Book Title: Jain Vangmay me Bramhacharya
Author(s): Vinodkumar Muni
Publisher: Vinodkumar Muni

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Page 11
________________ អបអង្គរ 1.3 भावात्मक लाभ 1.3.1. शुभ लेश्याओं की परिणति 1.3.2. आत्मिक सुख (समाधि) 1.3.3. घोर ब्रह्मचर्य ऋद्धि 1.3.4. सुलभ बोधिता 1.4 आध्यात्मिक लाभ 1.4.1. दुःख मुक्ति 1.4.2. संवर 1.4.3. कर्म निर्जरा 1.4.4. सद्गति 1.4.5. मोक्ष 1.4.6. साधना की क्षमता में वृद्धि 2.0 अब्रह्मचर्य से हानियां 2.1 शारीरिक हानियां 2.1.1.निर्बलता 2.1.2.जरा (बुढ़ापा) 2.1.3.इन्द्रिय मूढ़ता 2.1.4.नि:संतानता 2.1.5.रोग 2.1.6.अकाल मृत्यु 2.1.7.दण्ड 2.1.8.दु:ख 2.1.9.तनाव 2.2 मानसिक हानियां 2.2.1.परवशता 2.2.2.अनिश्चितता 2.2.3.चिंता 2.2.4.मानसिक असमाधि(अशांति) 2.2.5.दुर्ध्यान 2.2.6.धृष्टता 2.2.7.पश्चाताप

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