Book Title: Updesh Chintamani Satik Part 02 Author(s): Jayshekharsuri Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra उप० चिंता १६५ www.kobatirth.org ॥ श्रीजिनाय नमः ॥ ॥ श्री चारित्रविजगुरुन्यो नमः ॥ ॥ अथ श्रीउपदेशचिंतामणिः सटीकः प्रारभ्यते ॥ ( कर्ता -- श्री जयशेखरसूरिः ) ( द्वितीयोऽधिकारः ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपाची प्रसिद्ध करनार - पंडित श्रावक हीरालाल हंसराज. ( जामनगरवाळा ) स्याधिकारस्य पूर्वेण सह संबंधं प्रकरणकारः स्वयमेवाद ॥ मूलम् ॥ - जिधम्मं जीवा न हु । लहंति सामग्गी त्राहिरा सवे ॥ माणुस्तखित्तकुलगुरु -- सकाविरियाश्या सा य ॥ १ ॥ व्याख्या -हुरेवकारार्थः, सर्वे जीवा जव्या अजव्याश्च सामग्री बाह्याः संतो नैव जिनधर्मं पूर्वाधिकारोपवर्णितस्वरूपं लनंते, सामग्री समावे बनते, तस्मादत्राविकारे सामग्री वक्तव्येति जावः नन्वजव्याः सामग्री सद्भावेऽपि जिनधर्मं न For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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