Book Title: Yashodhar Charitam
Author(s): Bhagchandra Jain
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology

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Page 165
________________ १५७• चित्रफलक - विवरण पाणिग्रहण सम्बन्धी वार्तालाप तथा तैयारी । 8. यशोधर और अमृतमती का परिणय-दृश्य । 9. यशोधर अमृतमती का वार्तालाप । कुब्जक द्वारा अमृतमति का प्रताड़न । 10. प्रासाद में यशोधर का वापिस पहुंचना । 11. यशोधर का नारी के विषय में चिन्तन और यशोमति राजकुमार को राज्य समर्पण | माता चन्द्रमती के आग्रह पर चण्डमारी के मन्दिर में यशोधर द्वारा आटे के मुर्गे की बलि । 12. यशोधर का मयूरभव कथानक । कोटपाल द्वारा राजा यशोमति को मयूर ( यशोधर ) तथा श्वान ( माता चन्द्रमती) का समर्पण । 13. यशोमति और राजपरिकर । अमृतमती और कुब्जक का प्रणय प्रसंग । मयूर का दोनों पर आक्रमण | 14. मयूर परं अमृतमति व श्वान द्वारा आक्रमण | श्वान पर यशोमति का घातक प्रहार । 15. यशोमति द्वारा मयूर और श्वान के मरण पर उनके क्रियाकर्म का निर्देश । शिशुमार द्वारा मत्स्य का पकड़ा जाना और फिर उसे छोड़कर कुब्जा का पैर पकड़ लेना । फलतः धीवरों द्वारा उसका जाल में पकड़ लिया जाना । 16. श्वान का कृष्ण सर्प के रूप में जन्म । उसकी पूंछ को मुख में दबाकर सेलू द्वारा उसका हनन । 17. रोहित मत्स्य को पकाकर श्राद्ध किये जाने का दृश्य । . 18. अज ( यशोधर ) को भी भोजनशाला में लाकर उसके पैर का मांस पकाया जाना । यशोधर और चन्द्रमति को स्वर्ग में सुख देने के लिए यहां मासिक श्राद्ध किया जाना, चण्डमारी मन्दिर में । अमृतमति का कुष्ट से पीड़ित होना । 19. राजा यशोमति का आखेट द्वारा अज-मिथुन का घात । 20. बकरे के एक पैर को काटकर उसका मांस यशोमति को दिया जाना । भैंसे द्वारा राजा के घोड़ का मारा जाना । फलतः राजा के आदेश से पाचक द्वारा उसका मांस पकाया जाना । बकरे का भी हनन । 21. यशोमति का भोग-विलास । जंगल में अशोक वृक्ष के नीचे ध्यान स्थित मुनि का दर्शन और वन्दन । चण्डकर्मा के प्रश्न और मुनि द्वारा उसे धर्मोपदेश ।

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