Book Title: Jain Vangmay me Bramhacharya
Author(s): Vinodkumar Muni
Publisher: Vinodkumar Muni

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Page 10
________________ 4.31. 4.27. मत्स्य 4.28. भैंसा 4.29. हाथी 4.30. वैतरणी नदी चोर 4.32. पिशाच 4.33. रेशम का कीड़ा 4.34. सछिद्र बर्तन 4.35. मालती लता 4.36. कौआ 4.37. कुत्ता 4.38. कीड़े 4.39. घी 4.40. पागल 4.41. अपथ्य आहार 4.42. कुष्ठ रोग 5.0 निष्कर्ष 6.0 संदर्भ अध्याय तृतीय ब्रह्मचर्य के लाभ और अब्रह्मचर्य की हानियां 1.0 ब्रह्मचर्य के लाभ 1.1 व्यावहारिक लाभ 1.1.1. मंगलकारी 1.1.2. विश्वास पात्रता 1.1.3. मैत्री का विकास 1.1.4. सम्मान 1.1.5. शारीरिक स्वास्थ्य 1.2 मानसिक लाभ 1.2.1. मानसिक स्थिरता 1.2.2. मानसिक स्वास्थ्य 1.2.3. सद्गुणों का प्रेरक 1X

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