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तहघ कायति वाय एके कस्ताना दिका दाघिका शिकायला अनेरा तथा प्रकार हा ताउवदिया मायामयो एहवाकर्म परंश प्रा इतोलगा अतिशय पत्र विस्तानिया शक्तिसाद्या योगम्पनयनका जनकपायप्रत्यय नाव्यापार यावजीवारा एकञ्चापविश्याश्रावणात पगारासावऊ ओगोवहियाकमंता परागपर। वनश्यरितायनः करा ऊना तेघका निश्चय स्वयं के के सगलानही लगा जावा एकेक सावद्य सपाप योगादिकध तेकहर श्रम का कर पविच के केघ की अतिशय विरतानिय की तिचा या स्परं विस्ता नित्यानमा बई पास कसे व कए है
+ सायका रसवंतीवनी लेद लामते दीप
लावण कारा कति ताताविएक्कच्चापरिविश्या आवकीवाए एक वाउपमिविया तंज हा समरणो वास वा श्राव के प्रति लापा बने उपलध लामा बाम्या का किरण घर हाटखा ) खेटा कटारा कपला रूपमा नघाविव 3 किरिया कार्यि का पम्परागपादनाभिमताधरूपमा रुनाना मते दत्यादि काश व तित्र तिगडा वाजवा उक्लद्वपावा श्रासवसवर शिऊर किरिया किरण बधामा कस कवी जन विष कुशलवार मारनाशदिक नागलो के वासी मुवासूपदिक ज्योतिषाय तरदेवविशेष. ||दिकषघ के हा साहित्यदेवादिरुदेव तारा रुसे सरु माविया तारणहारमान वा किंनर देवता ( किंतु रुमदेवाची महो देवविमानिक गादिक दिवानागणसमूह चिंता वि
ला असद काढ वामुरागमुप ऊरकराकस किंनर किंड रिसगल गंधव महोरगा दिएहिं दिवगाहिंगि
नियंतग प्रवचन सिद्धांतमा अनतिक्रमणीयतेऽधर्म नियंधीत वनश्रीजि नितरां अतित्रायस्य निःकाका खराद वितािधनाफामूत्र तथाविकारवो साया गावी तस किया गताः सनक विचारादिकवि शिलापालनमदेहाता पर नाश्रमवार मा तावादन ६ कारक्षित बारहित -तवियाधका ॥
धर्मका
हित
प्रयापादया व मलिका विद्याधपा वयाण शिस्तं किया शिक्के खिया शिवितिमिला लट्टा ग
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