Book Title: Yatindramatdipika
Author(s): Nivasdas, Hari Narayan Apte,
Publisher: Anand Ashram
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२९।१८ सर्गश्च प्र
व्याप्यव्यापक
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.... ९।२३
.
이 3
९३९८
सूचीपत्रम् । पृ. ५०
पृ.प. विष्णुशक्तिः ७०२५
४९।१५ वेणुरन्ध्र .... ९१।२५ सदेवसो .... ....
५२॥ ७
७१।३ वैकुण्ठे तु .... ८४१२०
७९।२१ वैकुण्ठे तु .... ८४११३ सन्मूलाः सौम्य
७०।१३ वैष्णवं ना
२९।१५ .... ..... १८१७
सर्वव्यापी ....
सर्वातिशय .... शक्तयः सर्व.... ९७.१३ सहस्रस्थूणे .... शक्त्या जग
५।२३ सात्त्विकानि शौचसंतोष .... ६२।२० | सात्त्विकेष्वथ श्येनेनामि .... २७१७ / साधनं भगवत्प्राप्ती श्रीपतिर्भ ....
७।१० सुतं पतन्तं .... .... श्रीभाष्यादि
१२२० सूर्यकोटि .... .... श्रीवत्ससं .... ५४।२० सोऽप्रयुक्तोऽपि श्रीवेङ्कटेशं ....
१॥ ५ सोमामावे ....
सोऽरोदीत् .... २०१३ स एनं प्रीतः
९८२१ स्तम्भः स्तम्भः १७२७ स एवैनं ....
स्थिरसुख .... संकर्षणो .... ८९।२४ स्मृतिः प्रत्यक्ष
७२९ संभवामि .... ८७२६ स्वधीविशेष
५६०१५ संस्थानाति .... २११११ स्वरूपमणु .... १९।२४ ७०। ५ स्वसत्तामास
५२॥ ५ स चानन्त्याय
७०।२३ स्वस्वविषय.... १२२२१ सच्छिद्रत्वा....
६८९ सत्त्वे न भ्रान्ति
११॥ ९ हृदयस्थानां.... .... ३७।२७ सदा पश्यन्ति ७२।१७ होश्च ते .... .... ....
.... ८४१५ सदृशादृष्ट ....
७७
६६।१९
१२।१७
...
.... ६२।२१
....
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