Book Title: Vidhipaksh Gacchiya Shravakna Daivasikadik Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 196
________________ ( १७४) ॥अथ श्री नेमनाथ जिन स्तवनं ॥ ॥ बोल बोल रे प्रीतम बोल मुझशुं महेलि श्रा टो रे ॥ पगले पगले पीडे मुझने, प्रेमनो कांटो रे ॥ बो० ॥१॥ राजिमती कहे गोड बबीला, म ननो गांगे रे ॥ जिहां गांगे तिहां रस नहीं जि म शेलडी शांगे रे ॥ बो० ॥२॥ नब नवनो मु ने आपने ने मजी, नेहनो वांटो रे ॥ धोयो किम धोवाय जादवजी, प्रेमनो बांटो रे ॥ बो॥३॥ नेम राजुल बे मुक्ति मल्यां विरह नागे रे ॥ उद यरत्न कहे आपने खामी, नवनो कांगे रे ॥बो॥४॥ ॥अथ श्री पार्श्वनाथ जिन स्तवनं ॥ ॥सुणो सुणो साहेब शामला रे लो, ढुंतोम हेली मनना आमला रे लो ॥ नाग्ये तुफ श्राज नेटियो रे लो, मारो पुर्गतिनो कुःख मेटियो रे लो ॥१॥ आज लगण अजाणतां रे लो वहा ला मोहन पासुं ताणतां रे लो ॥ तुळजु राख्यो श्रांतरो रे लो ॥ प्रजु पाडियो तेंमुने पांतरो रेलो ॥२॥ मिथ्यात्व महाविमासमां रे लो ॥ कांश श्र झानना श्रावासमां रे लो ॥ पंचेंजियना पासमां रे लो, ढुंतो वशियो तेहना वासमां रे लो ॥३॥ न पासुं तापाडियो तमुनी। कांश Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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