Book Title: Vastupal Prashasti Sangraha
Author(s): Punyavijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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षोडशं परिशिष्टम् पाल्हण पुत्र कृत
आबूरास
॥ २
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॥
३
॥
६० ॥ पणमेविणु सामिणि वाएसरि, अभिनवु कवितु रेयं परमेसरि । नंदीवरधनु जासु निवासो, पभणउ नेमिजिणंदह रासो गूजरदेसह मज्झि पहाणं, चंद्रवती नयरि वक्खाणं । वावि सरोवर सुरहि सुणीअइ, बहुयारामिहि ऊपम दीजइ त्रिग चौचरि चैउहट विथारा, प( म )ढ मंदिर धवलहर पगारा । छत्रिस राजकुली निवसेइ, धनु धनु धम्मिउ लोकु वसेइ राजु करइ तह ( हिं) सोमनरिंदो, निम्मल सोलकला जिम चंदो ।
हिव वन्नउ गिरि पुहवि प्रसिद्धं, बहुयहं लोयहं तणउ जु तीथो घण वणरायहं सजलु सुठाउं, तहिं गिरिवर पुणु आबू नाउं । तसु सिरि बारह गाम निवासो (सी), राठी गूगलिया तहिं तपसी तसु सिरि पहिलउ देउ सुणीजइ, अचलेसरु तसु ऊपमु दीजइ । तहि छइ देवत बालकुमारी, सिरि मा सामिणि कहउ विचारी विमलिहिं ठवियउ पावनिकंदो, तहि छइ सामिउ रिसहजिणिंदो। सानिधु संघह करइ संखेवी, तहि छइ सामिणि अंबाएवी पुरुत्व पच्छिम धम्मिय तहिं आवहिं, उत्तर दक्षिण संघु जिणवरु न्हावहिं । पेखहि मंदिरु रिसह खत्ता (रवन्ना ?), नाचहि धम्मिय बहु गुणवत्ता(न्ना) धनु धनु विमलडि जेणि कराविउ, ससिमंडलि जिणि नाउ लिहाविउ । बिहुं सइ वरिसह अंतरु मुणीजइ, बीजउ नेमिहि भुवणु सुणीजइ
ठवणिनमिवि चिराणउ थु(पु ?) णि नमिवि, बीजा मंदिरनिवेसु ।
त पुहविहि माहिं जो सलँहिजए, ऊतिम गूजर देसु ॥ त सोलंकियकुलसँभभिडं, सूरउ जगि जसवाउ ।
त गूजरातधुरसमुधरणु, राणउं लूणपसाउ परिवलु दल्ल जो आडवए, जिणि पेलिउ सुरिताणु ।
राजु करइ अन्नय तणओ, जासु अगंजिउ माणु ॥
॥ ८॥
१ प्रणम्य ॥ २ रचयामि ॥ ३ चत्वर || ४ चौटां ॥ ५ नाम ॥६लाध्यते ॥ ७ संभमिउंसंभविउ =संभूतः ॥ ८ गूजरातनी धुराने बहेनार ॥
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