Book Title: Yashodhar Charitam
Author(s): Bhagchandra Jain
Publisher: Sanmati Research Institute of Indology

Previous | Next

Page 176
________________ १५. सुंसुमार का पकड़ा जाना। राहार्दिवाचनसोधिकायिनादतः याप्रहाराकुलीयपमानातयामार्माचार्य: नमुल्कोगामुसहमतदा मिलेननामनिवासिीमरणो नयाापतितारमीय ओक तत्पर रोदनविदर्भमटेमानस: पूर्ववनिरालमामा पुरोहितादानाव पितरास्विमस्कानामिविविडली यो:स्वामिप्रापयामुरायो काम गोवणदिवाललेल्याप्रदायोविदितो होमस्कार मनमक स्वासयेनामिनम किवित्राशासानदुर्गम अलमलमदिनामिकामा रयादेबसेर अयशससा सेन महाकर्मगुरूत्वचेलमारघात यात समिती अमात्यलदूस्खामलायोदयकाल हामहमयतानियामाहा बाइसाको बागम यो १६. श्वान का कृष्ण सर्प के रूप में जन्म; सेलु ने उसकी पूँछ को मुख में दबाकर मार डाला।

Loading...

Page Navigation
1 ... 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184