Book Title: Jain Vangmay me Bramhacharya
Author(s): Vinodkumar Muni
Publisher: Vinodkumar Muni

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Page 3
________________ उपायों की उपेक्षा करने के घातक परिणामों का भी जिक्र किया गया है। सुरक्षा के साथ विकास भी आवश्यक है। पंचम अध्याय में ब्रह्मचर्य के विकास के सूत्रों को बारह प्रकार के तप के अन्तर्गत प्रस्तुत किया गया है। षष्ठ अध्याय में 'उपसंहार' में सभी अध्यायों के सार को नवनीत रूप में प्रस्तुत किया गया है। - मुनि डॉ. विनोद कुमार 'विवेक'

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