Book Title: Vardhaman Jivan kosha Part 3
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 4
________________ समर्पण प्रेक्षाध्यान के प्रणेता युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ, जिनका संयम जीवन युगप्रधान आचार्यश्री तुलसी के नेतृत्व में व्यतीत हुआ है। जिनका पवित्र चरित्र प्रत्येक आत्मा को कल्याणपथ का संबल बनता है। जिन्होंने आगम-साहित्य का सुचारु रूप से संपादन किया-जिन्होंने मुझे विद्यावान्-सुशिक्षित-संस्कारी बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। अस्तु जिनका सारा जीवन शौरसेनी-प्राकृत आगमों के उद्धार तथा प्रकाश में लाने का सजीव इतिहास है। जिनके निर्भीक व्यक्तित्व में श्रमण संस्कृति को निरन्तर अभिव्यक्ति मिलती रही है। जिनका रोमरोम श्रमण संस्कृति की सेवा में समर्पित रहा है। जो नवीन पीढ़ी के लिए साधन-विहीन उन्निषियों के लिए सतत् कल्पवृक्ष रहते आये हैं। भारतीय वाङमय के गौरव, टमकौर भूमि के उन्हीं यशस्वी युवाचार्यश्री महाप्रज्ञ को मैं वर्धमान जीवन कोश, तृतीय खण्ड सभक्ति, सविनय समर्पित करता हुआ अपूर्व आनन्द का अनुभव कर रहा हूँ। -भीचंद चोरडिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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