Book Title: Jain Vangmay me Bramhacharya Author(s): Vinodkumar Muni Publisher: Vinodkumar Muni View full book textPage 8
________________ 2.15 विभ्रम 2.16 अधर्म 2.17 अशीलता 2. 18 ग्राम धर्म तप्ति 2.19 रति क्रीडा 2.20 रागचिंता 2.21 कामभोगमार 2.22 वैर 2.23 रहस्यम 2.24 गुह्य 2.25 बहुमान 2.26 ब्रह्मचर्यविघ्न 2.27 व्यापत्ति 2.28 विराधना 2. 29 प्रसंग 2.30 कामगुण 2.31 विषयासक्ति 2.32 बहिद्ध 2.33 पर्यापादन 2.34 संवास 2.35 परिचारणा 2.36 काम भोग 2.37 कुशील 2.38 ग्राम्य क्रीड़ा 2.39 लिंग एवं वेद 3.0 अब्रह्मचर्य कारक तत्त्व 3.1 कुशील की संगत 3.2 शब्द श्रवण रूप दर्शन 3.3 3.4 आहार 3.5 शरीर viiPage Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 225