Book Title: Uvavai Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Kesharvijay
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 172
________________ +लहान घरभा एक रान करा परनहालीयाइन ही तोगरूपरऊधूलित नदीलीपाइनदार मित्रमन ज्ञातियो निगलाई स्वजनमा संबंधीसा परिनदासी प्रतिकारूप आवार मা5 मानीता ताना प्रादिक उलादिक सुमरादिक दासादिकत क्रियावेत जेनउदते ह पं गोवलिपि हितिसोगर एवं गोवविहति मिन्त्रणा निश्रम याण संबंधि परिसते दीरु वाण घे विरति अंतिमा के व जानता विवस केला अगस्टदधामीप्रतिको म्यास्य गारसाथ महिमा व्यविरादिक नई विष‍ म्यूजिकस्य पवि म अनुपलम्पिक स्परवानजि तांद का तहम्म अनेरावाल •उधरणहार राणं श्रंतिय केवलं बोहिबु निहित के वनों गोरिये यवहिति [सांत विस्तरागार गवत यमाय विषय हाथ गर्व महिमा प्रतिक समिति सिन 334 धरता आईहाम आदिको मर्याविहाराचा मुतेकर) नई का नमामि यवादिक का ज्ञान इलाहा रियासमिए व गुत्र बतयारी तांगवाता तेवहां विहरमा एारस अपात्र पुत्र शिवाघाए आवरणरहित प्रति केवल प्रधानज्ञानविशेषश्रवबोध तिवारबाट प्रति ज्ञनेन के वला केवल बाइक केवल संब कायका पहिाधकी करा कारक देवनि सामान्य अवबोध हरकते तान गाध कर महित दवनायक ऊपम्पमा मिस्प मायानन क्षीण बरसलगा धाउपाययि हितितां पति से केवली बहु वा साशंकवलय आपण आत्माने मामिमोऊनदिन प्रवासत्ये करा अद्रकम एामानइविषघापा नदिप्रतिपदमा नीलोऊन पटनाय नई सरका श्रप्पाका सहिताई अपनी बेदेवा अस्मा द्वार कवलत रावरणेकशि मिलोक वलवर पदसमु काल- पालिम्पऋतु केवलनन काल एकम सवामा लगी संघात मान विभा हूं. मानपालान केरीसरारपातल उपाभित्र रियायं पान पिहति पाउलिना मासियाएसंलेहलाए बामन यति

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