोवमाई सकस्स ठिई महाणुभागस्स । साहीया ईसाणे सत्तेव सणकुमारम्मि ॥५॥ माहिंदै साहियाई सत्त दस चेव बंभलोगम्मि। चउदस लंतइ कप्पे सत्तरस भवे महासुके ॥ ६॥ कप्पम्मि सहस्सारे अट्ठारस सागरोवमाई ठिई। एगुणा(गुणवीसा)ऽऽणयकप्पे वीसा पुण पाणए कप्पे ॥७॥ पुण्णा य इकवीसा उदहिसनामाण आरणे कप्पे। अहम अच्चुयम्मि कप्पे बाबीसं सागराण ठिई ॥८॥ एसा कप्पवईणं कप्पठिई वण्णिया समासेणं। गेविजऽणुत्तराणं सुणऽणुभागं विमाणाणं ॥९॥ तिण्णेव य गेविजा हिडिहा मज्झिमा य उवरिडा । इकिकपि य तिविहं नव एवं हुंति गेविजा ॥१८० ॥ सुदसणा अमोहा य, सुप्पबुद्धा जसोधरा। वच्छा सुवच्छा सुमणा, सोमणसा पियदसणा ॥१॥ एकारसुत्तरं हेडिमए सनुत्तरं च मज्झिमए। सयमेगं उवरिमए पंचव अणुत्तरविमाणा॥२॥ हेडिमगेविजाणं तेवीसं सागरोवमाई ठिई। इकिकमारुहिजा अट्टहिं सेसेहिं नमिवंगी !॥३॥ विजयं च बेजयंती जयंतमपराजियं च बोद्धवं। सबट्टसिद्धनाम होइ चउहं तु मज्झिमयं ॥४॥ पुवेण होइ विजयं दाहिणओ होइ वेजयंतं तु। अवरेणं तु जयंत अवराइयमुत्तरे पासे ॥५॥ एएसु विमाणेसु उ तित्तीसं सागरोवमाई ठिई। सबढसिद्धनामे अजहन्नुक्कोस तित्तीसा ॥६॥ हिडिल्ला उवरिष्डा दो दो जुयलऽदचंदसंठाणा। पडिपुण्णचंदसंठाणसंठिया मज्झिमा चउरो॥७॥ गेषिजाऽऽवलिसरिसा गेविना तिषिण २ आसन्ना। हुड्यसंठाणाई अणुत्तराई विमाणाई ॥८॥ घणउदहिपइट्ठाणा सुरभवणा दोसु हुँति कप्पेसुं। तिसु वाउपइटाणा तदुभयसुपइट्ठिया तिन्नि ॥९॥ तेण परं उवरिमया आगासंतरपइडिया सके। एस पइट्ठाणविही उड्डे लोए विमाणाणं ॥ १९०॥ किण्हा नीला काऊ तेऊलेसा य भवणवंतरिया। जोइससोहम्मीसाण तेउलेसा मणेयवा ॥१॥ कप्पे सणंकमारे माहिंदे चेव बंभलोए य। एएसु पम्हलेसा तेण परं सुक्कलेसा उ॥२॥ कणगत्तयरत्ताभा सुरवसभा दोसु हुँति कप्पेसु। तिमु हुँति पम्हगोरा तेण परं सुकिला देवा ॥३॥ भवणवइबाणमंतरजोइसिया हुँति सत्तरयणीया। कप्पबईणऽइ ! सुंदरि! सुण उच्चत्तं सुरवराण ॥४॥ सोहम्मीसाणसुरा उचते हुति सत्तरयणीया। दो दो कप्पा तुड़ा दोसुवि परिहायए रयणी ॥५॥ गेविजेसु य देवा रयणीओ दुन्नि हुंति उचाओ। रयणी पुण उच्चत्तं अणुत्तरविमाणवासीणं ॥ ६॥ कप्पाओ कप्पम्मि उ जस्स ठिई सागरोदमभहिया। उस्सहा तस्स भव इकारसभागपरिहाणा ॥७॥ जा अविमाणुस्सहा पुढवाणं जं च होइ बाह्र्छ। दुण्डंपितं पमार्ण बत्तीसं जोयणसयाई॥८॥भवणवदवाणमंतरजोडसिया हंति काय पबियारा। कप्पवईणवि सुंदरि ! वुच्छं पवियारणविही उ ॥९॥ सोहम्मीसाणेसुं सुरवरा इंति कायपवियारा । सर्णकुमारमाहिंद फासपवियारया देवा ॥२०॥ बंभे लंतयकप्पे सुरवरा 5 हुंति रूवपवियारा । महसुक्कसहस्सारे सहपवियारया देवा ॥१॥ आणयपाणयक आरण तह अचुए सुकप्पम्मि। देवा मणपवियारा तेण परं चूअपवियारा ॥२॥ गोसीसागुरुकेयइपतपुनागबउलगंधा य। चंपयकुवलयगंधा तगरेलसुगंधगंधा य॥३॥ एसा णं गंधविही उवमाए वणिया समासेणं । विट्ठीएविय तिविहा थिरसुकुमारा य फासेणं ॥४॥ तेवीसं च बिमाणा चउरासीइंच सयसहस्साई। सत्ताणउइ सहस्सा उदलोए विमाणाणं ॥५॥ अउणाणउइ सहस्सा चउरासीई च सयसहस्साई। एगूणयं दिवढं सयं च पुष्फाचकिण्णाणं ॥६॥ सत्तेव सहस्साई सयाई बाबत्तराई अट्ठ भवे । आवलियाइ विमाणा सेसा पुष्पावकिण्णाणं ॥७॥ आवलिआइ विमाणाण अंतरं नियमसो असंखिज । संखिज्जमसंखिजं भणियं पुष्पावकिन्नाणं ॥८॥ आवलियाइ विमाणा वट्टा तंसा तहेव चउरंसा। पुष्पावकिण्णया पुण अणेगविहरूवसंठाणा ॥९॥ वद सु वलयगंपिव तंसा सिंघाडयंपिव विमाणा। चउरंसविमाणा पुण अक्खाड. पढमं वट्टविमाणं बीयं तसं तहेव चउरसं। एतरचउरंसं पुणोवि बटुं पुणो वंसं ॥१॥ वर्ल्ड वहस्सुवरि तंसं तंसस्स उप्परि होइ। चउरंसे चउरंस उड़द तु विमाणसेडीओ ॥२॥ उवलंबयरजूओ सवबिमाणाण हुंति समियाओ। उवरिमचरिमंताओ हिडिलो जाव चरिमंतो ॥३॥ पागारपरिक्खित्ता वट्टबिमाणा हवंति सवि। चउरंसवि. माणाणं चउदिसिं बेइया भणिया ॥४॥ जत्तो वट्टविमाणं तत्तो संसस्स बेइया होइ। पागारो बोदको अवसेसाणं तु पासाणं ॥५॥ जे पुण वट्टविमाणा एगदुबारा हवंति सधेवि। तिन्नि य तंसविमाणे चत्तारि य हुँति चउरंसे ॥६॥ सत्तेव य कोडीओ हवंति बावत्तरि सयसहस्सा। एसो भवणसमासो भोमिजाणं सुरवराण ॥७॥ तिरिओववाइयाणं रम्मा भोम्मनगरा ९३३ देवेन्द्रस्तवप्रकीर्णक महा-७५-२१८ मुनि दीपरत्नसागर
SR No.003932
Book TitleAagam Manjusha 32 Painnagsuttam Mool 09 Devindtthav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages9
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_devendrastava
File Size6 MB
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