Book Title: Updeshpad Mahagranth Satik Part 02
Author(s): Jinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 15
________________ गाथा । ५४९-६०० ॥१५॥ विषय पृष्ठं अणुव्रतपालनायम्-श्रीमतीसोमाहरणम् [प्रा. २६८] ५३० तत्रावान्तरकथा इमाः॥ १-असमर्थेभ्यो धर्मदानयोग्यत्वे झुण्टणवणिजः ,, २-प्राणान्तेपि गृहीतधर्मरक्षणादित्वे गोबर (रत्नद्वीप) वणिजः "३-अहिंसाव्रते-कुटुम्बमारीकस्य , ४-सत्यव्रते-पक्षिसाक्षिस्वे नौक्तिकस्य , ५-अस्तेये-तिलस्तेनस्य .. , ६-चतुर्थव्रते-अश्वरक्षकासक्तमहिलायाः, ,, ७-पञ्चमके-लोभासक्तस्वपुत्रबलिदा यकदरिद्रस्य ,८-रात्रिभोजनविरत्याम्-प्राप्तरोगबाहुल्यनिशिभोजकस्व गाथा विषय ६०१-७ __गुणस्थानकपरिणामतो गुणत्वं महाव्रतागुणस्थानकप धिकारः समितिगुप्तिस्वरूपच ५५९४ ६०५-६६३ समितिपञ्चकमुप्तित्रिकगतोदाहरणाष्टकम् ५६१ आद्यसमिती-बरदत्तमुनेः द्वितीयायाम्-सङ्गतसाधोः ऐषणाख्यतृतीयायाम्-नन्दिषेणभवा न्तरित वसुदेवस्य [१५७] चतुर्थ्याम्-सीमिलयते: पञ्चम्याम्-धर्मरुचिनामानगारस्य , नागश्रीचरितभितधर्मरुचि मुनिपुङ्गवस्य [प्रा० ३४४] मनोगुप्ती-देवोपसगितमुनेः वाग्गुप्तौ-चौरस्वकुटुम्बप्रतिबोधकशमिनः२ कायिकगुप्तौ-सुरकृतपरीक्षावतो महामुनेः१ ६६३-६५ चारित्रिणो महासत्वस्य कदाचिदपि ॥१५॥

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