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यशोधरचरित्रम्
22. कुसुमावलि के गर्भ में पिंजरबद्ध मुर्गा-मुर्गी का पहुँचना । धार्मिक संस्कारवश महारानी की धार्मिक भावना । अभयरुचि - अभयमति का जन्म व शिक्षा-दीक्षा ।
23. सुदत्त मुनि के समक्ष राजा यशोमति का हतप्रभ होकर आत्मसमर्पण । उसकी श्वान - सेना का स्वतः शान्त हो जाना। उसका मित्र श्रेष्ठ से वार्तालाप |
24. सुदत्त मुनि द्वारा सपरिकर यशोमति को उपदेश । अभयरुचि का राज्याभिषेक | अभयमति कन्या का अहिच्छत्र राजकुमार के साथ परिणय ।
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25. क्षुल्लक क्षुल्लिका को प्रणाम करते हुए वनदेवी व मारिदत्त !
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26. सुदत्ताचार्य के पास वन्दना करते हुए क्षुल्लक -युगल तथा अन्य लोग वैराग्य और पश्चात्ताप से दग्ध सपरिकर यशोमति ।
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27. सुदत्ताचार्य से पूर्वजों के भव-भवान्तर जानकर यशोमति द्वारा सपरि
कर जिनदीक्षा ग्रहण |
28. लूणकरण पांड्या मन्दिर में कल्याणकारी रामचन्द्र आदि का चित्रण |
29. तीर्थंकर की वन्दना करते हुए युगल ।
30. तीर्थंकर की वन्दना करता हुआ राजपरिकर ।
31-32. लूणकरण मन्दिर, जयपुर में सुरक्षित पाण्डुलिपि का पृष्ठ भाग और
अन्त्य भाग ।