Book Title: Yogshastram
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ योग शास्त्रम् ॥ ७ ॥ ***..*.*.*+++ Jain Education Internation १३४ गुरोस्त्रयस्त्रिंशदाशातनाः १३५ प्रतिक्रमणशब्दार्थः १३६ प्रतिक्रणमविधिः १३७ कायोत्सर्गविधिः १३८ कायोत्सर्गे एकविंशतिर्दोषाः १३६ प्रत्याख्यानस्वरूपम् १४० रात्रिकृत्यम् १४१ योषिदङ्गविचारणे स्थूलभद्रकथा १४२ स्त्रीशरीरस्वरूपम् १४३ व्रतपालनोपरि कामदेवकथा १४४ उच्च मनोरथचिन्तनम् १४५ श्रावकस्यैकादश प्रतिमाः १४६ समाधिमरणोपरि आनन्द श्रावककथा १४७ श्रावकस्योतरा गतिः २४२ २ २४७ १ २४७ २ २५० १ २५० २ २५१ १ २५८ १ २५८ २ २६६ १ २६७ २ २६६२ २७१ २ २७३ १ २७७ २ चतुर्थः प्रकाशः १४८५ आत्मनो रत्नत्रयेण सहैकत्वम् १४९ आत्मज्ञानस्तुतिः १५० कषायस्वरूपम् १५१ इन्द्रियस्वरूपम् १५२ मनः शुद्धिस्वरूपम् १५३ मनः शुद्धि विना तपसोऽफलत्वम् १५४ लेश्या स्वरूपम् १५५ रागद्वेषयोर्दुर्जयत्वम् १९६ रागादिजयोपायः १५७ समताप्रभावः १५८ द्वादश भावनाः १५६ साम्यफलम् १६० ध्यानस्वरूपम् १६१ मैत्र्यादिभावनाचतुष्टयम For Personal & Private Use Only २७८ २ २७६ १ २८० १ २८७ २ २००१ २६१२ २९२ २ २९४ १ २६४ २ २६६ १ २९७ १ 出下 2-1-14-06 airle अनु क्रमणिका । ३३४ १ ३३५ १ ३३५ २ ॥७॥ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 786