Book Title: Uvavai Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Kesharvijay
Publisher: ZZZ Unknown
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तराइवश्व गौतममकहना अतिशयज्ञानरहत मनुष्य मार्जराना कर्मघयाव्यातापुदगलनः नासाका बकरादरापि सातला गोयमाण्वं धति बनाम सात सिंणिपोयाएं पकिंविवमेव ऊ नारिकाजाने करा, रहना वरना व देहवाद मारामार सानईरहका माणसोमहा निकर गलत कातिय करेगलाई बोट सरखे लोक करभगव केवलज्ञादिशास वजापतिपासति एमु कुमारपात पायात्रा समपानीमा सधाला पिपति के सित्रापचिति किया कारणा केवलज्ञानी समधान करवा हेगौतम केवलज्ञानासार कर्ममा अंशुचयः खागा के किन नियाम्पसक वदनाय साता साना दि
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परि
मान कुल घोर
म्हापसांत केवलासामा हरगति कन्दाशां कवजी समुग्धायंगांत गोयमाकिवलीवतारिकमा मनुष्यादिना कर्म वेदनी कमनिसमधला घोडवतेचा आपला घोडानसर धनकरतिकर विधानसम्म कर न कर सायजिरकी पोतवति तदा वदनि शामंगोत्रं सङ्घबऊ एप सावत्रणिसे कामातवति यामापदेस भवस्ता सिहतके 04 विशेकरा रहेका निश्वयक रामकेवलज्ञानी २२एम एप करिव सलोना सवाचावार एकामात्तयति विसमंसमं करिति बंधारण हिंचित
શૌયનાથા रयाएँ बधा
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