Book Title: Tulsi Prajna 1990 06
Author(s): Nathmal Tatia
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 53
________________ परमाणु के मूलभूत गुण - डॉ० अनिल कुमार जैन* परमाणु पदार्थ (पुद्गल) की वह सबसे छोटी इकाई है जिसका कोई विभाजन न हो सके। जैनाचार्यों एवं दार्शनिकों ने परमाणु तथा पुद्गल का विशद् वर्णन किया है। पिछले कुछ वर्षों में इनका बहुत अध्ययन हुआ है तथा कइयों ने जैन धर्म में वर्णित परमाणु, आधुनिक युग में वर्णित परमाणु तथा अंतिम कणों का तुलनात्मक अध्ययन भी किया है ।-५ जैन धर्मानुसार पदार्थ (पुद्गल) के चार स्वाभाविक मूलभूत गुण होते हैं। ये हैं-स्पर्श, रस, गंध तथा वर्ण । कोई भी पुद्गल इन चार गुणों से रहित नहीं हो सकता है। स्पर्श आठ प्रकार के होते हैं-हल्का, भारी, कठोर, मुलायम, शीत, उष्ण, रूक्ष और स्निग्ध । रस पांच प्रकार के होते हैं तीखा, कड़वा, कषैला, खट्ट तथा मीठा। गंध दो प्रकार की होती है .... सुगन्ध और दुर्गन्ध । वर्ण पांच प्रकार के हैं-काला, नीला, लाल, पीला तथा सफेद । इस प्रकार पुद्गल के कुल बीस मूलभूत गुण होते हैं। यहां पुद्गल के स्पर्श गुण के सम्बन्ध में एक स्पष्टीकरण कर लेना आवश्यक है। क्या एक ही पुद्गल पिण्ड दो परस्पर विरोधी गुणों को धारण कर सकता है ? जैसेयदि कोई पिण्ड हल्का है, वह भारी कैसे हो सकता है ? इसी प्रकार कठोर पिंड मुलायम कैसे हो सकता है ? शीत पिण्ड ऊष्ण तथा रूक्ष पिण्ड स्निग्ध कैसे हो सकता है ? इन सब प्रश्नों का समाधान यह है कि वस्तुतः ये कथन अपेक्षाकृत हैं। यदि कोई पिण्ड हल्का है किसी अन्य पिण्ड की अपेक्षा ही से । अतः एक पिण्ड किसी दूसरे पिण्ड की तुलना में हल्का तथा किसी तीसरे पिण्ड की तुलना में भारी हो सकता है। परमाणु के मात्र दो प्रकार के स्पर्श गुण होते हैं। उनमें एक समय में ठण्ठा या गरम तथा रूक्ष या स्निग्ध ये गुण ही हो सकते हैं । अन्य चार प्रकार के स्पर्श गुण परमाणु में नहीं होते हैं क्योंकि पुद्गल की न्यूनतम इकाई परमाणु में हल्का या भारी तथा कठोर या मुलायम का भेद देखने का कोई अर्थ ही नहीं हैं । ये गुण तो स्कन्ध में ही सम्भव हैं । परमाणु सबसे छोटी इकाई होने से एक साथ दो परस्पर विरोधी गुणों को भी ग्रहण नहीं कर सकता है, अर्थात् एक परमाणु में एक साथ ठण्डा और गरम या रूक्ष और स्निग्ध गुण भी नहीं हो सकता। इस प्रकार एक परमाणु में स्पर्श का गुण निम्न चार प्रकारों में से कोई एक हो सकता है-(१) गरम तथा रूक्ष, (२) गरम तथा स्निग्ध, *आई०आर०एस०, ओ०एन०जी०सी०, साबरमती, अहमदाबाद-३८०००५ । खु.१अंक १ (जून, ६०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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