Book Title: Yashovijay Smruti Granth
Author(s): Yashovijay
Publisher: Yashobharti Jain Prakashan Samiti

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Page 17
________________ किटान नित्र डॉ. श्रीयुत भोगीलाल मांडसग तया वकील श्रीयुत नागकुमार मन्त्रातीए मालखेळां संस्मरणो वगैर, अन अन्तमा उपाध्यायी भगवानना अन्योनी क्वु शुद्ध अन विशिष्ट ग्रन्ययादी आपी है. आ रीने आता प्रन्यनी पृष्ठ संख्या १९० अई छ. या अंक्रमा मार्कानी नहागन तथा प्राचिन लेखन पण खास स्थान आप्यु कारण के बैन संबनां आवे अंगो ज्ञानना क्षेत्रमा घणां दुर्वक मां है, तथा का अंगोमां पण आ दिशामां ईक साह वर्षन थाय. एक वादनों गैरवर्वक उल्लेख करो नाईए के समितिए लखकाने लेखोटखवा नांदोडी के मास जेटली अपसमय-नयांदा आपली; बळी, उपाध्यायी अंगे व ईकलतबा आमह सेवेलो ज्यारे बांनी बाजुप उपान्यायनंना जीवन उपर छच्या मांद, आज सुधी नहीं जेवी काची सामग्री विद्यमान नही, न्होटो वर्ग तमन बीवन-कवनी परिचित हतो, मा संजोगोमां कार्यसागरमागवड डूबेला विद्वर्ग पाथी बौद्धिक सान्नी मेळवी, ए के नकल कार्य में ते दविझोथी अमान नथी. एटल व समितिए ज्या नात्र पदक टलोनी आशा गखेली त्यां वारणार्थी द्विगुणाविक लन्चो नळवी शनी, ते संग्खर, यातनान पुप्य लोक महापुटपना पुष्यबळ व आभारी हतुं. मुजसवठीमास अंगे पृ. च्यायनी भगवान्ना नविननी टूकी नाव मात्र 'मुजसबेलामास' नामी चार वाठमा बिना एली, ५२ कडीओमा पूर्ण थती एक नानकही गूजरानी पद्यकृति रजू कर हे (जे काव्यकृति भाज मंचना २३५मा पृटना है) आपणा दुर्भाग्य आकृति शिवाय एम्ना जीवन संगे वीत्री कोई व्यवस्थित नोत्री, विचित्र घटनाओ, विहारप्रदेशो, शियसंपत्ति अंने न्यनामा वगेर बाबतो मंगे कोई बास सामग्री मती नयी.वाघा बाबतो उपर अंधापट व पथरामुलो छै; एम रतां मुजसबलीकारे एक महापुटपनी बीवनपटनाने पधमां गूयॉन तोश्री त्रिप में कई परिचय आप्यों है ते अभूतपूर्व छ ने अद्वितीय है तथी नैन संघ साबर ! तमनो ओशिंगण है. पाध्यायजीनो जन्मसमय कयो ? यहीं पक्राउ विचारवानी है. मुजसवीनार जन्मनी सा के तिथि वणावी नथी. मात्र दालाईदीका ने पाण्यायपदनी साम्रो व बणावी है, पग तिथि वणावी नथी. स्वर्गगमननी साल स्पष्ट बगावी नथी, निधि पण जगाची न्या. दीनानी सार १६८८ जगाच्या बाद १० वरसना * ન: રચરિત્ર કહ્યું તમામ ગ્રન્થનું પ્રમાણ, જાવા, દિય, કત, કેના શાસનમાં ખી, તેના દર કયાં છે, ક્રિકૃતિના પ્રારક કેવિગેરે અનેક હકીકતા સાથેની સરિત ગ્રન્થयो माया કે મદીર નાવિયના કવિ વવદદ સ્મારક અંક પા પરિચમાં દષ્ટિ કે પ્રેસરથી જન્મ-અગ્રતની સાત એક છે, છું અપાયું છે તે બરાબર નથી માટે સુધારી લેવું -

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