Book Title: Yogshastram
Author(s): Hemchandracharya,
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha
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योगशास्त्रम्
३६११
२४३ शुक्लध्यानस्य भेदाश्चत्वारः ३८१ १ । २५५ योगिनो ध्यानस्वरूपम्
३९१ २४४ अमनस्कत्वेऽपि केवलिनो ध्यानसिद्धिः ३८२२ । २५६ बाह्यात्मा-न्तरात्म-परमात्मनां स्वरूपम्३९० १शकमाणका। २४५ शुक्लध्यानचतुष्टयस्य विस्तारः । ३८३ १ २५७ आत्मपरमात्मनोरक्यम्
३६० २ २४६ घातिकर्माणि
३८३ २ २५८ गुरुपारतन्त्र्यस्य गुणवत्ता ३९.२ २४७ तीर्थङ्करस्यातिशयाः
३८३ २ २५६ गुरूपदेशेन योगिनः कृत्यम् ३९१ १ २४८ सामान्यकेवलिस्वरूपम्
३८५ २ २६० औदासीन्यं तत्फलं च २४६ केवलिसमुदघातः ३८६१ २६१ इन्द्रियरोधनिषेधः
३९१ २ २५० शैलेशीकरणम् ३८७ २ २६२ मनःस्थिरतोपायः
३६२१ २५१ सिद्धस्योर्ध्वगमने हेतुः ।
३८८१ २६३ मनोजयविधिः तत्फलं च ३९२ २ द्वादशः प्रकाश २६४ तत्त्वज्ञानस्य प्रत्ययः
३९३ १ २५२ अनुभवसिद्धतत्त्वकथनम् ३८६ १ २६५ अमनस्कत्वस्य फलम्
३९३१ २५३ विक्षिप्त-यातायात-श्लिष्ट-सुलीनभेदं चित्तम् ३८६१ | २६६ उपदेशसर्वस्वम्
३६४२ २५४ निरालम्बनध्यानम्
३८६ २ । २६७ एतच्छास्त्ररचने कारणम् ३९५
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॥8॥
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