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असंखिजा। तनो संखिजगुणा जोइसियाणं विमाणा उ॥८॥ थोवा विमाणवासी भोमिज्जा वाणमंतरमसंखा। ननो संखिजगुणा जोइसवासी भवे देवा ॥९॥पनेयविमाणाणं देवीणं छम्भवे सयसहस्सा। सोहम्मे कप्पम्मि उ इंसाणे हुंति चत्तारि ॥२२०॥ पंचेवऽणुत्तराई अणुत्तरगईहिं जाई दिहाई। जत्थ अणुनरदेवा भोगसुहमणूवमं पत्ना ॥१॥ जन्य अणुनर गंधा तहेव रूवा अणुनरा सहा । अचित्तपुग्गलाणं रसो अ फासो अगंधो अ॥२॥पप्फोडियकलिकलुसा पप्फोडियकमलरेणुसंकासा । वरकुमममहुकरा इव मुहुमयरं नंदि (दंति) घोईति ॥ ३॥ यरपउमगम्भगोरा सबे ते एगगम्भवसहीआ। गम्भवसहीविमुका सुंदरि ! सुक्खं अणुहवंति ॥४॥ तेत्तीसाए सुंदरि! वाससहम्सेहिं होइ पुष्णेण । आहाराऽवहि देवाणऽणुत्तरविमाणवासीण ॥५॥ सालसहि सहस्साह पहिसएहि हाइ पुण्णाह। आहारो देवार्ण मज्झिममाउ धरिताण ॥६॥ दस वाससहस्साईजहन्नमाउं घरनि जे देवा । तसिपि य आहारो चउत्यभत्तेण बोडबो॥७॥ संवच्छरस्स सुंदरि ! मासाणं अद्वपंचमाणं च। उस्सासो देवाणं अणुनरविमाणवासीणं ॥८॥ अद्रुमेहिं राईदिएहिं अडहि य सुतणु ! मासेहिं । उस्सासो देवार्ण मज्झिममाउं धरिताणं ॥ ९॥ सत्तण्हं थोवाणं पुण्णाणं पुष्णइंदुसरिसमुहे !। ऊसासो देवाणं जहन्नमाउं धरिताणं ॥२३०॥ जइ सागरोक्माई जस्स ठिई तस्स तनिएहिं पक्खेहिं। ऊसासो देवाणं वाससहस्सेहिं आहारो॥१॥ आहारो ऊसासो एसो में वन्निओ समासेणं। सुमनरायनाहि ! (घणाहि) मुंदरि अचिरेण कालेण ॥२॥ एएसि देवाणं ओही उ विसेसओ उ जो जस्स । तं सुंदरि ! वाणेऽहं अहम आणुपुत्रीए ॥३॥ सोहम्मीसाण पढमं दुचं च सणंकमारमाहिंदा । तचं च बंभलंतग सुक्कसहस्सारय चरन्थि ॥४॥ आणयपाणयकप्पे देवा पासंति पंचमि पुडविं। नं चेव आरणमय ओहियनाणेण पासंति ॥५॥छट्टि हिडिममज्झिमगेविजा सत्तमि च उवरिडा । संभिजलोगनालिं पासंनि अणुत्तरा देवा ॥६॥ संखिजजोयणा खलु देवाणं अइसागरे ऊणे। तेण परमसंखिजा जहन्नयं पन्नवीसं तु ॥ ७॥ तेण परमसंखिजा तिरियं दीचा य सागरा चेव। बहुययरं उवरिमया उइढं तु सकप्पथूभाई ॥८॥ नेरइयदेवतित्थंकरा य ओहिस्सऽवाहिरा १नि। पासंनि सबओ स्खलु सेसा देसेण पासंति ॥९॥ ओहिन्नाणे विसओ एसो मे वणिओ समासेणं। वाहाई उच्चनं विमाणपन्नं पुणो बुच्छं ॥२४०॥ सत्तावीसं जोयणसयाई पुढवीण ताण (होड) बाहल। सोहम्मीसाणेसुं रयणविचित्ता य सा पुढबी ॥१॥ तत्थ विमाणा बहुविहा पासायपगइवेइयारम्मा। वेखलियभियागा रयणामयदामलंकारा ॥२॥ केइत्यऽसियविमाणा अंजणधाउसरिसा सभावेण । अहयरिट्ठसवण्णा जत्थावासा सुरगणाणं ॥३॥ केइ य हरियविमाणा मेयगधाऊसरिसा समावे मारगीवसवण्णा जत्थावासा सुरगणाणं ॥४॥ दीवसिहसरिसवर्षिणस्थ केड जासुमणसूरसरिवन्ना । हिंगुलयधाउवण्णा जत्थावासा सुरगणाणं ॥५॥ कोरिटधाउवण्णित्व के फुलकणियारसरिसवण्णा या हालिदभेयवण्णा जत्थाबासा मुरगणार्ण ॥६॥ अविउत्तमल्छदामा निम्मलगाया सुगंधनीसासा। सो अवडियक्या सयंपभा अणिमिसच्छा य॥७॥ बावत्तरिकलापंडिया उ देवा हवंति सवेवि । भवसंकमणे तेसिं पहिवाओ होइ नायवो ॥८॥ कडाणफलविवागा सच्छंदविउवियाभरणबारी। आभरणवसणरहिया हवंति साभावियसरीरा ॥९॥
ग्गहीणमहिमा ओगाहणवण्णपरिमाणा ॥२५०॥ किण्हा नीला लोहिय हालिदा सकिला बिरायंति। पंचसए उविद्धा पासाया तेस कप्पेसु ॥ १॥ तत्थासणा बहुविहा सयणिजा मणिभनिसयविचित्ता। विरदयवित्थडभूसा रयणामयदामलंकारा ॥२॥ छथीस जोयणसयाई पुढवीणं ताण होइ बाहाडं । सणंकुमारमहिंद स्थणविचिना य सा पुढवी ॥३॥ तत्थ य नीला लोहिय हालिदा सुकिला विरायंति। छन्द सए उविद्धा पासाया तेसु कप्पेसु ॥४॥ तत्थ विमाणा बहुविहा० ॥५॥ पण्णावीसं जोयण - सयाई पुढवीण होइ बाहाई । भयलंनयकप्पे स्वणविचिना य सा पुढवी ॥६॥ तत्थ विमाणा बहुविहा०॥७॥ लोहिय हालिदा पुण सुर्किलवण्णा य ने विरायंनि। सत्तसए उबिद्धा पासाया नेसु कप्पेसु ॥८॥ चवीस जोयणयसयाई पुढवीण होइ बाहलं । सुके थ सहस्सारे रयणविचित्ताय सा पुढवी ॥ ९॥नस्थ विमाणा बहुविहाः ॥२६० ॥ हालिदभेयवण्णा सुफिलवण्णा य ने विरायंनि । अट्ठ य ते उविदा पासाया तेसु कप्पेसु ॥१॥ तत्वासणा बहुविहा॥२॥ तेवीसं जोयणयसयाइ पुढवीण नासिं होई वाहलं। आणयपाणयारणबुए विचिना उसा पुढवी ॥३॥नन्य विमाणा बहुविहा॥४॥ संखंकसनिकासा सच्चे दगरयतुसारसरिवषणा। नव य सए उबिदा पासाया नेमु कप्पेमु॥५॥ बावीसं जोयणयसयाइ पुढवीण तासि होह वाहुडं। गेविजविमाणेसु रयणविचित्ता उसा पुढवी ॥६॥ नन्थ विमाणा बहुविहा॥७॥ संखंकसन्निकासा सदगरयनुसारसरिवण्णादिस य सए उविदा पासाया नेसु रायंति ॥ ८॥ एगवीसं जोयणसयाई पृढवीणं नासि होड बाहाई। पंचसु अणुत्तरेसु रयणविचित्ता य सा पुढवी ॥ ९ ॥ तन्य विमाणा बहुविहा॥२७० ।। संखंकसन्निकासा सवे दगस्यतुसारसरिचण्णा ।इकारस उभिदा पासाया ने विरायंनि॥१॥नन्थासणा बहुविहा सयणिना मणिभत्तिसयविचित्ता। विरइयविन्थड(भू)सा य रयणामयदामलंकारा ॥सबट्टविमाणस्स उसववरिछाउ थुभियंताओ। वारसहिं जोयणेहिं इसिपब्भारा तओ पुढवी ॥३॥ निम्मलदगरयवण्णा तुसारगोखीरफेणसरिवण्णां। भणिया उजिणवरेहिं उत्नाणयछनसंठाणा ॥४॥ ९३४ देवेन्द्रस्तवप्रकीर्णकं, आळा-२८-२93
मुनि दीपरत्नसागर