Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 3
Author(s): R P Poddar
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
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तमसा और गम्भीरा
वाल्मीकि रामायण
वृद्ध ब्राह्मणों का साथ न छूटे, इसके लिए राम अपना पैर बहुत निकट ' - निकट रखते -लम्बे डग से नहीं चलते थे । इस प्रकार चलते हुए संध्या समय तमसा के किनारे पहुँचे, जो अपने तिर्यक् प्रवाह से राम को रोकती हुई सी प्रतीत हो रही थी । राम ने यहीं वनवास की पहली रात बितायो ।
अध्यात्म रामायण
अयोध्या से निकलकर राम तमसा नदी के तट पर पहुँचकर वहाँ सुखपूर्वक रहे और रात्रि के समय बिना कुछ आहार किये केवल जल पीकर सीता सहित वृक्ष के नीचे सो गये ।
आनन्द रामायण
वन को जाते समय कौशल्या, सुमित्रा, पिता तथा अन्य जनों को आश्वासन देकर राम शीघ्र ही तमसा नदी के तीर पर जा पहुँचे ।
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रामचरित मानस --
अयोध्या से निकलकर राम ने प्रथम दिन तमसा के तट पर ही निवास" किया । इसके बाद राम श्रृंगवेरपुर पहुँचे, जहाँ गंगा मिली। फिर राम को गंगा पार करते देख सुमंत लौटे जो तमसा पार करने के बाद अयोध्या में ही प्रविद्ध हुए । भरत की चित्रकूट यात्रा के क्रम में भी पहली नदी तमसा मिली । पउमचरियं
राम अयोध्या से निकलकर पारियात्र देश की अटवी में पहुँचे । वहाँ उन्होंने भयंकर, बहुत से मगरमच्छों से व्याप्त, जल से समृद्ध तथा जिसमें तरंगों का समूह उठ रहा था, ऐसी गम्भीरा' नाम की नदी देखो । तत्पश्चात् सुभटों की अनुज्ञा लेकर और सीता को हाथों से अवलम्ब देकर राम ने लक्ष्मण के साथ गम्भीरा नदी पार की ।
१. पद्भ्यामेव जगामाथ ससीतः सहलक्ष्मणः ।
संनिकृष्ट वदन्यासो रामो वनपरायणः । वा० अयो० सर्ग २५, श्लो० १८ २. वाल्मीकि० अयो० सर्ग ४५, श्लो० ३२; सर्ग ४६, श्लो० १
३.
अध्यात्म० अयो० सर्ग ५, श्लो० ५१
४.
समाश्वास्य जनान् रामस्तमसातीरमाययौ । आनन्द० सारका० सर्ग ६, श्लो० ७२
५
तमसातीर निवासु किय प्रथम दिवस रघुनाथ || २० च० अयो० दो० ८४ ६. एहि बिधि करत पंथ पछितावा । तमसातीर तुरत रथुआवा || अयो० दो०
१४७, पं० १
तमसा प्रथम दिवस करि बासू । अयो० दो० १८८, पं० ८
७.
८. पउमचरियं, उद्देश ३२, गाथा ११
९. पउमचरियं, उद्देश्य ३२, गाथा १६
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