Book Title: Updeshsaptatika
Author(s): Kshemrajmuni,
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
View full book text
________________
उपदेशसप्ततिका. |
॥७॥
***% **
Jain Education Intematon
विषयाः
त्रार्थे दृष्टान्तदशकान्तर्गतं भोजनोपरि कार्य
टिकोदाहरणं प्रथमम् (०६ ) चाणक्यदृष्टान्तः ( 59 ) धान्यदृष्टान्तः ( ८ ) द्यूतदृष्टान्तः (०७ ) रत्नदृष्टान्तः (९०) मूलदेवराजपुत्रस्वमफलकथानकम् (५१) सुरेन्द्रदत्तकथानकम् ( एश् ) चर्म (क) दृष्टान्तः (७३) युगशम्या दृष्टान्तः ( ए४ ) स्तम्नदृष्टान्तः ( ५ )
क्षमायां संवरमुनिकथा ( ए६ )
गाधाङः
1.00
....
----
....
....
....
....
...
....
www.
पत्राङ्कः
....
0000
....
www.
....
....
RECE
Mo
....
Nada
...
२०१
२०१
२१०
२१०
२१०
२११
२१२
२१३
२१३
११३
२१३
विषयाः
पत्राकुः
प्रमादाचरणस्थानज्ञापने स्थूल दृष्टान्तः ( ( 9 ) २१४ ६० वयत्रिकेsपि धर्मसमयस्य पुर्वनत्वम्
२१२
६५ शैशवादन्यत्र धर्मसमयस्य दुर्लभत्वम् २२२ अत्रातिमुक्तक लकसाधुदृष्टान्तः ( ए८-२०१७) २२३ १० पूर्वकृतसुकृतमाहात्म्यम्
२१६
मृगापुत्रचरितम् (१०० )
११६
१३०
१३०
गायाः
12
For Private & Personal Use Only
....
www.
1420
....
७१ सम्यक्त्वलक्षणम्
..........
एतदुपरि श्रीमृगध्वजस्वरूपम् (१०१ ) ७२ प्रशस्तश्यावतां सप्तक्षेत्रषव्यव्यथवतां निर्मोहानां जन्मपावित्र्यम्
...
७३ अस्याः सप्ततिकायाः परमार्थज्ञानपुरस्सरं पठने फलम् .....
.000
....
....
----
....
....
२३५
१३५
विषया
नुक्रमः ।
॥ ७ ॥
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 506