Book Title: Vairagyarati
Author(s): Ramnikvijay Gani
Publisher: Yashobharti Jain Prakashan Samiti
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________________ वैराग्यरतेः शुद्धिपत्रम् / पृ. श्लो. शुद्धम् उत्कृष्ट(1) नघृण्य° प्रतीती 618 अशुद्धम् उत्कृष्ट . नैर्घण्य प्रीतीतौ बुद्धभैश्वर्य प्रफुल्लत् कुन्द प्रकर्षः 396 सुखसामाग्या बुद्धमश्वर्य प्रकर्षः 126 133 296 198 सुखसामग्या // 377 // प षष्ठः वेत्ति प्रन्थकृतवो सुखा 158 शीर्षके पञ्चमः 170. 253 172 टि. प्रन्थकृतवो 175 179 502 सत्याचे 181 . टि.... // 571 // 836 तदृष्टा 19572 धात्री 196 81 तादृशी 197 130 'विमानौद्यः / विमानौधं 157 206 370 परिणिनीषिता 'सुखा 'सत्याय // 570 // तदृष्टा 191 धात्री 197 198 तादृशी विमानौषः विमानौघ स्वीयेन परिणिनीषता स्वोयेन
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