Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 3
________________ v==000000000000000000000000000 समर्पण ! -0000000 D00000000000=000000 -0c00000-00-0000000 जैनपरिपन्थी-शिथिलाचारियों के बढ़ते हुए विषम वातावरण के समय में जिन्होंने समस्त उपा। धियों का त्याग कर के प्रभु श्रीमहावीर के कथित सिद्धान्तों का प्रचार किया, जिन्होंने श्रुतकेवली, पूर्वधर और बहुश्रुताचार्यों से समाचरित आगमानुसारिणी विशुद्ध क्रिया का मान करा के, मर्यादा पूर्वक अप्रतिबद्ध विहार और उपदेशों से जैनाभासों के चंगुल में फसी हुई अनेक भव्यात्माओं का उद्धार किया और जिन्होंने अपनी तत्त्वपूर्ण-सुन्दर ! कृतियों से जैन और जैनेतर जगत् में प्रसिद्धि पाई। उन सर्वतंत्र-स्वतंत्र, परमयोगिराज, जगत्पूज्य, प्रातःस्मरणीय भावालब्रह्मचारी, शासनसम्राट, स्वर्गस्थ गुरुदेव श्रीमद्-विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज की पवित्र सेवा में मुझ पामर की यह लघु कृति सविनय, सादर और सप्रेम समर्पित है। गुरुपदकजसेवाहेवाक-मुनियतीन्द्रविजय / v=100000000000==oXVEDO 00000000000000000000 0000 -.00ook %3-0000000

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 318