Book Title: Vakya Rachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
Publisher: Jain Vishva Bharti

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Page 4
________________ आशीर्वचन लगभग चार दशक पूर्व हमारे धर्मसंघ में साधु-साध्वियों के लिए एक नया पाठ्यक्रम बना । योग्य, योग्यतर और योग्यतम-इन तीन श्रेणियों में सात वर्षों के प्रशिक्षण का क्रम निर्धारित हुआ। इस क्रम से अनेक साधु-साध्वियों ने अध्ययन प्रारम्भ कर दिया। अध्ययनकाल में कुछ ऐसे पाठों की अपेक्षा का अनुभव हुआ, जो संस्कृत भाषा सीखने में उपयोगी हो। इस अपेक्षा की पूर्ति के लिए मुनि नथमलजी (युवाचार्य महाप्रज्ञ) को निर्देश दिया गया। उन्होंने काम हाथ में लिया और तत्परता के साथ उसे पूरा कर दिया। उस समय तैयार की गई वह कृति संस्कृत पढने वाले विद्यार्थी साधुसाध्वियों के काम आती रही। इस वर्ष मुनि श्रीचन्द और मुनि विमलकुमार ने उसको समीचीन रूप से सम्पादित कर दिया। अब वह 'वाक्यरचना बोध' नाम से संस्कृत पाठकों के हाथ में पहुंच रही है। संस्कृत भाषा के जिज्ञासु विद्यार्थी इसका उपयोग कर पूरी तरह से लाभान्वित होंगे, ऐसा विश्वास है। जैन विश्व भारती, लाडनूं गणतंत्र दिवस १९६० आचार्य तुलसी

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