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आप आज तक पंजाब तथा बम्बई आदि म अनेक शिविरों का आयोजन कर चके हैं । आप के हृदय में जो साहस तथा समाज के प्रति जो तड़प है वह किसी परिचित से अज्ञात नहीं।
प्रस्तुत ग्रन्थ उन की समन्वय भावना, विश्लेषण-शक्ति तथा विद्वत्ता का मिश्र निदर्शन है। ____ इस ग्रंथ में योग शास्त्र के प्रथम प्रकाश के मात्र ३३ श्लोक ही लिए गए हैं। इस में पाठक को योग के विषय में स्पष्ट दृष्टि कोण प्राप्त हो सकता है । मुनि जी के अन्य छोटे बड़ १५ ग्रथ भी प्रकाशन के लिए प्रैस मे जा च के है । मुनि श्री जी अन्य रुचिक विषयों पर लेखनी के द्वारा समाज को लाभान्वित करेंगे, ऐसा विश्वास है।
पुस्तक प्रकाशन का दायित्व "विजय वल्लभ मिशन' को सौंपा गया। प्रकाशन में कुछ विलम्ब हुआ, इस के लिए अनेक कारण है। श्री गौड़ी जी जैन उपाश्रय में जनता ने विशाल संख्या में योग शास्त्र पर जो प्रवचन सुने हैं, उन में से प्रारम्भ के २० प्रवचन आप की सेवा म प्रस्तुत किए जा रहे हैं । आशा है कि इन प्रवचनों से आप को योग्य मार्ग दर्शन मिल सकेगा।
जिन दानवीरों ने इस पुस्तक में धनराशि का सहयोग देकर भक्ति का लाभ लिया है, उन का धन्यवाद है ।
. श्री बलदेव राज जी, महामन्त्री-श्री आत्मानन्द जैन महासभा उत्तरी भारत का भी आभार व्यक्त करना चाहिए जिन्होंने . श्री सोहन विजय प्रैस में यह ग्रन्थ-प्रकाशन समय पर मद्रित कर दिया। ..
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