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श्री त्रिभंगीसार जी
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भजन-१६ पर्यायों के पार देख लो, अपना ही भूव धाम है। अरस अरूपी ज्ञान चेतना , शुद्धातम अभिराम है। वहाँ न कोई गुण पर्यय है , न ही व्यय उत्पाद है। नाम रूप का भेद नहीं है , शुद्धह शुद्ध स्वभाव है । रत्नत्रय का भेद नहीं है , अनंत चतुष्टय धारी है । पंच परमेष्ठी मयी स्वयं ही , शिव सत्ता सुखकारी है। केवलज्ञान का धारी है वह , पंच ज्ञान का भेद नहीं। परमानंद निरंतर बहता , वहाँ जरा भी खेद नहीं । ज्ञानानंद स्वभावी है वह , निज आनंद अपार है । ब्रह्मानंद स्वयं में प्रगटा , मच रही जय जयकार है ।। अभयस्वभावी ममलस्वभावी , शुद्ध मुक्त निष्काम है। तारण तरण जिनेश्वर खुद ही , सहजानंद सुखधाम है।
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आध्यात्मिक भजन भजन-१८
हे साधक राग में आग लगाओ। निज सत्ता शक्ति को देखो, शुभ में मत भरमाओ॥ राग उदय चल रहा सामने, इसमें मती लुभाओ। अपनी सुरत रखो निशिवासर, निज पुरुषार्थ जगाओ... तत् समय की योग्यता देखो, समता शांति लाओ। अपने को किससे क्या मतलब, वीतराग बन जाओ... तुम तो हो भगवान आत्मा, ज्ञानानंद कहाओ । पर पर्याय को अब मत देखो, निजानंद रम जाओ... कठिन परीक्षा यही तुम्हारी , द्रढ़ता हिम्मत लाओ। जीते जी मर जाओ अब तो , सद्गुरु मार्ग बताओ... जीत जाओगे इस मौके पर , जय जयकार मचाओ। होना है वह हो ही रहा है, तुम निर्भय बन जाओ...
भजन-१७ विनती एक सुनीजे तरन जिन, विनती एक सुनीजे॥ १. ब्रह्मस्वरूप अनुभव में आ गओ , भेदज्ञान प्रत्यक्ष दिखा गओ।
कम्म उवन्न विलीजे , तरन जिन विनती एक सुनीजे. २. चारों गति के दुःख बहु भोगे, पर पर्याय के रहे संयोगे।
मुक्ति पंथ चलीजे , तरन जिन विनती एक सुनीजे......... ३. अब संसार में कुछ नहीं तुम्हारा , साधु पद का बांध लो सेहरा।
जय जयकार मचीजे , तरन जिन विनती एक सुनीजे....... ४. पर पर्याय से रहो नित न्यारे , तुम हो अनंत चतुष्टय धारे।
ज्ञानानंद रमीजे , तरन जिन विनती एक सुनीजे.........
भजन-१९ हे भव्यो ज्ञान का दीप जलाओ। भेदज्ञान सत्श्रद्धा करलो, पर में मत भरमाओ॥ १. जीव अजीव का भेद जानकर,आतम बोध जगाओ।
मैं तो हूँ भगवान आत्मा , ऐसी श्रद्धा लाओ...हे... २. धन शरीर सब नाशवान है , यह प्रत्यक्ष दिखाओ।
देखत जानत नहीं मानते , कर्मों को दोष लगाओ...हे... ३. कर्मादि पुद्गल सब न्यारे , सद्गुरु ने बतलाओ।
तुम हो शुद्ध बुद्ध अविनाशी , ज्ञानानंद कहाओ...हे... ४. ज्ञान से ही मुक्ति होती है , ज्ञान को ध्यान बनाओ।
सहजानंद रहो अपने में , जय जयकार मचाओ...हे...