Book Title: Updeshpad Mahagranth Satik Part 02
Author(s): Jinendrasuri,
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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पदेशपद
गाथा
गावा
अनुक्रम.
६८२-९६
॥१६॥
६६६-६८ ६६९-७१
६९७-७२८
६७२
विषय द्रव्यादिसामग्रीवैगुण्यत्वेप्यकार्य
प्रवृत्त्यमनुसरणम् ६१० 'द्रव्यादिस्वरूपम् शुभसामाचारीरसिकचारित्रिणो ६१४
विपरिणामत्वाभावः दुष्षमायामपि चारित्रसत्ता चारित्रिण्यसद्ग्रहाद्यभावः सर्वक्रियानिरोधसाध्ये स्वाध्या
यादिक्रियाणां निष्प्रयोजनवादिमतनिरास: प्रत्युत तत्रादरकरणोपदेशपुष्टिश्च ६१६
असद्ग्रहफलम् गुरुकुलवासत्यागात्यागगणाभाव
भावत्वम् आद्यधर्माङ्गस्य गुरुकुलवासस्य
विषय
सविस्तरं स्वरूपम् गुरुकुलवासे ज्ञानादिगुणलब्धिः शुद्धोञ्छाद्यनुष्ठानं गुरुकुलवास
त्यागेनाकिञ्चद्गुणकरम् । देशविरतिगुणस्थानकेपि पापाक
रणनियमस्वं ज्ञातचतुष्कञ्च ६२८ १-रतिसुन्दरी (१५५) २-बुद्धिसुन्दरी (५८) ३-ऋद्धिसुन्दरी (११३) ४-गुणसुन्दरी (१२२) ५-चतुसृणामप्युत्तरभव
वर्णनम् (१००) सर्वविरतौ समस्तपापोपरमत्त्वम् ६६५ साम्प्रतीनानां चारित्रभाजी
तीर्थकरकालभाबिसाधूनामिव मोक्षफलप्रापकत्वम् ६६७
१६७४-७५
७३९-३४
॥१६॥
६७७-७२
७२

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