Book Title: Vibhakatartha Nirnay
Author(s): Girdhar Jha, Jivnath Mishra
Publisher: Chaukhambha Sanskrit Series Office

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Page 14
________________ शोध्य तदीयविद्याविलासनामके यन्त्रालये प्राचीकशम् । एतद्ग्रन्थकर्तृसमयाद्यवधारणे मामकः श्रमस्तु दरभङ्गाभूपाश्रितमहामहोपाध्यायचित्रधरमित्रैः खयमेव तत्सूचयित्वा परिहत इति भृशमेतदीयोपकारं कलयामि, अस्य च कृतेऽपि श्रमपुरस्सरे शोधने शरीरिमात्रसाधारणभ्रान्त्यादिजनितं दोषं सौजन्यधुरीणैः सारस्पृहयालभिः परिशीलितमरालचातुरीकै विपश्चिद्वरैरुपेक्ष्यमाणमाशासानः, सकलाध्येत्रध्यापकादिसौकर्यमेतद्ग्रन्थात्संभावयन् निबन्धुरपि तादृशबुधैकजनवेदनीयश्रमसाफल्यमधुनैवावधारयन् शोधनप्रकाशनादीनां चापि गुणिहक्पथगामितयैव सार्थकतां मन्यमानो गुणिजनाविभूतिमेवैतद्व्यापारात्प्रीयमाणः परमेश्वरो विद्धात्विति कामयते। . १९५९ वर्षान्ते } . तर्कतीर्थन्यायरत्नोपाधिकः श्रीजीवनाथमिश्नः शुभम्। Aho! Shrutgyanam

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