Book Title: Vibhakatartha Nirnay
Author(s): Girdhar Jha, Jivnath Mishra
Publisher: Chaukhambha Sanskrit Series Office

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ शुद्धिपत्रम् । mmsvvv पृ० पं० अशुद्धम् ३८ यत्किचिदू ३ २३ अनवच्छदकत्व १ रूपान्तरस्य । ५ रम्भसंगच्छ २० वच्छिनत्वं १४ न्वयेनामार्थ २४ तिर्थस्य ८४ स्यतीत्यादी २१ योगित्बेना २४ तदूबारण २५ खार्थकसव् . ७ करणत्वेनाऽव्या १९ द्वितीयाथता . २० मवछिन्ना १८ द्वानुत्पत्यान्वय १९ उन्यरत्वस्यै । ६ निभादिशकल ९ स्वार्थप्रसिध्या ३० ६ बहुज घटित ३० १६ विशेषणया .. ३२ २३ नागकालयो । ३४ १७ तावच्छदक ३९ ३ प्रवशनीय ३९ ९ धिकरण्य ४७ १४ पात्पर्थ . ४८ २४ वचनाबहुश ५१ १० सिाध्यपुनर्वसू शुद्धम् यत्किचिद् अनवच्छेदकत्व रूपान्तरस्य रम्भःसंगच्छ वच्छिन्नत्वं न्वये नामार्थ तिर्थस्य स्यतीत्यादौ योगित्त्वेना तद्वारण खार्थकसुब् करणत्वे नाऽव्या द्वितीयार्थता. मवच्छिन्ना द्वानुत्पत्त्यान्वय ङन्यतरत्वस्यै निभादिसकल खार्थाप्रसिध्या बहुघटित विशेषणतया नागतकालयो तावच्छेदक, प्रवेशनीय धिकरण्य तात्पर्य वचनादू वहुशः सिध्यपुनर्वसू Aho I Shrutavanam

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 498