Book Title: Vastupal Charitam
Author(s): Jinharshsuri
Publisher: Doshi Shantilal Kalidas
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व्यधाम् कोटी रैः पृथगू पृथग् देव कुलिकं वासवीय सौधो जैनेन्द्र मत
૮૪
૨૩
कारयतिस्म पण्डपे कारयतिस्म सम्यम् परीणामो सम्यग् प्रसादान्सु वदन्तिस्म हग्पथा श्रुत्वातद्वचनं यथातथा क्षणाद्भूत्वा सगुरु यद्भुते यावदलं चक्रे तादग्प्रभावक प्राय चके रवैता
कारयति स्म मण्डपे कारयति स्म सम्यक् परिणामो सम्यक् प्रसादात्सु वदन्ति स्म दृक्पथा. थुत्वा तद्वचनं यथा तथा क्षणाद् भूत्वा
श्रेष्टिन्
ताम् पूर्वकम् कुप्यतिस्म
व्यधात् कोटीरैः पृथक् पृथग् देवकुलिकं वासवीयसौधो जैनेन्द्रमत श्रेष्ठिन् ताक् पूर्वकम् कुप्यति स्म मूर्तिम् त्रिजगद्धिपतेः विजयतां दान सोमेश्वरः-स कटरे मनोवाञ्छा मन्त्रीन्द्रस्य तादृक्पुण्याद्य
मूर्ति
९१
५९
यद् भुञ्जते यावदलंचक्रे तादृक्प्रभावक प्राक् चके
त्रिजगद्धिपतेः विजयतांदान सोमेश्वरः स कट रे मनोवांछा मन्त्रीद्रस्य तादृग्पुण्याद्य
रैवता
९५
५००
५००
ना

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