Book Title: Tulsi Prajna 1992 07
Author(s): Parmeshwar Solanki
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 3
________________ तुलब्या खाना - - खण्ड १८ जुलाई-सितम्बर, १९९२ अक २ अनुक्रर्माणका ८७ १०७ ११७ १२३ १३१ १. संपादकीय-अणुव्रत प्रस्तोता का ५७ वां पाटोत्सव २. काल का स्वरूप और उसके अवयव ३. सांख्य दर्शन और गीता में 'प्रकृति'--एक विवेचन ४. जटासिंहनन्दि का वराङ्गचरित और उसकी परम्परा ५. 'वसंतविलास' में वर्णित ऐतिहासिक तथ्यों का महत्त्व ६. प्राकृत भाषा के कतिपय अव्यय (१. "जैन द्रव्य सिद्धांत'-परिचय और समीक्षा ८. जैन वाङ्मय में उपलब्ध लब्धियों के प्रकार ९. संस्कृत-शतकपरम्परा में आचार्य विद्यासागर के शतक एक परिचय १०. तेरापंथ के आधुनिक राजस्थानी संत-साहित्यकार (३) ११. पुस्तक समीक्षा English section 1. The Great Pilgrim Acharyashree Tulsi 2. 200 Years of Terapanth 3. A Survey of Prākrit and Jaina Studies in India and Outside 4. Economic Growth Versus Environmental Quality 5. Book Review १४५ नोट-इस अंक में प्रकाशित लेखों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं। यह आवश्यक नहीं है कि सम्पादक-मंडल अथवा संस्था को वे : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 154